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आंदोलन आढ़तियों का..किसान तो खेत में

तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग को लेकर गाजीपुर बार्डर पर 70 दिन से चल रहा आंदोलन समाप्त होने के आसार नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Feb 2021 12:30 AM (IST)Updated: Mon, 08 Feb 2021 12:30 AM (IST)
आंदोलन आढ़तियों का..किसान तो खेत में
आंदोलन आढ़तियों का..किसान तो खेत में

मेरठ, जेएनएन। तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग को लेकर गाजीपुर बार्डर पर 70 दिन से चल रहा आंदोलन अभी समाप्त होने के आसार दिखाई नहीं दे रहे हैं। वहीं, ऐसे किसानों की संख्या भी ज्यादा है जो आंदोलन से दूर खेतों में हैं। रविवार को गांव सैदीपुर, कौल, तिगरी में खेतों में किसानों से रूबरू होकर बातचीत की गई तो किसानों ने कहा कि यह आढ़तियों का आंदोलन है। अधिकांश किसान खेती में जुटे हैं और उनका इस आंदोलन से वास्ता नहीं है। किसानों का कहना है

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-गांव सैदीपुर निवासी गजे सिंह कहते हैं कि गन्ने की फसल कटाई का सीजन चल रहा है। ऐसे में किसान को आंदोलन का समय कैसे मिल सकता है। इसे पंजाब, हरियाणा के लोग हवा दे रहे हैं। इसमें कुछ आढ़ती व राजनैतिक दल भी लगे हैं। आखिर किसान कानून में ऐसा क्या है, जिसे काला कानून बताया जा रहा है। यह आंदोलन साजिशन है। भंवर सिंह का कहना है कि कुछ लोगों द्वारा स्वार्थ सिद्धि के लिए विरोध किया जा रहा है। 70 साल से किसान बिचौलियों के माध्यम से फसल बेच रहा है। अगर बिचौलिया किसानों की फसल से दूर होगा तो फसल का वाजिब दाम मिलेगा और किसान अपनी फसल को खुले बाजार में बेच सकता है। आखिर फिर विरोध क्यों। हां, फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य जरूर तय होना चाहिए। मुबारिकपुर गांव निवासी किसान रविद्र चौधरी कहते हैं कि हम अपनी फसल गेहूं, आलू व अन्य फसलें मंडी ले जाते हैं तो वहां फसलों के भाव आढ़ती तय करता है। किसान को नहीं पता होता कि वह अपनी फसल किस भाव में बेचें। कृषि कानूनों में सुधार किया गया है। यदि कोई खामी रह गई तो वह आंदोलन से नहीं, बल्कि सरकार से बात रखकर दूर की जा सकती है। गांव तिगरी निवासी श्रीपाल सिंह का कहना है कि किसान आंदोलन आढ़तियों का है। हमें तो अपनी खेती भी देखनी है। यदि हम भी किसान आंदोलन में चले जाएंगे तो खेती कौन देखेगा। बातचीत दौरान इनमें कृषि कानून अथवा किसान आंदोलन के प्रति कोई दिलचस्पी दिखाई नहीं दी।

श्रीपाल भी हाथ में बलकटी लिए मजदूरों के साथ गन्ने की छिलाई में व्यस्त थे। उन्होंने बताया किया मार्च में गन्ने व आलू आदि की फसल की बुवाई करनी है। जल्द से जल्द गन्ना खेत से मिल में पहुंचाने में लगे हैं।


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