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इतिहास में अब व्यक्ति नहीं, वैश्विक वस्तुओं का महत्व

चौ. चरणसिंह विवि के इतिहास विभाग में आयोजित 10 दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. केके शर्मा ने कहा कि फ्रांस के सबसे बड़े इतिहासकार मार्क ब्लॉक के अनुसार जो कुछ घटित हो गया है वह परिवर्तित नहीं होता है लेकिन इतिहास के प्रति हमारा विचार बदलता रहता है जिससे नए-नए इतिहास की सृष्टि होती है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 29 Feb 2020 04:00 AM (IST)Updated: Sat, 29 Feb 2020 06:09 AM (IST)
इतिहास में अब व्यक्ति नहीं, वैश्विक वस्तुओं का महत्व
इतिहास में अब व्यक्ति नहीं, वैश्विक वस्तुओं का महत्व

मेरठ, जेएनएन। चौ. चरणसिंह विवि के इतिहास विभाग में आयोजित 10 दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. केके शर्मा ने कहा कि फ्रांस के सबसे बड़े इतिहासकार मार्क ब्लॉक के अनुसार 'जो कुछ घटित हो गया है, वह परिवर्तित नहीं होता है लेकिन इतिहास के प्रति हमारा विचार बदलता रहता है जिससे नए-नए इतिहास की सृष्टि होती है।' इतिहास पहले राजनीतिक अधिक था, लेकिन अब आर्थिक एवं सामाजिक इतिहास का महत्व अधिक है।

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प्रो.शर्मा ने कहा कि पहले इतिहास में व्यक्ति का अधिक महत्व था, अब वैश्रि्वक वस्तुओं का अधिक महत्व है। इतिहास में पहले व्याख्या अधिक थी, लेकिन वर्तमान में इतिहास में विश्लेषण पर अधिक जोर दिया जा रहा है। पहले इतिहास में एक कारण पर विशेष बल दिया जाता था, लेकिन अब समस्या के विभिन्न कारण हैं। अंग्रेजों के इतिहास की आलोचना इसलिए की जाती है, क्योंकि जो इतिहास उन्होंने लिखा वह भारतीयों के लिए नहीं था। वे अपनी आय बढ़ाने के लिए लिखते थे। वही इतिहास पढ़कर भारतीय अपना मूल्याकन करने लगे। राष्ट्रवादी दृष्टिकोण के अंतर्गत भारतीयों ने आभास किया कि हमें अपना इतिहास लिखना चाहिए तथा इसी समय इतिहास के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित होने लगे।

डा. विकास शर्मा ने कहा कि जेपी व अन्ना आंदोलन के अनुयायियों ने आंदोलन की शुचिता, विश्वसनीयता व उद्देश्य को धूमिल किया है। उन्होंने कहा कि राजनीति में तुष्टिकरण राजनीति का विकृत रूप है, जिसे समझने की आवश्यकता है। विभागाध्यक्ष प्रो. एवी कौर ने कहा कि साहित्य इतिहास का महत्वपूर्ण स्त्रोत है। आंदोलन किसी भी देश का प्राण है। इसी प्राणवायु से देश व समाज का विकास होता है। पूर्व आयुक्त डा. आरके भटनागर ने कहा कि भारत में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, सास्कृतिक कई प्रकार के आंदोलन भारत में होते रहे हैं।


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