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अलग से कुछ नहीं हुआ, फिर भी बदल गया मेडिकल कालेज

अव्यवस्थाओं के लिए बदनामी झेल रहे एलएलआर मेडिकल कालेज का नजारा रविवार को पूरी तरह से बदला नजर आया। साफ-सफाई से लेकर यहां उपचार के लिए आने वाले मरीजों की हो रही देखभाल ने सुबह से शाम तक तीमारदारों को भी हैरान किए रखा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 May 2021 09:54 AM (IST)Updated: Mon, 17 May 2021 09:54 AM (IST)
अलग से कुछ नहीं हुआ, फिर भी बदल गया मेडिकल कालेज
अलग से कुछ नहीं हुआ, फिर भी बदल गया मेडिकल कालेज

मेरठ, जेएनएन। अव्यवस्थाओं के लिए बदनामी झेल रहे एलएलआर मेडिकल कालेज का नजारा रविवार को पूरी तरह से बदला नजर आया। साफ-सफाई से लेकर यहां उपचार के लिए आने वाले मरीजों की हो रही देखभाल ने सुबह से शाम तक तीमारदारों को भी हैरान किए रखा। अभी तक मरीजों को उनके हाल पर छोड़ देने वाले मेडिकल स्टाफ भी मरीज के प्रति संवेदनशील नजर आए और उन्हें भर्ती करने के लिए भाग-दौड़ करते दिखे। मेडिकल कालेज का बदला माहौल भले ही जनपद में मुख्यमंत्री आगमन के चलते रहा हो, लेकिन यहां हर दिन अनदेखी के कारण तड़पते-कराहते और दम तोड़ते मरीजों के लिए उम्मीद जगाने वाला रहा।

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घटना पांच दिन पहले ही है। शहर के मोहल्ला श्यामनगर निवासी बीमार महिला हुसन आरा को उपचार के लिए लेकर स्वजन मेडिकल कालेज पहुंचे थे। यहां-वहां घंटों भटके लेकिन महिला को भर्ती नहीं किया गया। अंत में महिला ने तपती धूप में रिक्शा में उपचार मिलने की आस में ही दम तोड़ दिया। महिला की तड़प-तड़प कर मौत हो गई और मेडिकल कालेज प्रशासन हमेशा की तरह खामोशी की मोटी चादर ओढ़े रहा। उधर, ठीक पांच दिन बाद रविवार को इसी मेडिकल कालेज में गहरी जड़ें जमा चुकी अव्यवस्थाएं अचानक अतीत बन गई। सुबह-सवेरे ही पूरे कालेज परिसर को साफ-सफाई कर चमका दिया गया। यहां-वहां हर दिन बिखरा रहने वाला खतरनाक मेडिकल कचरा कही नजर ही नहीं आया। सड़क के किनारे चूना डाला गया। उधर, एकाएक मेडिकल प्रशासन को यहां दिनरात गर्मी और खुले आसामान के नीचे रात गुजारने वाले तीमारदारों भी हमदर्दी जाग गई और कोविड वार्ड के ठीक सामने तीमारदारों के विश्राम के लिए टेंट लगाकर कुर्सी भी बिछा दी गई। खुद तीमारदार भी इसी बदलाव से हैरान नजर आए।

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मेडिकल स्टाफ बना हमदर्द

अभी तक मरीजों को उनके हाल पर छोड़ देने के लिए पहचाने जाने वाला मेडिकल स्टाफ भी रविवार को काफी संवेदनशील नजर आया। आपात कालीन विभाग के बाहर मरीज के पहुंचते ही स्टाफ तत्काल स्टेचर लेकर हाजिर होता और खुद ही आक्सीजन आदि लगाकर मरीज को अंदर लेकर जाता। उधर, कालेज के प्राचार्य डा. ज्ञानेंद्र कुमार भी अपने स्टाफ के साथ कालेज परिसर की व्यवस्थाओं को जांचते नजर आए। उन्होंने कई तीमारदारों से बातचीत की और हौंसला बढ़ाया।

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अचानक प्रकट हुए जीवन रक्षक उपकरण

गंभीर मरीजों के उपचार के लिए तमाम मंहगे उपकरण मेडिकल कालेज द्वारा खरीदें गए, लेकिन इनका प्रयोग नहीं हो सका। रविवार को अचानक इन जीवन रक्षक उपकरणों की याद मेडिकल कालेज प्रशासन को आ गई और मरीजों को इनका लाभ देने की पहल भी हुई। मेडिकल स्टाफ इन जीवन रक्षक उपकरणों को कोविड वार्ड और नान कोविड वार्ड में प्रयोग के लिए लेकर जाता हुआ दिखा।

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हर दिन क्यों नहीं होती ऐसी व्यवस्था

रविवार को मेडिकल कालेज के बदले नजारे को लेकर कई तरह के सवाल यहां पिछले कई दिनों से अव्यवस्थाओं के शिकार तीमारदारों के मन में उठे। सफाई कर्मियों की संख्या बढ़ी न बाहर से कोई आया, फिर भी सफाई चकाचक हुई। तीमारदारों के लिए भी विश्राम की व्यवस्था की गई जो पहले भी की जा सकती थी। ऐसे ही जीवन रक्षक उपकरण भी मरीजों के लिए गोदाम से निकाले गए, जो पहले भी मरीजों के काम आ सकते थे। ऐसी तमाम व्यवस्थाएं जो रविवार को नजर आई वो हर दिन क्यों नहीं होती, इसको लेकर तीमारदारों के बीच दिनभर जमकर चर्चाएं होती रही।


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