इस बार लोकसभा चुनाव के फेर में फंसा ऐतिहासिक नौचंदी मेला,जानिए क्यों
300 साल पुरानी नौचंदी मेले के उद्घाटन से जुड़ी परंपरा पहली बार टूट जाएगी। मेले का आगाज 31 मार्च को होना चाहिए लेकिन यह अब संभव हो पाएगा होगा मतदान (11 अप्रैल) के बाद।
By Ashu SinghEdited By: Published: Sun, 24 Mar 2019 11:23 AM (IST)Updated: Sun, 24 Mar 2019 11:23 AM (IST)
मेरठ, [जागरण स्पेशल]। 300 साल पुरानी नौचंदी मेले के उद्घाटन से जुड़ी परंपरा पहली बार टूट जाएगी। परंपरा के अनुसार मेले का आगाज 31 मार्च को होना चाहिए, लेकिन यह अब संभव हो पाएगा होगा मतदान (11 अप्रैल) के बाद। वजह बताई जा रही है कि चुनाव आचार संहिता की वजह से टेंडर नहीं खोले जा सके।
पहली बार ऐसा मौका
नौचंदी मेले की बाबत सदियों पुरानी यह परंपरा न मुगलों के समय टूटी और न ही अंग्रेजों के समय। मेले के समय चुनाव भी आया। सांप्रदायिक सौहार्द वाले इस मेले में बड़ी संख्या में मुस्लिम दुकानदार होते हैं, लेकिन परंपरा तब भी नहीं टूटी जब मेले के दौरान रमजान था। हैरान करने वाली बात यह है जिला पंचायत अध्यक्ष खुद भाजपा के हैं, पर इस बार वजह बना चुनाव। नौचंदी मेले की तैयारी के लिए जिला पंचायत ने अलग-अलग कार्यो के टेंडर काफी पहले आमंत्रित किए थे,लेकिन जब टेंडर खोलने का वक्त आया तब उसी बीच आचार संहिता लग गई। इसकी वजह से टेंडर खोले नहीं जा सके और तैयारी नहीं हो पाई।
चुनाव आयोग के जवाब का इंतजार
प्रथम चरण में मतदान होने के कारण प्रशासन व पुलिस की व्यस्तता भी अधिक है। मेले के आयोजन से प्रशासन और पुलिस को वहां की स्थिति भी देखनी पड़ेगी। टेंडर खोलने की अनुमति जिला निर्वाचन अधिकारी से मांगी गई थी,लेकिन यह प्रकरण राज्य निर्वाचन आयोग को रेफर कर दिया गया। अभी तक वहां से इस संबंध में कोई जवाब नहीं आया है।ऐसे में जिला पंचायत ने 31 मार्च को उद्घाटन के बजाय मतदान के बाद किसी तिथि को उद्घाटन का विचार किया है। जैसे ही निर्वाचन आयोग से जवाब आएगा, उसके अनुसार मेला समिति की बैठक में नई तिथि पर निर्णय लिया जाएगा। यदि टेंडर खोलने की अनुमति मिल गई तो उद्घाटन जल्द से जल्द हो सकेगा। वैसे भी उद्घाटन के एक महीने बाद ही नौचंदी मेला विधिवत शुरू हो पाता है।
परंपरा टूटी तो उठेंगे कई सवाल
इस बार मेला आयोजन की जिम्मेदारी जिला पंचायत की है। यह बात जिला पंचायत को एक साल पहले ही मालूम थी। पिछले वर्ष का मेला नगर निगम ने कराया था। बारी-बारी से यह दोनों मेला आयोजित कराते हैं। इस बार भी तय था कि मार्च अप्रैल के आसपास चुनाव भी होंगे। ऐसे में टेंडर जारी करने व खोलने में इतनी देरी क्यों की गई कि अब उसके लिए निर्वाचन आयोग से अनुमति की जरूरत पड़ रही है। यह ऐसी कोई योजना नहीं है कि अनुमति नहीं मिल सकेगी। मेला उद्घाटन के एक माह बाद ही शुरू हो पाता है इसलिए तैयारी बाद में भी कराई जा सकती है।
इनका कहना है
31 को उद्घाटन नहीं हो पाएगा। निर्वाचन आयोग के जवाब के बाद नई तिथि पर फैसला करेंगे। इस संबंध में कमिश्नर व डीएम से बात भी हुई है। तैयारी तो इसी हिसाब से थी कि समय पर उद्घाटन हो, लेकिन आचार संहिता की वजह से टेंडर भी नहीं खोले जा सके। परंपरा टूटने जैसी कोई बात नहीं है। परंपरा को समृद्ध करते हुए भारतीय संस्कृति से ओतप्रोत उद्घाटन भव्य किया जाएगा।
- कुलविंदर सिंह, जिला पंचायत अध्यक्ष
मेरे पास नौचंदी मेले के टेंडर से संबंधित अनुमति के लिए जिला पंचायत का आवेदन आया था, उसे राज्य निर्वाचन आयोग भेजा गया है। जैसे ही जवाब आएगा जिला पंचायत को अवगत कराएंगे। परंपरा की कोई बात थी तो इसका पहले से ध्यान रखा जाना था।
- अनिल ढींगरा, जिला निर्वाचन अधिकारी व जिलाधिकारी
पहली बार ऐसा मौका
नौचंदी मेले की बाबत सदियों पुरानी यह परंपरा न मुगलों के समय टूटी और न ही अंग्रेजों के समय। मेले के समय चुनाव भी आया। सांप्रदायिक सौहार्द वाले इस मेले में बड़ी संख्या में मुस्लिम दुकानदार होते हैं, लेकिन परंपरा तब भी नहीं टूटी जब मेले के दौरान रमजान था। हैरान करने वाली बात यह है जिला पंचायत अध्यक्ष खुद भाजपा के हैं, पर इस बार वजह बना चुनाव। नौचंदी मेले की तैयारी के लिए जिला पंचायत ने अलग-अलग कार्यो के टेंडर काफी पहले आमंत्रित किए थे,लेकिन जब टेंडर खोलने का वक्त आया तब उसी बीच आचार संहिता लग गई। इसकी वजह से टेंडर खोले नहीं जा सके और तैयारी नहीं हो पाई।
चुनाव आयोग के जवाब का इंतजार
प्रथम चरण में मतदान होने के कारण प्रशासन व पुलिस की व्यस्तता भी अधिक है। मेले के आयोजन से प्रशासन और पुलिस को वहां की स्थिति भी देखनी पड़ेगी। टेंडर खोलने की अनुमति जिला निर्वाचन अधिकारी से मांगी गई थी,लेकिन यह प्रकरण राज्य निर्वाचन आयोग को रेफर कर दिया गया। अभी तक वहां से इस संबंध में कोई जवाब नहीं आया है।ऐसे में जिला पंचायत ने 31 मार्च को उद्घाटन के बजाय मतदान के बाद किसी तिथि को उद्घाटन का विचार किया है। जैसे ही निर्वाचन आयोग से जवाब आएगा, उसके अनुसार मेला समिति की बैठक में नई तिथि पर निर्णय लिया जाएगा। यदि टेंडर खोलने की अनुमति मिल गई तो उद्घाटन जल्द से जल्द हो सकेगा। वैसे भी उद्घाटन के एक महीने बाद ही नौचंदी मेला विधिवत शुरू हो पाता है।
परंपरा टूटी तो उठेंगे कई सवाल
इस बार मेला आयोजन की जिम्मेदारी जिला पंचायत की है। यह बात जिला पंचायत को एक साल पहले ही मालूम थी। पिछले वर्ष का मेला नगर निगम ने कराया था। बारी-बारी से यह दोनों मेला आयोजित कराते हैं। इस बार भी तय था कि मार्च अप्रैल के आसपास चुनाव भी होंगे। ऐसे में टेंडर जारी करने व खोलने में इतनी देरी क्यों की गई कि अब उसके लिए निर्वाचन आयोग से अनुमति की जरूरत पड़ रही है। यह ऐसी कोई योजना नहीं है कि अनुमति नहीं मिल सकेगी। मेला उद्घाटन के एक माह बाद ही शुरू हो पाता है इसलिए तैयारी बाद में भी कराई जा सकती है।
इनका कहना है
31 को उद्घाटन नहीं हो पाएगा। निर्वाचन आयोग के जवाब के बाद नई तिथि पर फैसला करेंगे। इस संबंध में कमिश्नर व डीएम से बात भी हुई है। तैयारी तो इसी हिसाब से थी कि समय पर उद्घाटन हो, लेकिन आचार संहिता की वजह से टेंडर भी नहीं खोले जा सके। परंपरा टूटने जैसी कोई बात नहीं है। परंपरा को समृद्ध करते हुए भारतीय संस्कृति से ओतप्रोत उद्घाटन भव्य किया जाएगा।
- कुलविंदर सिंह, जिला पंचायत अध्यक्ष
मेरे पास नौचंदी मेले के टेंडर से संबंधित अनुमति के लिए जिला पंचायत का आवेदन आया था, उसे राज्य निर्वाचन आयोग भेजा गया है। जैसे ही जवाब आएगा जिला पंचायत को अवगत कराएंगे। परंपरा की कोई बात थी तो इसका पहले से ध्यान रखा जाना था।
- अनिल ढींगरा, जिला निर्वाचन अधिकारी व जिलाधिकारी
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