किसी से कम नहीं महिलाएं, जरूरत खुद को पहचानने की है
प्रकृति ने स्त्री और पुरुष में कोई भेद नहीं किया। स्त्री कमजोर नहीं हैं वह शक्ति का रूप है बस जरूरत उसे अपनी शक्ति को पहचानने की है। आज भी एक परिवार में अंतिम सत्ता की कुंजी महिलाओं के पास है। चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में वर्तमान समय में भारत में महिलाओं के सामाजिक और वैधानिक अधिकार विषय पर आयोजित संगोष्ठी में वक्ताओं ने यह बात कही।
मेरठ । प्रकृति ने स्त्री और पुरुष में कोई भेद नहीं किया। स्त्री कमजोर नहीं हैं, वह शक्ति का रूप है, बस जरूरत उसे अपनी शक्ति को पहचानने की है। आज भी एक परिवार में अंतिम सत्ता की कुंजी महिलाओं के पास है। चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में ' वर्तमान समय में भारत में महिलाओं के सामाजिक और वैधानिक अधिकार' विषय पर आयोजित संगोष्ठी में वक्ताओं ने यह बात कही।
अध्यक्षता करते हुए प्रतिकुलपति प्रो. वाई विमला ने कहा कि एक मां ही बेटे और बेटी दोनों को जन्म देती है, तो हम उनमें असमानता क्यों करते हैं। समाज को पूर्वाग्रह छोड़ना होगा। तभी हम न्याय कर पाएंगे। अजय मित्तल ने कहा कि वैदिक काल से स्त्री को अपने देश में महत्व दिया गया है। उन्होंने महिलाओं के कानूनी अधिकारों को बताया। इतिहास विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. केके शर्मा ने कहा कि देश में स्त्री को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार पहले से ही है। यदि स्त्री जागरूक हो जाए तो वह सरकार पलट सकती है। शल्या राज ने कहा कि एक स्त्री अगर किसी क्षेत्र में सक्षम है तो दूसरी स्त्री को आगे बढ़ाए। एक स्त्री लगातार मेहनत करती है, फिर भी घरेलू हिसा की शिकार होती है। प्रो. एवी कौर ने महिलाओं को सबल बनाने पर जोर दिया। प्रो. विघ्नेश कुमार ने कहा कि एक बच्चा सबसे पहले मां शब्द को बोलता है, इससे एक स्त्री की शक्ति और महत्ता को समझा जा सकता है। प्रो. आराधना ने महिलाओं के अधिकारों पर प्रकाश डाला। संचालन डा. शुचि ने किया। डा. पवन, डा. मुकेश पाल, कमलकांत, लोकेश, विकास, कालूराम, मोहित, हिमानी, कोमल का योगदान रहा।
इन्हें किया गया सम्मानित
महिला दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में प्रतिकुलपति प्रो. वाई विमला, डा. शाल्या राज, महिला बैंक की पहली मैनेजर काजल वर्मा को सम्मानित किया गया। इसके बाद महिला साक्षरता जन जागरूकता रैली निकाली गई।