बेपरवाह प्रशासन: हवाई उड़ान के लिए मोदी व योगी गंभीर, लेकिन प्रशासन की नहीं है दिलचस्पी Meerut News
हवाई पट्टी विस्तार को जमीन खरीद के लिए प्रशासन को प्रस्ताव भेजना है। जबकि शासन ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में जमीन खरीद के लिए बजट में धन की व्यवस्था की तैयारी कर रखी है।
By Taruna TayalEdited By: Published: Sun, 21 Jul 2019 02:06 PM (IST)Updated: Sun, 21 Jul 2019 02:06 PM (IST)
मेरठ, जेएनएन। मेरठ से हवाई उड़ान के लिए मोदी व योगी सरकार भले ही गंभीर है पर प्रशासन को शायद इसमें दिलचस्पी नहीं है। हवाई अड्डा विस्तार के लिए आवश्यक जमीन खरीदने को कितना धन चाहिए उसका आकलन करके प्रस्ताव अब तक शासन को नहीं भेजा गया है। जबकि शासन ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में जमीन खरीद के लिए बजट में धन की व्यवस्था की तैयारी कर रखी है। प्रशासन के इस शिथिलता पर निदेशक नागरिक उड्डयन सूर्यपाल गंगवार ने डीएम को पत्र लिखकर जल्द प्रस्ताव उपलब्ध कराने को कहा है। पत्र में साफ लिखा है कि 30 मई के एएआइ के पत्र के अनुसार शासन को प्रस्ताव अपेक्षित है, लेकिन वांछित प्रस्ताव प्रस्ताव प्राप्त नहीं हो सका है।
प्रस्ताव के साथ वन विभाग की एनओसी भी मांगी
निदेशक नागरिक उड्डयन ने धनराशि वाले प्रस्ताव के साथ ही वन विभाग से संबंधित एनओसी भी मांगी है। जानकारों के अनुसार हवाई पट्टी के पास वन विभाग की भी जमीन है। इस जमीन को भी हवाई पट्टी विस्तार के लिए हस्तांतरित किया जा सकता है।
15 मई को एएआइ ने प्रदेश सरकार को लिखा था पत्र
हवाई अड्डे की खातिर आवश्यक भूमि के लिए एएआइ ने प्रदेश सरकार को 15 मई को पत्र लिखा था। पत्र में स्पष्ट किया गया है कि हवाई अड्डे का निर्माण दो चरणों में होगा और पहले चरण के लिए मौजूदा हवाई पट्टी से अतिरिक्त 282.73 एकड़ भूमि की आवश्यकता है। दरअसल, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआइ) ने अप्रैल महीने में सर्वे करके मेरठ में हवाई अड्डे का नया मास्टर प्लान तैयार किया था।
जमीन मिले तो काम शुरू करे जूम एयरवेज
भूमि उपलब्ध होते ही हवाई अड्डे का निर्माण एएआइ शुरू कर देगी। जानकारों का कहना है कि आवश्यक भूमि मिलने के बाद लगभग एक वर्ष का समय निर्माण कार्य में लग जाएगा। बता दें कि काफी प्रयास के बाद इसी वर्ष फरवरी ने मेरठ से हवाई उड़ान के लिए भी बिड निकाली गई थी। इसमें फरवरी के अंत में मेरठ से लखनऊ और प्रयागराज के बीच रूट को मंजूरी मिली और इस रूट पर जूम एयर ने सेवा देने की सहमति जताई।
197 एकड़ भूमि खरीदनी पड़ेगी सरकार को
नए मास्टर प्लान के तहत प्रथम चरण के लिए 282.73 एकड़ चाहिए। लगभग 86 एकड़ सरकारी भूमि वहां पर है, जिसका हस्तांतरण प्रदेश सरकार की ओर से एएआइ को होना है। ऐसे में शेष लगभग 197 एकड़ भूमि प्रदेश सरकार को अधिग्रहित करनी होगी। औसतन एक एकड़ की कीमत तीन करोड़ रुपये के आसपास आकी जा रही है। इस तरह से करीब 600 करोड़ रुपये जमीन की खरीद में खर्च हो जाएंगे।
इन्होंने बताया
जमीन खरीद के धन का आकलन करके प्रस्ताव शासन को भेजा जाना है। सिटी मजिस्ट्रेट ने शासन के पत्र को तहसीलदार सदर को भेजने के बजाय एमडीए को भेज दिया। अब इसे तहसीलदार को मार्क कराकर जल्द आकलन कराकर प्रस्ताव शासन को भिजवाएंगे।
- डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा
प्रस्ताव के साथ वन विभाग की एनओसी भी मांगी
निदेशक नागरिक उड्डयन ने धनराशि वाले प्रस्ताव के साथ ही वन विभाग से संबंधित एनओसी भी मांगी है। जानकारों के अनुसार हवाई पट्टी के पास वन विभाग की भी जमीन है। इस जमीन को भी हवाई पट्टी विस्तार के लिए हस्तांतरित किया जा सकता है।
15 मई को एएआइ ने प्रदेश सरकार को लिखा था पत्र
हवाई अड्डे की खातिर आवश्यक भूमि के लिए एएआइ ने प्रदेश सरकार को 15 मई को पत्र लिखा था। पत्र में स्पष्ट किया गया है कि हवाई अड्डे का निर्माण दो चरणों में होगा और पहले चरण के लिए मौजूदा हवाई पट्टी से अतिरिक्त 282.73 एकड़ भूमि की आवश्यकता है। दरअसल, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआइ) ने अप्रैल महीने में सर्वे करके मेरठ में हवाई अड्डे का नया मास्टर प्लान तैयार किया था।
जमीन मिले तो काम शुरू करे जूम एयरवेज
भूमि उपलब्ध होते ही हवाई अड्डे का निर्माण एएआइ शुरू कर देगी। जानकारों का कहना है कि आवश्यक भूमि मिलने के बाद लगभग एक वर्ष का समय निर्माण कार्य में लग जाएगा। बता दें कि काफी प्रयास के बाद इसी वर्ष फरवरी ने मेरठ से हवाई उड़ान के लिए भी बिड निकाली गई थी। इसमें फरवरी के अंत में मेरठ से लखनऊ और प्रयागराज के बीच रूट को मंजूरी मिली और इस रूट पर जूम एयर ने सेवा देने की सहमति जताई।
197 एकड़ भूमि खरीदनी पड़ेगी सरकार को
नए मास्टर प्लान के तहत प्रथम चरण के लिए 282.73 एकड़ चाहिए। लगभग 86 एकड़ सरकारी भूमि वहां पर है, जिसका हस्तांतरण प्रदेश सरकार की ओर से एएआइ को होना है। ऐसे में शेष लगभग 197 एकड़ भूमि प्रदेश सरकार को अधिग्रहित करनी होगी। औसतन एक एकड़ की कीमत तीन करोड़ रुपये के आसपास आकी जा रही है। इस तरह से करीब 600 करोड़ रुपये जमीन की खरीद में खर्च हो जाएंगे।
इन्होंने बताया
जमीन खरीद के धन का आकलन करके प्रस्ताव शासन को भेजा जाना है। सिटी मजिस्ट्रेट ने शासन के पत्र को तहसीलदार सदर को भेजने के बजाय एमडीए को भेज दिया। अब इसे तहसीलदार को मार्क कराकर जल्द आकलन कराकर प्रस्ताव शासन को भिजवाएंगे।
- डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा
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