नाला ढकने की योजना में फेल हुआ जल निगम, एमडीए और नगर निगम
शहर में खुले नाले आज भी जान के दुश्मन बने हुए हैं। अगर योजनाओं पर अमल किया गया होता तो वर्तमान में शहर की स्वच्छता और पार्किंग की समस्या काफी हद तक हल हो जाती।
मेरठ, जेएनएन। जानलेवा शहर के नालों को ढकने के लिए जल निगम, नगर निगम और एमडीए की ओर से योजनाएं तो खूब बनाई गईं, लेकिन परवान चढ़ नहीं सकीं। इससे खुले नाले आज भी जान के दुश्मन बने हुए हैं। अगर योजनाओं पर अमल किया गया होता तो वर्तमान में शहर की स्वच्छता और पार्किंग की समस्या काफी हद तक हल हो जाती।
कई योजनाएं बनी पर एक भी अमल नहीं हुई
4 जून 2012 को तत्कालीन नगर विकास मंत्री आजम खां ने 407 करोड़ से शहर के 30 पुराने नालों की सूरत बदलने, उन्हें ढकने, उनके ऊपर मल्टी लेवल पार्किंग बनाने, घूमने के लिए बगीचा और चारों ओर पेड़ लगाने की घोषणा की थी। जल निगम की सीएंडडीएस शाखा ने इसे तैयार किया था। एमडीए ने 503 करोड़ की आबू कैनाल योजना बनाई। एनसीआर प्लानिंग बोर्ड से ऋण लेकर 38 किमी आबू नाले में से 20 किमी का जीर्णोद्वार करने की योजना थी, लेकिन हुआ कुछ नहीं। लगातार मौतों पर हाईकोर्ट सख्त हुआ तब नगर निगम ने नालों के ऊपर जाल लगाकर उन्हें ढकने और दीवार ऊंचा करने की योजना तैयार की। 431 करोड़ की इस योजना को निगम अफसरों ने अपने जवाब के साथ कोर्ट में पेश भी किया। कोर्ट को बताया गया था कि योजना को स्वीकृति और बजट की डिमांड के लिए शासन को भेजा गया है। लेकिन शासन स्तर से इन योजनाओं पर कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई। खुले नाले शहर की 20 लाख जनता की समस्याओं का केंद्र बने हैं।
सुधार में करोड़ों खर्च फिर भी मौत का मंजर
उधर शहर के नालों की जर्जर स्थिति को सुधारने के लिए हर साल 15 करोड़ से ज्यादा नालों के सुधार कार्य पर खर्च कर दिए जा रहे हैं। कुछ दिन पहले ही नगर निगम ने 14 वां वित्त आयोग के बजट से नाला निर्माण और सुधार की कार्ययोजना तैयार की है। इसके बावजूद नाले मौत का कारण बने हुए हैं।
नाले ढकने से ये होंगे लाभ
- बंद नाले का जल प्रवाह बना रहेगा। जिससे जलभराव की स्थिति नही बनेगी।
- शहर में पार्किंग की समस्या है। नाला ढकने पर पार्किंग के लिए उपयोग हो सकता है।
- ढके नाले का उपयोग फुटपाथ और पैदल आवागमन के लिए किया जा सकता है।
- नाले में कूड़ा नहीं फेंका जाएगा। जिससे स्वच्छता नजर आएगी।
- ढकने के बाद नाले में गिरने से मौत होने का खतरा कम होगा।
नाला ढका तो सड़क से भी चौड़ी जगह मिली
मालूम हो कि सपा सरकार में नगर विकास मंत्री आजम खां ने एमएलसी डॉ. सरोजनी अग्रवाल की मांग पर उनके हॉस्पिटल व आवास के सामने खुले नाले का छोटा हिस्सा ढक दिया था। बेगमपुल से कचहरी नाले के इस हिस्से के ढकने के बाद उस क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या पार्किंग का काफी हद तक समाधान हो गया है। यही कार्य दूसरे नालों पर भी किया जाए तो शहर के लिए बदनुमा दाग बने नालों के ऊपरी हिस्से को ढकने के बाद सदुपयोग में लाया जा सकता है।
इनका कहना है
खुले नालों को ढककर न केवल दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है, बल्कि पार्किग की समस्या से निजात भी मिल सकती है। साथ ही उसे पैदल मार्ग के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
- सुनीता वर्मा, महापौर
नाला ढकने से राहत तो मिलेगी। लेकिन प्रोजेक्ट पर खर्च अधिक होने के कारण योजनाएं साकार नहीं हो पा रही हैं। वर्तमान में कूड़ा निस्तारण पर सरकार का फोकस है। इसे प्राथमिकता में रखा गया है।
- अमित सिंह, अपर नगर आयुक्त