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मेरठ शहर के शोर में सुकून का संगीत है संजय वन

मेरठ (संतोष शुक्ला)। घनी झाड़ियों के पीछे से गुजरता नीलगायों का झुंड। सागौन के पत्तों

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Mar 2018 05:08 PM (IST)Updated: Sat, 17 Mar 2018 05:08 PM (IST)
मेरठ शहर के शोर में सुकून का संगीत है संजय वन

मेरठ (संतोष शुक्ला)। घनी झाड़ियों के पीछे से गुजरता नीलगायों का झुंड। सागौन के पत्तों से पटी सुनसान राहें और पक्षियों के कलरव का संगीत। पतझड़ में नई कोपलों के गहने से सजते संवरते वृक्ष। यह किसी वन्य जीव सेंचुरी का दृश्य नहीं, बल्कि शहरी आबादी के बीच सुकून से ठहरा हुआ संजय वन है। 12 एकड़ का यह संरक्षित क्षेत्र प्रकृति की गोद में निहाल नजर आता है। शहरी भागदौड़ के बीच सुकून के चंद पल बिताने हों तो यहां तशरीफ लाइए। इसी मंशा के साथ वन विभाग ने संजय वन को विकसित करने के लिए मुख्यमंत्री के पास भी प्रोजेक्ट भेजा है।

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वॉच टावर से निहारिए हरियाली

दिल्ली रोड पर स्थित संजय वन में पर्यटन विकसित करने की कवायद तेज हुई है। 1982 में चेतना केंद्र के रूप में बसाए गए संजय वन के सौन्दर्यीकरण के लिए हाल में प्रशासनिक स्तर पर गंभीर प्रयास किए गए हैं। वर्ष 2016 को वन विभाग ने संजय वन के कायाकल्प के लिए मेरठ विकास प्राधिकरण को 1.10 करोड़ का प्रोजेक्ट थमाया। एमडीए ने अवस्थापना निधि से 25 लाख रुपये जारी किए, जिससे वाच टावर की मरम्मत, पार्क में झूला लगाना, नर्सरी, एवं ग्रह नक्षत्र वाटिका समेत कई अन्य काम किए गए। मंडलायुक्त डा. प्रभात कुमार ने भी संजय वन का निरीक्षण कर यहां पर पर्यटन की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए कहा। वन विभाग ने गत दिनों यहीं पर बर्ड शो का आयोजन किया, जहां पर 75 से ज्यादा प्रजातियों के पक्षी देखे गए। संजय वन में लगभग 65 फीट ऊंचा यह मेरठ दर्शन स्तंभ (वॉच टॉवर) कारगिल शहीद मनोज तलवार को समर्पित है।

प्रकृति के साथ सैर पर निकलें

हालांकि शहरी आबादी सुबह और शाम की सैर के लिए ज्यादातर पार्को में पहुंचती है, किंतु संजय वन भी धीरे-धीरे लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बन रहा है। सुबह एवं शाम यहां पर बने वॉक ट्रैक पर लोगों को चलते हुए देखा जा सकता है। मुख्य सड़क के किनारे होने के बावजूद इसके अंदर वाहनों की आवाज नहीं पहुंचती। फैला हुआ कैंपस, पेड़ पौधों की विभिन्न प्रजातियां, नीलगाय, खरगोश, लोमड़ी एवं अजगर जैसे जीवों से आबाद इस वन क्षेत्र में पर्यटन के लिए अलग पॉकेट बनाए गए हैं। इन सड़कों पर चलते हुए न सिर्फ पर्यटन का भरपूर आनंद मिलता है, बल्कि वन की इकोलोजी भी डिस्टर्ब नहीं होती। पर्यावरण विशेषज्ञों की मानें तो यहां पर पक्षियों की नई प्रजातियों का बसेरा बनाया जा सकता है। पर्यटन को संवारने की बड़ी संभावनाएं हैं। खासकर, यहां पर कोई जलस्रोत न होने के बावजूद जीवों एवं प¨रदों की तादात बेहतर है। दो झुंडों में करीब 40 नीलगाय घूमती हैं, जिनके लिए वन विभाग ने पानी का छोटा टैंक भी बनाया है। परिसर चारों ओर से घिरा होने से सुरक्षित है।

सेटेलाइट की निगरानी में संजय वन

फारेस्ट सर्वे आफ इंडिया एजेंसी की ओर से वन्य क्षत्रों की सेटेलाइट मानीट¨रग की जा रही है। इससे 12 एकड़ क्षेत्रफल में कहीं भी आग लगने पर वन विभाग को तत्काल सूचना मिलेगी। रिमोट सेंसिंग एजेंसी के जरिए पेड़ों का कटान, जीवों के शिकार एवं अवैध घुसपैठ को भी पकड़ा जा सकेगा। इस तकनीक के जरिए मिट्टी की सेहत भी परखी जा सकती है। हैदराबाद स्थित रिमोट सेंसिंग एजेंसी जल्द ही वन विभाग को रिपोर्ट देगी। इसमें बड़ी संख्या में राष्ट्रीय पक्षी मोरों का बसेरा है। यहां पर संरक्षण के साथ ही उनके शिकार पर सख्त निगरानी रहेगी।

वर्मी कंपोस्ट से सुधर रही मिट्टी की सेहत

संजय वन में हर वर्ष 400 के बजाय अब 900 टन वर्मी कंपोस्ट बनाया जा रहा है, जिसकी आपूर्ति आसपास के जिलों तक की जा रही है। पिछले वर्ष यहां पर केंचुओं के इस्तेमाल से बड़ी मात्रा में खाद बनाई गई। इसका प्रयोग बारिश से पहले होने वाले पौधरोपण में किया जाएगा।

छोटा चिड़ियाघर भी बनाने की योजना

संजय वन में प्राकृतिक माहौल के बीच कुछ जीवों को भी रखने की योजना है। पिछले वर्ष वन विभाग ने प्रदेश सरकार को प्रोजेक्ट भेजकर हिरन, भालू, चीतल, सेही जैसे जीवों को पिंजड़े में रखने की अनुमति मांगी है। हालांकि इस संदर्भ में भारतीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं। किंतु इसकी टीम किसी भी वक्त संजय वन की मानीट¨रग के लिए पहुंच सकती है।

जीव-पापदों से लबालब संपदा

मुनिया, बयां, हार्न बिल, बुलबुल, फाख्ता, बाज, रोबिन, मैना, किंगफिशर, टटीरी, पनव्वा, सफेद, चील, बगुला, टिकरा, मोर, तोते, बटेर, कौआ एवं कबूतर।

पाये जाने वाले पेड़ पौधे

-पीपल, बरगद, गूलर, पिलखन, खैर, जामुन, शीशम, सागौन, नीम, आखा, कदम्ब, जंगल जलेबी, बेल, शमी, हरश्रृंगार, अमलतास, हरड़, बहेड़ा, आंवला, कचनार, सेमल, सिरस, कनकचंपा, प्रोसोपिस, अशोक, एलस्टोनिया, गुलमोहर, मौलश्री, कंजी, बबूल, सुबबूल व बांस की 30 प्रजातियां।

नवग्रह वाटिका से सधेंगे ये ग्रह

-1. सूर्य-मदार, 2. चंद्र-ढांक, 3. मंगल-खैर, 4. बुध-चिचिड़ा, 5. गुरु-पीपल, 6. शुक्र-गूलर, 7. शनि-शमी, 8. राहु-दूब, 9. केतु-कुश

-अन्य विशेषता- पंचवटी व हरिशंकरी की स्थापना की गई है। बच्चों के मनोरंजन के लिए तमाम झूले लगाए गए हैं।

डीएफओ मेरठ अदिति शर्मा का कहना है कि संजय वन शहर से सटा एक प्राकृतिक पर्यटन स्थल है, जहां विकास की बड़ी संभावनाएं हैं। एमडीए के प्रास 1.15 करोड़ का प्रोजेक्ट भेजा गया है, जिससे पार्क विकसित किया जाएगा। छह चौकीदार वन की निगरानी कर रहे हैं। वहीं मेरठ दक्षिण से विधायक डॉ सोमेंद्र तोमर का कहना है कि मैंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर संजय वन का प्रोजेक्ट दिया है। सरकार पर्यटन एवं पर्यावरण के प्रति काफी गंभीर है, ऐसे में इस संरक्षित क्षेत्र का कायाकल्प तय है।


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