NIA officer Tanzil ahmed murder: फांसी के फैसले पर बोले स्वजन- आज मिला इंसाफ, न्याय पालिका पर था पूरा भरोसा
Tanzil ahmed murder एनआइए अफसर तंजील अहमद व उनकी पत्नी फरजाना दो अप्रैल 2016 की रात्रि को हत्या कर दी गई थी। उनके साथ लौट रहे पुत्र शहबाज अहमद व पुत्री जिमनिश अहमद को आज भी वह खौफनाक रात याद है।
बिजनौर, जागरण संवाददाता। एनआइए अफसर तंजील अहमद व उनकी पत्नी फरजाना के हत्याकांड में शनिवार को आरोपितों को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद परिवार ने न्याय पालिका को शुक्रिया अदा किया। मूल रूप से स्योहारा के सहसपुर निवासी अफसर तंजील अहमद के भाई व उनका परिवार आज भी सहसपुर में रहता है। फैसला आने के बाद स्वजन ने कहा कि परिवार को न्याय पालिका पर पूरा भरोसा था। इस फैसले से परिवार को सही न्याय मिला है।
'फांसी की सजा से माता-पिता को मिली सच्ची श्रद्धांजलि'
दो अप्रैल 2016 की रात्रि को शादी समारोह से हंसी खुशी माता पिता के साथ लौट रहे तंजील अहमद के पुत्र शहबाज अहमद व पुत्री जिमनिश अहमद को आज भी वह खौफनाक रात याद है। जिसे याद करके वह सिहर उठते हैं। वह रात इन दोनों बच्चों के लिए किसी कयामत की रात से कम नहीं थी। माता पिता पर गोलियां चलती देख दोनों बच्चों ने कार की पिछली सीट के नीचे छिपकर अपनी जान बचाई थी। वर्तमान में 19 वर्षीय शहबाज दिल्ली से बीएससी बायोटेक और बेटी 21 वर्षीय जिमनिश कनाडा से एमबीए की पढ़ाई कर रही हैं। न्यायालय का निर्णय आने के बाद सहसपुर निवासी तंजील अहमद के चचेरे भाई हसीब अहमद ने भतीजे शहबाज से फोन पर बात की। इस दौरान शहबाज ने फोन पर दैनिक जागरण से भी वार्ता की, जिसमें उन्होंने कहा कि सही मायनों में आज उनके माता पिता की आत्मा को शांति मिली होगी। उन्होंने न्याय पालिका के इस निर्णय को अपने माता पिता के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि बताया है।
दोनों इसी सजा के थे हकदार: रागिब अहमद
फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद सहसपुर में एनआइए अफसर तंजील अहमद के परिवार में खुशी जाहिर की। तंजील अहमद के भाई रागिब अहमद व चचेरे भाई हसीब अहमद ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि परिवार उनके भाई व भाभी की कमी कभी पूरी नहीं की जा सकती है, लेकिन आज न्याय पालिका के फैसले से परिवार को सही मायने में न्याय मिल गया है। भले ही न्याय मिलने पर करीब छह वर्ष का समय लगा है, लेकिन हत्यारोपितों ने जो जुर्म किया था, न्यायालय ने उन्हें उनके सही अंजाम तक पहुंचा दिया है। मुनीर व रैय्यान दोनों इसी सजा के हकदार थे।
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