लापरवाही : 190 लोगों ने लिया अनुदान, नहीं बनवाया शौचालय Meerut News
मामला खुलने के बाद निगम में हड़कंप मच गया था। जिसके बाद से ही नगर आयुक्त ने रिकवरी के आदेश दिए थे। लेकिन अभी भी 90 मामलों का पता नहीं चल पा रहा है।
मेरठ, जेएनएन। नगर निगम सीमा के अंतर्गत 190 लोगों ने सरकार से अनुदान राशि का भुगतान तो ले लिया लेकिन शौचालय का निर्माण नहीं कराया। मामला प्रकाश में आया तो नगर आयुक्त ने लोगों से धनराशि की रिकवरी के आदेश जारी किए। नगर निगम अधिकारियों का दावा है अभी तक 100 लोगों से धनराशि की रिकवरी की जा सकी है। करीब 90 लोग अभी भी लापता हैं, जिनको खोजा जा रहा है।
योजना का लिया लाभ पर कार्य नहीं
खुले में शौच मुक्त शहर के लिए घर-घर शौचालय बनाने की केंद्र सरकार ने योजना लांच की थी। नगर निगम के अंतर्गत सुपरवाइजरों से उन घरों का सर्वे कराया गया था जो नालियां में मल बहा रहे थे। करीब 12000 घरों का आंकड़ा सामने आया था। इस लक्ष्य के सापेक्ष आवेदन मांगे गए थे। करीब 11,700 आवेदन नगर निगम को प्राप्त हुए थे। इन आवेदकों के खाते में प्रथम राशि के तौर पर 4000 रुपये डाले गए। गड्ढा बनाने के बाद आवेदकों को स्वच्छ भारत मिशन के पोर्टल पर फोटो अपलोड करने थे। उसके बाद दूसरी किश्त में इतनी ही धनराशि जारी की जानी थी, लेकिन जब शहर को खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया तब शासन ने फाइनल रिपोर्ट तलब की। रिपोर्ट में भेजे गए आंकड़ों और पोर्टल पर अपलोड रिपोर्ट में भिन्नता पायी गई। आशंका जताई गई कि 300 के आसपास शौचालय नहीं बने। वहीं, नगर आयुक्त डॉ. अरविंद कुमार चौरसिया ने जांच शुरू कराई। सफाई एवं खाद्य निरीक्षकों ने गड्ढे खोजने शुरू किए तो पता चला कि 190 लोगों ने अनुदान राशि की पहली किश्त तो ले ली, लेकिन शौचालय ही नहीं बनवाए। दरअसल, बिचौलियों से सेटिंग कर लोगों ने अनुदान राशि तो ले ली लेकिन बैंक में होने की वजह से निकाल नहीं सके।
90 लोगों से रिकवरी है अभी बाकी
इस फर्जीवाड़े में 190 लोगों में से 100 से धनराशि की रिकवरी की जा चुकी है। 90 लोग से अभी भी धनराशि वापस नहीं मिली है। दरअसल, धनराशि आवेदकों के बैंक खाते में डाली गई थी। इसलिए नगर निगम अधिकारियों ने आवेदकों की धनराशि की रिकवरी के लिए बैंकों को पत्र भेजा है। नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. गजेंद्र सिंह ने कहा कि इस मामले में गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।