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... तो क्‍या मेरठ मंडल एनसीआर व दिल्‍ली को बना देगा गैस चेंबर, पढ़िए EPCA की पूरी रिपोर्ट

चेयरमैन भूरेलाल ने नई दिल्ली से गाजियाबाद से मेरठ होते हुए पानीपत तक के निरीक्षण के दौरान माना कि सांसों पर संकट गहराने वाला है।

By Prem BhattEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 06:00 AM (IST)
... तो क्‍या मेरठ मंडल एनसीआर व दिल्‍ली को बना देगा गैस चेंबर, पढ़िए EPCA की पूरी रिपोर्ट
... तो क्‍या मेरठ मंडल एनसीआर व दिल्‍ली को बना देगा गैस चेंबर, पढ़िए EPCA की पूरी रिपोर्ट

संतोष शुक्ल, मेरठ। हवा में तैरने वाली धुंध जनवरी- फरवरी में एनसीआर व दिल्ली (Delhi-NCER) को गैस चेंबर (Gas Chamber) में कैद कर सकती है। मेरठ मंडल के शहरों में कूड़ों के ढेर से विषाक्त गैसों का धुआं एनसीआर में फैलने लगा है। इन्वायरमेंटल प्रॉल्यूशन कंट्रोल एथॉरटी (EPCA) के चेयरमैन भूरेलाल ने नई दिल्ली से गाजियाबाद से मेरठ होते हुए पानीपत तक के निरीक्षण के दौरान माना कि सांसों पर संकट गहराने वाला है। कूड़ों के ढेर (Mountain of Garbage) से उठने वाला धुआं फेफड़ों को जख्मी करने के साथ ही आसपास का तापमान भी बढ़ा रहा है। प्लास्टिक रिसकर भूजल को प्रदूषित कर रहा है। बता दें कि पिछले साल एनसीआर में कंस्ट्रक्शन, ईंट भट्ठा संचालन और जनरेटरों का प्रयोग रोकना पड़ा था।

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प्रदूषण का रेड स्पॉट मेरठ

भूरेलाल ने माना कि मेरठ मंडल वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा हॉटस्पाट बनकर उभरा है। कौशांबी से लेकर बुलंदशहर रोड स्थित औद्योगिक क्षेत्र के ग्रीन बेल्ट तक वायु प्रदूषण की जद में हैं। ईपीसीए की फटकार के बाद एक ही दिन में 44 ट्रक कूड़ा हटाया गया। एनएच-24 पर यूपी गेट के पास खोड़ा से डासना तक सड़कों पर धूल का गुबार हवा में पीएम-2.5 और पीएम-10 की मात्रा बढ़ाने लगा है। धूलकणों के साथ सिलिकान और लेड के सूक्ष्म कण सांस के जरिए रक्त में दाखिल हो रहे हैं।

भूरेलाल ने सड़क पर धूलकणों का गुबार देखकर हाईवे प्राधिकरण पर पांच लाख का जुर्माना लगाया है। मेरठ के लोहियानगर में कूड़े के पहाड़ के आसपास तेज गर्मी महसूस की जा रही है। ईपीसीए की टीम ने प्रशासन को आगाह किया कि अगर यहां आग सुलगी तो बुझाना मुश्किल होगा। इससे पहले खतरनाक विषाक्त रासायनिक गैसों का गुबार शहर की नसों में घुल चुका होगा। काली नदी के किनारे गांवड़ी में कई साल तक कूड़ा जमा किया गया। यहां भूजल में भारी तत्वों की खतरनाक मात्रा मिली।

इन वजहों से वायु प्रदूषण का खतरा

- मेरठ मंडल में बड़े पैमाने पर कंस्ट्रक्शन और उखड़ी सड़कों से हवा में धूलकणों की मात्रा बढ़ी है जो जाड़े में सांस की परत में आ जाएगी।

-15 साल से पुराने डीजल वाहनों का संचालन जारी है, जिससे सल्फर डाई और मोनोआक्साइड गैस निकलती है।

-सॢदयों में कोल्हू चलते हैं, जिसमें प्लास्टिक, पॉलीथिन और टायर जलाए जाते हैं जो हवा को जहरीली करेंगे।

-मोहकमपुर व उद्योगपुरम में कूड़ों को सड़क पर जलाने से जहरीली हवा एनसीआर तक असर करेगी।

-औद्योगिक चिमनियों में फिल्टर और कैनोपी नहीं है। ऊंचाई कम होने से काला धुआं मोहल्लों में फैल जाता है।

इनका कहना है.....

पूरे मंडल के हालात खराब हैं। मेरठ में कूड़े का पहाड़ महामारी फैला सकता है। अगर कूड़े से बिजली बनाने की दिशा में बड़े कदम नहीं उठाए गए तो शहर की हवा, पानी सब दूषित हो जाएगा। ईपीसीए की टीम जल्द ही मेरठ में निरीक्षण करेगी। यहां तो नालों से भी खतरनाक गैसें निकलती रहती हैं। लापरवाही पर कड़े दंड निर्धारण किए जाएंगे।-भूरेलाल, अध्यक्ष, ईपीसीए

-एनसीआर के वायुमंडल में भारी मात्रा में कण तैर रहे हैं जो सर्दियों में वायु दाब बढऩे के साथ नीचे की परत में आने लगेंगे। यही स्मॉग बन जाएगा जो फेफड़ों के लिए खतरनाक है। अस्थमा, सीओपीडी, और लंग्स कैंसर के मरीज बढ़े हैं। हालात नहीं सुधरे तो सॢदयों में पीएम-2.5 की मात्रा 500 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच जाएगी। - एसके त्यागी, पर्यावरण वैज्ञानिक। 


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