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निगम की नहीं, हमारी है नई सड़क की भूमि

मल्टीलेवल पार्किग और नए कार्यालय के लिए जमीन की तलाश कर रहे नगर निगम ने नई सड़क शास्त्रीनगर स्थित खसरा संख्या 6041 की भूमि पर इसकी योजना तैयार की तो उसमें कानूनी नोटिस के माध्यम से अड़ंगा लगा दिया गया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Oct 2021 07:36 AM (IST)Updated: Mon, 11 Oct 2021 07:36 AM (IST)
निगम की नहीं, हमारी है नई सड़क की भूमि
निगम की नहीं, हमारी है नई सड़क की भूमि

मेरठ, जेएनएन। मल्टीलेवल पार्किग और नए कार्यालय के लिए जमीन की तलाश कर रहे नगर निगम ने नई सड़क शास्त्रीनगर स्थित खसरा संख्या 6041 की भूमि पर इसकी योजना तैयार की तो उसमें कानूनी नोटिस के माध्यम से अड़ंगा लगा दिया गया है। एक व्यक्ति ने हाईकोर्ट के अधिवक्ता के माध्यम से शासन को नोटिस भेजकर दावा किया है कि इस जमीन पर त्रुटिपूर्ण तरीके से निगम का नाम दर्ज किया गया है। जमीन उनकी है। लिहाजा उनका नाम दर्ज किया जाए। नोटिस पर शासन ने जिला प्रशासन और नगर आयुक्त से रिपोर्ट मांगी है।

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कार्यकारिणी के निर्णय पर कानूनी नोटिस : नगर निगम ने नई सड़क शास्त्रीनगर स्थित खसरा संख्या 6041 की भूमि नौ बीघा पांच बिस्वा पर अपना नया कार्यालय, शापिंग कांप्लेक्स तथा मल्टीलेवल पार्किग का निर्माण करने का प्रस्ताव तैयार करके उसे नगर निगम कार्यकारिणी की 8 अप्रैल 2021 की बैठक में स्वीकृत कराया था। कार्यकारिणी के इसी प्रस्ताव पर रूपकिशोर माथुर की ओर से हाईकोर्ट के अधिवक्ता संजय कुमार श्रीवास्तव द्वारा शासन को कानूनी नोटिस भेजा गया है।

जमीन हमारी है, गलत दर्ज है निगम का नाम : अधिवक्ता ने नोटिस में दावा किया है कि इस भूमि पर निगम का नाम त्रुटिपूर्ण दर्ज किया गया है। जमीन रूपकिशोर माथुर की है। उन्होंने निगम का नाम काटकर अपना नाम दर्ज कराने की मांग की है।

शासन ने जिला प्रशासन से मांगी रिपोर्ट : नगर विकास अनुभाग के विशेष सचिव डा. इंद्रमणी त्रिपाठी ने जिलाधिकारी और नगर आयुक्त को पत्र भेजकर यह नोटिस तथा उसमें किए गए मालिकाना हक के दावों पर रिपोर्ट मांगी है।

आवास विकास और निगम में चला 12 साल विवाद : जानकारों के अनुसार इस जमीन के मालिकाना हक को लेकर नगर निगम और आवास विकास के बीच 12 साल तक विवाद न्यायालय में चला। आवास विकास ने इस जमीन को अधीगृहीत जमीन बताते हुए चाहरदीवारी करने का प्रयास किया लेकिन निगम ने उसका विरोध किया। बताया जाता है कि इस मामले में निर्णय निगम के पक्ष में हुआ है।

कब्जा हटाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा निगम : प्रोजेक्ट की स्वीकृति के बावजूद नगर निगम इस जमीन पर खोखों आदि के माध्यम से किए गए अवैध कब्जे को हटवाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। चार बार यहां से अतिक्रमण हटाने के लिए तिथि नियत की जा चुकी है। लेकिन व्यापारियों के विरोध की आशंका को देखते हुए अभियान नहीं चला।

निगम का नया कार्यालय, शापिंग कांप्लेक्स तथा मल्टीलेवल पार्किग शहर की प्राथमिक आवश्यकताएं हैं। इनके पूरा होने में कोई बाधा नहीं आने दी जाएगी।

सुरेन्द्र सिंह, कमिश्नर


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