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मेरठ में सामूहिक दुष्कर्म : केस की नींव कमजोर कर रही पुलिस, मानवाधिकार आयोग ने मांगा जवाब

यह तो हद है पुलिस के पर्दाफाश में बस का जिक्र नहीं है जबकि चालक-परिचालक ने मीडिया के सामने बताया था कि बस के अंदर ही उन्होंने महिला संग घिनौनी घटना की। इसके बाद भी पुलिस ने बस को मुकदमे का हिस्सा नहीं बनाया।

By Prem BhattEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 07:20 AM (IST)Updated: Tue, 29 Sep 2020 09:18 AM (IST)
मेरठ में सामूहिक दुष्कर्म : केस की नींव कमजोर कर रही पुलिस, मानवाधिकार आयोग ने मांगा जवाब
दुष्कर्म मामले में मानवाधिकार आयोग ने एसएसपी को रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं।

मेरठ, जेएनएन। रोडवेज की अनुबंधित बस में महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना में अपनी गर्दन बचाने के लिए पुलिस केस की नींव कमजोर करने में लगी है। पुलिस के पर्दाफाश में बस का जिक्र नहीं है, जबकि चालक-परिचालक ने मीडिया के सामने बताया था कि बस के अंदर ही उन्होंने महिला संग घिनौनी घटना की। इसके बाद भी पुलिस ने बस को मुकदमे का हिस्सा नहीं बनाया। पुलिस ने देवलोक कॉलोनी के एक खाली प्लाट में सामूहिक दुष्कर्म की घटना दर्शायी है। इस विरोधाभास का अनुचित लाभ आरोपितों को मिल सकता है। वहीं दूसरी ओर सामूहिक दुष्कर्म मामले में मानवाधिकार आयोग के न्यायमूर्ति केपी सिंह ने प्रकरण की जांच कराकर एसएसपी को रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं।

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पीड़िता के घर पहुंची पुलिस

ब्रह्मपुरी पुलिस की महिला दारोगा ने सोमवार को पीडि़ता के घर पहुंचकर फिर से पूछताछ की। महिला के पति के अनुसार उसने पुलिस को बताया कि पीडि़ता बेगमपुल से ई-रिक्शा में दिल्ली बस स्टैंड पहुंची थी। वहां बस के परिचालक व चालक से कानपुर की बस के बारे में बात कर रही थी। चालक-परिचालक ने बताया कि कानपुर की बस सोहराब गेट बस स्टैंड से मिलेगी। उन्होंने कहा कि हमारी बस भी सोहराब गेट बस स्टैंड पर जा रही है। हम आपको छोड़ देंगे। इस पर महिला खाली बस में सवार हो गई। चालक और परिचालक ने महिला को बोतल से पानी पिलाया, जिससे वह बदहवास हो गई। रात करीब 12 बजे वह कुछ होश में आई तो चालक और परिचालक उसके साथ घिनौनी घटना को अंजाम दे रहे थे। आरोपितों ने पीडि़ता को बदहवासी की हालत में ही सुबह दिल्ली रोड पर छोड़ दिया। बयान लेने के बाद पुलिस ने आरोपितों के फोटो दिखाए, जिन्हें पीडि़ता ने पहचान लिया। पुलिस ने दुष्कर्म के समय महिला के पहने हुए कपड़ों को सील कर दिया, जिन्हें फोरेंसिक लैब भेजा जाएगा।

कप्तान से मिला पीडि़ता का पति

पीडि़ता का पति सोमवार को ही आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ दोपहर में एसएसपी से मिला। आरोप लगाया कि उसकी पत्नी के पर्स में 10 हजार रुपये की नकदी और मोबाइल था, जिसका पता नहीं लग सका है। पति ने इंसाफ की मांग की।

इनका कहना है

महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म के केस की निगरानी सीओ ब्रह्मपुरी अमित राय कर रहे हैैं। पुलिस आरोपितों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। महिला के अदालत में दिए बयानों को ही मुकदमे में आधार बनाया जाएगा। जल्द ही 163 सीआरपीसी में बयान दर्ज कराए जाएंगे।

- अजय साहनी, एसएसपी

ये है मामला

सरूरपुर के एक गांव की रहने वाली महिला को दिल्ली स्टैंड से बसा टीकरी जानी निवासी चालक बर्खास्त फौजी सुनील चौधरी और गाजियाबाद के भोजपुर थानांतर्गत पट्टी निवासी परिचालक अरङ्क्षवद कुमार ने बस में बैठा लिया। बस स्टैंड पर महिला को बस के अंदर रखकर रात नौ बजे तक शराब पिलाई। उसके बाद बस से महिला को लेकर दिल्ली रोड स्थित मेवला पुल के नीचे आ गए, जहां दोनों ने महिला संग दुष्कर्म किया। सुबह पांच बजे ही महिला को सड़क पर फेंक कर चले गए। पुलिस ने सुनील और अरविदं को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

मानवाधिकार आयोग ने मांगा जवाब

रोडवेज की अनुबंधित बस में महिला से सामूहिक दुष्कर्म मामले में मानवाधिकार आयोग के न्यायमूर्ति केपी सिंह ने प्रकरण की जांच कराकर एसएसपी को रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं। उन्होंने इसके लिए चार सप्ताह का समय दिया है। उन्होंने कहा है कि दुष्कर्म के बाद भी महिला को पुलिस ने अस्पताल के गेट पर छोड़ दिया। प्रथम दृष्टया यह प्रकरण मानवाधिकार के हनन का प्रत्यक्ष उदाहरण प्रतीत होता है। आयोग की तरफ से इसे स्वप्रेरणा से संज्ञान लिया जा रहा है। पत्र में यह भी कहा गया है कि सामूहिक दुष्कर्म के घटनाक्रम और कार्रवाई की पत्रावली चार सप्ताह में आयोग के समक्ष प्रस्तुत की जाए। एसएसपी अजय साहनी का कहना है कि अपेक्षित बिंदुओं पर मानवाधिकार आयोग को रिपोर्ट समय से भेज दी जाएगी।


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