बेबसी: किसी ने अपने भाई को तो किसी ने अपनी पत्नी को खोया, मिनटों में उजड़ गया हंसता-खेलता परिवार
अदृश्य शत्रु ने कितने ही परिवारों के चिराग बुझा दिए। अभी भी लोग अपनों की जान बचाने की आस में अस्पतालों के चक्कर काट रहे है। उसके बाद भी जान नहीं बचा पा रहे है ‘यह कैसी बेबसी है भगवान’ आंखों के सामने अपने दम तोड़ रहे हैं।
मेरठ, जेएनएन। अदृश्य शत्रु ने कितने ही परिवारों के चिराग बुझा दिए। अभी भी लोग अपनों की जान बचाने की आस में अस्पतालों के चक्कर काट रहे है। उसके बाद भी जान नहीं बचा पा रहे है ‘यह कैसी बेबसी है भगवान’ आंखों के सामने अपने दम तोड़ रहे हैं। ऐसा ही मामला मुक्तिधाम में शुक्रवार को देखने को मिला। मेरठ से लेकर गुरुग्राम तक अस्पताल बदलने के बाद भी कोरोना ने दवा कारोबारी की जान ले ली। मुक्तिधाम में नम आंखों से बेटे ने पिता को मुखाग्नि दी।
सिविल लाइंस निवासी विनोद भारती पुत्र कृष्ण चंद सर्राफ के मुताबिक उनके छोटे भाई विजय कुमार दवा कारोबारी थे। उनके परिवार में पत्नी सरिता व दो बेटे और एक बेटी है। एक सप्ताह पहले विजय को हल्की खांसी आई थी। सोमवार को जांच रिपोर्ट पाजिटिव आ गई। उन्होंने विजय को लोकप्रिय अस्पताल में भर्ती करा दिया। उसके बाद उन्हें सुभारती में शिफ्ट किया गया। लेकिन वहां भी स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हुआ। उन्हें मेदांता रेफर किया गया। फिर भी वो छोटे भाई को नहीं बचा सके।
‘दो-तीन दिन में ही चली गई पत्नी की जान’
रुड़की रोड स्थित कालोनी निवासी शिवकुमार ने बताया कि उनकी पत्नी सरिता देवी मायके गई हुई थीं। एक सप्ताह पहले वह मायके से लौटी थीं। इसके बाद उन्हें खांसी-बुखार हो गया। चिकित्सक परामर्श के बाद उन्होंने पत्नी की कोविड जांच कराई। रिपोर्ट पाजिटिव आने पर उन्होंने मेडिकल कालेज में भर्ती करा दिया। उपचार के दौरान महिला की मौत हो गई। सरिता को मुक्तिधाम में अंतिम विदाई दी गई। शिवकुमार ने बताया कि मात्र दो से तीन दिन में ही मेरी पत्नी की वायरस ने जान ले ली। इस वायरस ने तो मेरा परिवार ही उजाड़ दिया।