नमो देव्यै : मेरठ की कुमुदिनी, लाखों का पैकेज ठुकरा नौसेना में अफसर बनकर घुसपैठियों पर कस रहीं नकेल
Namo Devyai Meerut मेरठ के खरखौदा की कुमुदिनी नौसेना में अफसर बनकर देश की सेवा कर रही हैं। अब अरब सागर और हिंद महासागर क्षेत्र में घुसपैठियों और नक्सलियों पर नकेल कस रही हैं। माता पिता के साथ-साथ पूरे कस्बे को उनपर नाज है।
प्रमोद त्यागी, मेरठ। Namo Devyai सपने देखना बुरी बात नहीं लेकिन जरूरत है इन्हें साकार करने के लिए जुनून और लगन की। कुछ लोग स्वप्न तो देखते हैं लेकिन चुनौतियों से डरकर रास्ता बदल देते हैं। लेकिन कुमुदिनी ने ऐसा नहीं किया।
नक्सलियों पर नकेल
कंप्यूटर साइंस में बीटेक के बाद नौकरी का प्रस्ताव ठुकराया और मेहनत के साथ पढ़ाई कर वर्ष 2018 में नौसेना ज्वाइन कर ली। अब अरब सागर और हिंद महासागर क्षेत्र में घुसपैठियों और नक्सलियों पर नकेल कस रही हैं मेरठ के खरखौदा की बिटिया।
कस्बे ही पूरे देश का मान बढ़ाया
कुमुदिनी पर उनके परिवार और कस्बे को ही नहीं पूरे देश को गर्व है। यह साहसी बेटी नौ सेना में अफसर हैं, और हेलीकाप्टर देश की रक्षा के लिए संकल्पबद्ध है। कुमुदिनी वर्ष 2020 में भारत की पहली महिला बनी जिन्होंने नौसेना में लेफ्टिनेंट का पद प्राप्त किया। ट्रेनिंग के बाद उनकी तैनाती अरब सागर और हिंद महासागर पर बने भारतीय सेना के युद्धपोत पर हुई गई है।
यह बताया पिता ने
साहस के साथ वह अपने कर्तव्य को निभाकर देश सेवा कर रही है। पनडुब्बियों के द्वारा समुद्री मार्ग से घुसपैठ करने वाले घुसपैठियों पर कुमुदिनी त्यागी ने नकेल कस रखी हैं। कुमुदिनी के पिता प्रवेश त्यागी ने बताया कि वह गाजियाबाद में सिक्योरिटी एजेंसी के संचालक है। कुमुदिनी ने बचपन से जो सपना देखा था वह बीटेक करने के बाद नौसेना में जाकर देश सेवा से पूरा हुआ। जिस दिन उसकी तैनाती युद्धपोत पर हुई परिवार के लिए खुशी का दिन था। मां मंजुला त्यागी कहती है कि बेटी को देश सेवा करता देख उन्हें बहुत खुशी और गर्व का अहसास होता है।
देश सेवा के लिए ठुकराया लाखों का पैकेज
पिता प्रवेश त्यागी बताते हैं कि कंप्यूटर विज्ञान से बीटेक करने के बाद कुमुदिनी का लाखों रुपए के पैकेज पर एक बड़ी कंपनी में चयन हो गया था। जिसे उसने ठुकरा दिया। परिवार के लोगों ने कंपनी में काम करने के लिए जबरदस्ती की। लेकिन उसने किसी की नहीं सुनी उसके बाद 2018 में उसका चयन नौसेना में हो गया और 2020 में लेफ्टिनेंट बनकर युद्धपोत पर तैनाती हो गई।