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मेडिकल में भी होगी निपाह वायरस की जांच

माइक्रोबायोलॉजी विभाग पीसीआर तकनीक से करेगा जांच, अभी पुणे में ही होती है जांच। दिमागी बुखार से मिलते हैं लक्षण, कटे फल व सब्जियों में भी संक्रमण संभव।

By JagranEdited By: Published: Sun, 27 May 2018 10:57 AM (IST)Updated: Sun, 27 May 2018 10:57 AM (IST)
मेडिकल में भी होगी निपाह वायरस की जांच
मेडिकल में भी होगी निपाह वायरस की जांच

मेरठ। (संतोष शुक्ल) अगर दिमागी बुखार के लक्षणों के साथ सांस भी फूल रही है तो सावधान होने का वक्त है। कहीं मरीज केरल से आए किसी मरीज के संपर्क में तो नहीं आ गया। यह निपाह वायरस हो सकता है। हालांकि मेडिकल कालेज का माइक्रोबायोलॉजी विभाग निपाह वायरस की जांच के लिए तैयार है। मालीक्यूलर तकनीक से रिपोर्ट चंद घटों में मिल जाएगी। यह तकनीक पीजीआई और केजीएमसी में ही उपलब्ध है। दिमागी बुखार मत समझ लेना

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निपाह वायरस जापानी इंसेफ्लाइटिस की तरह दिमाग में सूजन बढ़ाता है। तेज बुखार एवं बदन दर्द के साथ ही आंखों के सामने धुंधलापन छा जाता है। मरीज को उल्टी, सुस्ती व गफलत होने लगती है। कई मरीज कोमा में पहुंच जाते हैं।

-विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक इससे 50 फीसद लोगों की मौत हो जाती है। न्यूरोलाजिकल और सांस की बीमारी बढ़ने से मरीज की स्थित गंभीर होने लगती है। बांग्लादेश, सिंगापुर, मलेशिया में भी बड़ी संख्या में मरीज मिल चुके हैं।

-यह बीमारी इंसेफ्लाइटिस से इतनी मिलती जुलती है कि बिना जांच इसमें अंतर नहीं किया जा सकता। नेशनल इंस्टीटयूट आफ वायरोलॉजी पुणे की रिपोर्ट के मुताबिक संक्रमित मरीज को तत्काल लोगों से अलग किया जाता है। वायरस पर शोध शुरू कर दिया गया है। चमगादड़ ही अकेला जीव नहीं

निपाह एक आरएनए वायरस है, जो चमगादड़ की यूरिन में मिलता है। यह वायरस उन पेड़ों के नीचे पहुंचने वाले जीवों के जल्द संक्रमित करता है, जहां चमगादड़ रहते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक पेड़ के आसपास चरने वाले घोड़ों, भेड़, बकरी व कई बार मांसाहारी जीवों में भी वायरस पहुंच जाता है। मानव आबादी में पहुंचकर ये जीव महामारी का कारण बन सकते हैं। मेडिकल जांच में सक्षम

मेडिकल कालेज में निपाह की जांच की जा सकेगी। पीसीआर (पोली मेयर्स चेन रिएक्शन) जांच में निपाह वायरस के आरएनए को एंप्लीफाई (कई गुना बढ़ाना) करते हुए एंटी बॉडी की जांच की जाती है। एच1एन1 की तर्ज पर होने वाली जांच की रिपोर्ट चंद घंटों में मिल जाएगी। इसके लिए विभाग को रिएजेंट (जांच में आवश्यक केमिकल) की व्यवस्था करनी पड़ेगी। मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलॉजीके विभागाध्यक्ष डा. अमित गर्ग ने बताया कि मेडिकल कालेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब किसी भी वायरस एवं बैक्टीरिया की जांच कर सकती है। हाइटेक उपकरण एवं संसाधन मौजूद हैं, सिर्फ रीएजेंट की जरूरत पड़ेगी। फिलहाल कोई सैंपल नहीं आया है। सीएमओ डा. राजकुमार ने बताया कि शासन ने बचाव संबंधी गाइड लाइन जारी की है। संक्रमित व कटे फल न खाएं। कटी फटी सब्जियां भी खाने से परहेज करें। पिग व चमगादड़ों से दूर रहें। हाथ साफ करने के बाद ही भोजन करें। फिजीशियन डा. वीके बिंद्रा ने बताया कि निपाह भी हेंड्रा ग्रुप का वायरस है, जिसमें एक्यूट रिस्पेरेटरी फेल्योर होता है। यह खतरनाक बीमारी है। फिलहाल मेरठ में कोई मरीज नहीं मिला है, लेकिन केरल में आउटब्रेक के बाद लोगों को सतर्क होना चाहिए।


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