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डाटा हैकिंग पर ब्रेक लगाएगी मेरठ की मेधा

मदन मोहन मालवीय तकनीकी विवि, गोरखपुर में साइबर सिक्योरिटी कोर्स शुरू कराया गया है। 74 टूल्स में साइबर सुरक्षा की गारंटी छुपी है। इससे पुलिस की साइबर सेल भी मजबूत होगी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Sep 2018 12:14 PM (IST)Updated: Mon, 10 Sep 2018 12:14 PM (IST)
डाटा हैकिंग पर ब्रेक लगाएगी मेरठ की मेधा

मेरठ (संतोष शुक्ल)। मोबाइल के जरिए आपकी निजी जानकारियां लीक हो सकती हैं। सीसीटीवी से लेकर घर की एसी समेत अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरणों से भी खुफियागीरी संभव है। लैपटाप खोलते ही आपकी दुनिया में कोई तीसरा झांक सकता है। एक क्लिक पर बैंक खाते पर डाका पड़ जाता है। व्यक्ति की भी हैकिंग की जा सकती है। साइबर अपराधों से घिरी जिंदगी में मेरठ की युवा प्रतिभा ने उम्मीद की किरण जगाई है। इंद्रवीर सिंह की अगुआई में पुणे की टीम ने गोरखपुर स्थित मदन मोहन मालवीय तकनीकी विवि में साइबर सुरक्षा पर कोर्स शुरू किया है।

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स्टार्ट अप में चयनित टैलेंट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्टार्ट अप में चयनित मेरठ निवासी इद्रवीर का साइबर सिक्योरिटी प्रोजेक्ट एक बार फिर सुखिर्यो में है। उनकी अगुवाई में साइबर सिक्योरिटी स्टडी रिसर्च पुणे एवं मदन मोहन मालवीय तकनीकी विवि के मध्य एमओयू साइन हुआ है। इसके अंतर्गत बीटेक छात्रों को साइबर सुरक्षा से जुड़े 74 प्रकार के टूल्स पढ़ाए जाएंगे। इससे न सिर्फ रोजगार बनेगा, बल्कि साइबर अपराधों पर भी अंकुश लगेगा। पुलिस की साइबर सेल को नए विशेषज्ञ मिल सकेंगे। डिजिटीलाइजेशन के दौर में गोपनीय सूचनाओं का डाटा तेजी से लीक हो रहा है।

हर एप सेफ नहीं

इंद्रवीर कहते हैं कि तमाम इलेक्ट्रानिक डिवायस घर की जानकारी लीक कर सकते हैं। मोबाइल के तमाम एप ऐसे हैं, जिसके जरिए ग्राहक की जानकारियां अनचाहे हाथों में पहुंच रही है। सोशल साइटों के माध्यम से तमाम अपराधों को अंजाम दिया जा रहा है। पुणे की रिसर्च टीम का दावा है कि मोबाइल में तमाम ऐसे टूल्स हैं, जिस पर अमल कर डाटा सुरक्षित किया जा सकता है। कई बार ओटीपी समेत तमाम निजी संदेश निजी कंपनियों तक पहुंचते हैं।

कुछ आंकड़े

-भारत में हर वर्ष 350 फीसद तेजी से बढ़ा साइबर क्राइम

-देश में हर वर्ष चार करोड़ से ज्यादा साइबर अपराध

-कारपोरेट एवं आइटी में 70 फीसद घाटा की वजह डाटा लीकेज

-सरकारी योजनाओं के लिए व्यक्ति द्वारा दी गई जानकारियां निजी कंपनियां भी हासिल कर रही हैं

-85 प्रतिशत एप के पास ग्राहकों की फोटो, डेबिड कार्ड डिटेल, व कैमरा होता है, जो ग्राहक नहीं जानते

-प्रतिवर्ष 11 हजार करोड़ की हानि। पेमेंट गेटवे पर सर्वाधिक रिस्क

इंजीनियर इंद्रवीर सिंह का कहना है कि मदन मोहन मालवीय तकनीकी विवि के साथ रिसर्च टीम का एमओयू साइन हुआ है। किसी भी डाटा की हैकिंग हो सकती है। इससे कारपोरेट कंपनियां बड़ा घाटा उठा रही हैं। इस कोर्स से रोजगार बढ़ने के साथ ही साइबर क्राइम पर भी अंकुश लगेगा।


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