बड़ा ही रंगीन रहा ये साल क्योंकि हर किसी ने अपना रंग दिखा दिया: मोरारी बापू Muzaffarnagar News
तीर्थनगरी शुकतीर्थ में श्रीराम कथा का श्रवण करने के लिए देश के विभिन्न प्रांतों से अनेक महिला-पुरुष श्रद्धालु नगरी में आए हुए हैं। श्रद्धालु नगरी में मंदिरों के दर्शन करने के साथ प्रसिद्ध कथा वाचक मोरारी बापू के मुख से ज्ञान की अमृत वर्षा में भीग रहे हैं।
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। तीर्थनगरी शुकतीर्थ स्थित गंगा तट पर चल रही श्रीराम कथा में मंगलवार को प्रसिद्ध कथा वाचक मोरारी बापू ने श्रद्धालुओं की भेजी गई चिट्ठी पढ़ी, जिसमें एक महिला ने लिखा कि कथा में आकर ये भी नहीं पता चलता कि दिल भी धड़क रहा है या नहीं, लेकिन बापू आपके मंच पर आते ही दिल की धड़कन दस गुना हो जाती है। बापू ने चिट्ठी में श्रद्धालुओं की शायरी पढ़कर सुनाई तो श्रद्धालु मस्ती में झूम उठे। जिसमें बापू ने पढ़ा कि बड़ा ही रंगीन रहा ये साल क्योंकि हर किसी ने अपना रंग दिखा दिया।
इश्क की परिभाषा है कि परेशान वो हो और नींद मुझे न आवे।
बात करने पे बात बन सकती है यही सोचकर वो हमसे बात नहीं करते।
बुरा हो इस मोहब्बत का जिसे हम भुलाना चाहे वो याद आती है।
हर कोई पूछता है कि क्या करते हो मोहब्बत जैसे कोई काम नहीं है।
वो बहुत देर तब सोचता रहा उसे शायद सच बोलना था।
ऐसा नही कि पांव में छाले नहीं रहे, तकलीफ ये है कि अब पैर देखने वाले नहीं रहे।
ऐसा नही कि मुझमें कोई ऐब नहीं, पर मुझमें कोई फरेब नहीं।
ऐ दिल तेरे मेरे बीच में जमाना पड़ता है, दिल को कितनी बार बताना पड़ता है।
कुछ जाग रहा हूं मैं रातों में, कुछ रातें मुझमें जाग रही है।
नस-नस में हो, बस बस में ही नहीं है, हवा की तरह सरक जाती है।
कोई देख न सका उसकी बेबसी, वो बेचारा सांस बेच रहा था गुब्बारे में डालकर।