करोड़पति हुए अफसर-ठेकेदार, नगर निगम कंगाल
शहर में दस हजार से ज्यादा विज्ञापन होर्डिग लगे होने के बावजूद नगर निगम के पास पैसा नहीं है।
जागरण संवाददाता, मेरठ :
शहर में दस हजार से ज्यादा विज्ञापन होर्डिग लगे होने के बावजूद नगर निगम का खजाना खाली है। वित्तीय वर्ष के छह महीने बीत गए लेकिनविज्ञापन कर से सरकारी आय शून्य है। निगम ने चालू वित्तीय वर्ष में एक भी ठेकेदार का पंजीकरण नहीं किया है। हालांकि अफसरों और कर्मचारियों की निजी कमाई चरम पर है। निगम अफसर और ठेकेदार मिलकर खेल कर रहे हैं।
होर्डिग सरकारी अफसरों-कर्मियों और ठेकेदारों की मोटी कमाई का जरिया हैं। भाजपा सरकार में भी यह परंपरा जारी है। दस हजार से ज्यादा होर्डिग के बारे में किसी के पास कोई सूचना नहीं है। इन्हें किसने लगाया, कब से लगाया है? हर महीने नए-नए होर्डिग लग रहे हैं। निगम सूत्रों की माने तो इन होर्डिग से हर महीने लगभग 50 लाख से ज्यादा की वसूली की जा रही है। 20 से 25 लाख तक निगम का विज्ञापन कर बनता है। दूसरी ओर ठेकेदार और निगम अफसर करोड़पति बन गए हैं।
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फरवरी से लंबित हैं आवेदन
इस वर्ष विज्ञापन एजेंसियों ने भी पंजीकरण के लिए फरवरी में ही आवेदन जमा करा दिये थे। इसके बावजूद नगर निगम प्रशासन ने उन्हें आज तक स्वीकृत नहीं किया। निगम अफसर खुद ही नहीं चाहते कि ठेकेदारों का पंजीकरण हो और निगम के खजाने में पैसा जमा हो।
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नगर आयुक्त की स्वीकृति का इंतजार
अफसरों-कर्मियों का कहना है कि ठेकेदारों के आवेदनों का परीक्षण करके सभी को सही पाया गया था। पंजीकरण की संस्तुति करके पत्रावली नगर आयुक्त के पास भेज दी गई थी। नगर आयुक्त ने आज तक आदेश नहीं दिया।
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राजस्व निरीक्षक को विज्ञापन प्रभारी की जिम्मेदारी
विज्ञापन विभाग में मनमानी चरम पर है। विज्ञापन प्रभारी का कार्यभार उप नगर आयुक्त अथवा कर निर्धारण अधिकारी स्तर के अफसर को दिया जाता है लेकिन नगर आयुक्त मनोज चौहान ने आते ही एक नये राजस्व निरीक्षक को यह महत्वपूर्ण प्रभार सौंप दिया।
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फोन उठता नहीं, जवाब मिलता नहीं
नगर आयुक्त मनोज चौहान का सीयूजी मोबाइल मिलाया गया। फोन स्विच ऑफ मिला। निगम के विज्ञापन प्रभारी योगेश कुमार को चार बार फोन मिलाया गया लेकिन उन्होंने अटेंड नहीं किया। दोनों ही लोगों को मैसेज भी किया गया, लेकिन जवाब नहीं आया।