तीन तलाक बिल पारित होने पर महिलाएं बोलीं- खत्म होगी सामाजिक बुराई Meerut News
एक लंबे इंतजार के बाद आखिरकार तत्काल तीन तलाक संबंधी बिल राज्यसभा से भी पास हो गया। इस बिल के पास होने पर जहां उलमा नाखुश हैं वहीं महिलाओं ने संतोष जताया है।
By Ashu SinghEdited By: Published: Wed, 31 Jul 2019 10:06 AM (IST)Updated: Wed, 31 Jul 2019 10:06 AM (IST)
मेरठ, जेएनएन। राज्यसभा में मंगलवार को तीन तलाक बिल पारित होने पर शहर की मुस्लिम महिलाओं ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि इस बिल के पारित होने से अब सामाजिक बुराई खत्म हो जाएगी। वहीं बिल के पारित होने का उलमा ने विरोध जताया है। मुस्लिम महिलाओं ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर बधाई दी।
कुरान की रोशनी में सही है कानून
राष्ट्रीय मुस्लिम मंच की महिला प्रकोष्ठ की संयोजिका शाहीन परवेज ने कहा कि तीन तलाक से मुक्ति दिला कर मोदी सरकार ने बड़ी सामाजिक बुराई को समाप्त किया है। कुरान की रोशनी में यह फैसला पूरी तरह सही है। मुस्लिम महिलाओं के लिए यह निर्णय बेहतर साबित होगा।
जिंदगी बन जाती थी नरक
शौकत कालोनी निवासी फरजाना ने कहा कि तीन तलाक के बाद महिला की जिंदगी नरक बन जाती थी। हलाला से गुजरना पड़ता था। इसका इस्लाम में कोई जिक्र नहीं है। कानून बनने से महिलाओं को इस ज्यादती से मुक्ति मिलेगी।
सामाजिक संस्थाएं आगे आएं
फैज-ए-आम डिग्री कालेज में शिक्षिका डा. फरहत खातून ने कहा कि तीन तलाक को लेकर बने कानून के वह खिलाफ हैं। इस्लाम में पहले से ही इस बारे में काफी कुछ लिखा है। सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से पुरुषों में औरत के प्रति आदर का भाव पैदा हो, ताकि वह तीन तलाक जैसी हरकत ही न करे।
शरीयत के खिलाफ है तीन तलाक कानून
शहर काजी जैनुस साजिदीन ने कहा कि तीन तलाक कानून शरीयत के खिलाफ है। हर मुसलमान कुरान और हदीस पर अमल करने का पाबंद है। इस कानून की बावत मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड से भी कोई मशिवरा नहीं लिया गया। उम्मीद है इस कानून के विरोध में बोर्ड सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगा। यह कानून मुस्लिम महिलाओं की बेहतरी में कोई भूमिका नहीं निभा पाएगा।
बिल मर्दों से ज्यादा औरतों के खिलाफ
कारी शफीकुर्रहमान ने कहा कि इस्लाम अल्लाह का बनाया कानून है। तीन तलाक का बिल पुरुषों से ज्यादा महिलाओं के खिलाफ है। अगर तीन तलाक देने वाला जेल चला जाएगा तो गुजारा भत्ता कौन देगा। सरकार को मुस्लिम महिलाओं की फिक्र है तो ऐसी महिलाओं के गुजारे का प्रबंध करना चाहिए। यह कानून मुस्लिमों के प्रति नफरत दर्शाता है।
कुरान की रोशनी में सही है कानून
राष्ट्रीय मुस्लिम मंच की महिला प्रकोष्ठ की संयोजिका शाहीन परवेज ने कहा कि तीन तलाक से मुक्ति दिला कर मोदी सरकार ने बड़ी सामाजिक बुराई को समाप्त किया है। कुरान की रोशनी में यह फैसला पूरी तरह सही है। मुस्लिम महिलाओं के लिए यह निर्णय बेहतर साबित होगा।
जिंदगी बन जाती थी नरक
शौकत कालोनी निवासी फरजाना ने कहा कि तीन तलाक के बाद महिला की जिंदगी नरक बन जाती थी। हलाला से गुजरना पड़ता था। इसका इस्लाम में कोई जिक्र नहीं है। कानून बनने से महिलाओं को इस ज्यादती से मुक्ति मिलेगी।
सामाजिक संस्थाएं आगे आएं
फैज-ए-आम डिग्री कालेज में शिक्षिका डा. फरहत खातून ने कहा कि तीन तलाक को लेकर बने कानून के वह खिलाफ हैं। इस्लाम में पहले से ही इस बारे में काफी कुछ लिखा है। सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से पुरुषों में औरत के प्रति आदर का भाव पैदा हो, ताकि वह तीन तलाक जैसी हरकत ही न करे।
शरीयत के खिलाफ है तीन तलाक कानून
शहर काजी जैनुस साजिदीन ने कहा कि तीन तलाक कानून शरीयत के खिलाफ है। हर मुसलमान कुरान और हदीस पर अमल करने का पाबंद है। इस कानून की बावत मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड से भी कोई मशिवरा नहीं लिया गया। उम्मीद है इस कानून के विरोध में बोर्ड सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगा। यह कानून मुस्लिम महिलाओं की बेहतरी में कोई भूमिका नहीं निभा पाएगा।
बिल मर्दों से ज्यादा औरतों के खिलाफ
कारी शफीकुर्रहमान ने कहा कि इस्लाम अल्लाह का बनाया कानून है। तीन तलाक का बिल पुरुषों से ज्यादा महिलाओं के खिलाफ है। अगर तीन तलाक देने वाला जेल चला जाएगा तो गुजारा भत्ता कौन देगा। सरकार को मुस्लिम महिलाओं की फिक्र है तो ऐसी महिलाओं के गुजारे का प्रबंध करना चाहिए। यह कानून मुस्लिमों के प्रति नफरत दर्शाता है।
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