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पांच साल में सिर्फ नाम जुड़ा, मेरठ में उड़ान अभी ‘हवाई’ है

मेरठ की एयर कनेक्टिविटी का हश्र क्या होगा यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन यहां की जनता के अरमान पिछले पांच साल में जरूर गर्त में पहुंच गए। मेरठ का यह बड़ा मुद्दा है।

By Taruna TayalEdited By: Published: Sun, 17 Mar 2019 04:20 PM (IST)Updated: Sun, 17 Mar 2019 04:20 PM (IST)
पांच साल में सिर्फ नाम जुड़ा, मेरठ में उड़ान अभी ‘हवाई’ है
मेरठ, [रवि प्रकाश तिवारी]। मेरठ ने हवाई उड़ान का ख्वाब सालों पहले देखा था, लेकिन इसके पूरा होने की उम्मीद जागी 2014 में। शुरू में ऐसा लगा कि साल-दो साल में मेरठ से लखनऊ और संगम नगरी तक तो उड़कर पहुंच ही जाएंगे, लेकिन इंतजार की इंतेहा हो गई। पहले प्रदेश सरकार, फिर केंद्र सरकार ने अपने एजेंडे से मेरठ को ऐसे बाहर किया मानो यह मांग बेमानी हो। इसके बाद एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआइ) ने इंटरनल रेट ऑफ रिटर्न (आइआइआर) के निगेटिव होने (यानी, मेरठ में हवाई अड्डा घाटे का सौदा है) का तर्क देकर लंबा समय गुजार दिया। इन सबके बीच ‘हवाई चप्पल वाला भी हवाई जहाज में उड़ पाएगा’ का नारा देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब ‘उड़े देश का आम नागरिक’ यानी उड़ान योजना की शुरुआत की तो मेरठ की उम्मीदें फिर जवां हो गईं। एएआइ ने भी अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली थी, लेकिन पहली, दूसरी और तीसरी सूची निराशा साथ लेकर आईं। श्रवस्ती, अलीगढ़ व चित्रकूट जैसे शहरों को इसमें शामिल कर लिया, लेकिन मेरठ खाली हाथ रह गया। इससे यहां के जनप्रतिनिधियों के राजनीतिक रसूख की भी पोल खुल गई। अब पांच साल बाद जनप्रतिनिधियों को जनता के बीच जाकर जवाब देने का डर सताया तो आनन-फानन में इसी साल फरवरी के अंत में ‘उड़ान’ योजना में मेरठ का नाम जोड़ा गया। बावजूद, अब भी हवाई सेवा हवा में ही है। तेजी से काम हो तो भी कम से कम डेढ़ वर्ष का समय लगेगा। मेरठ की उड़ान की उम्मीद किस तरह पांच साल तक हवा में रही।
90 के दशक में रखी गई हवाई पट्टी की नींव
90 के दशक में मेरठ के परतापुर में हवाई पट्टी की नींव रखी गई थी। चार्टर्ड प्लेन, राजकीय विमान और हेलीकॉप्टर अब मेरठ में उतर सकते थे। एनसीआर के प्रमुख महानगर और और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजधानी का रसूख रखने वाले मेरठ ने तभी से उड़ान भरने के सपने संजोने शुरू कर दिए। जनता के इस सपने को सियासतदां भी भांप गए, लिहाजा मेरठ का हवाई अड्डा सियासी नारों में भी दशकभर तक गूंजता रहा। पक्ष-विपक्ष सभी ने अपने हिसाब से आश्वासन दिया, चुटकी ली और कोसा भी। एक बार फिर चुनावी बिसात बिछ चुकी है। नारे गूंज रहे हैं, लेकिन मेरठ के लोगों के सपना आज भी सपना ही है। सत्तापक्ष यह कहकर अपनी पीठ थपथपा रहा है कि उड़ान योजना में मेरठ का नाम आ गया है। जूम एयर को मेरठ से लखनऊ-प्रयागराज तक ले जाने-लाने का काम सौंप दिया गया है। काम शुरू होगा..। वहीं विपक्ष कोस रहा है कि प्रदेश-केंद्र में रहते हुए भाजपा ने मेरठ का सम्मान नहीं किया, वाजिब हक नहीं दिया और लोगों से धोखा भी किया।
पहले चरण में 141 एकड़ जमीन का करना होगा अधिग्रहण
किसी व्यावसायिक विमान के उड़ान भरने के लिए निर्धारित न्यूनतम मानकों को पूरा किए बिना उड़ान का लाइसेंस नहीं मिल सकता। 50 सीटर विमान की खातिर रनवे की लंबाई कम से कम 1800 मीटर और चौड़ाई 30 मीटर होनी चाहिए। इसके अलावा बड़ा भू-भाग खाली छोड़ना पड़ता है। वर्तमान में मेरठ की हवाई पट्टी की चौड़ाई 23 मीटर और लंबाई 1500 मीटर है। ऐसे में 50 सीटर विमान उड़ाने से पहले रनवे की लंबाई-चौड़ाईबढ़ानी होगी। एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर, टर्मिनल बिल्डिंग, फायर सर्विस का स्थान और एंबुलेंस आदि की भी व्यवस्था करनी होगी। इसकी खातिर एएआइ ने वर्तमान में उपलब्ध जमीन 47 एकड़ के अलावा और 227 एकड़ भूमि की जरूरत पहले से बताई हुई है। इसमें सरकारी विभागों सहित वन विभाग की कुल 86 एकड़ भूमि एएआइ को ट्रांसफर होनी है। अगर सरकारी जमीनों का ट्रांसफर हो भी जाता है तो भी 141 एकड़ अतिरिक्त जमीन की जरूरत होगी।
एक एकड़ की कीमत करीब तीन करोड़
एयरपोर्ट बनाने के लिए किसानों की जमीन का अधिग्रहण करना पड़ेगा। वर्ष 2015 में जिला प्रशासन द्वारा तय की गई दर के अनुसार प्रति एकड़ लगभग तीन करोड़ रुपये खर्च बैठेगा। यानी, एयरपोर्ट चलाने के लिए प्रदेश सरकार को 520 करोड़ रुपये प्रथम चरण में सिर्फ आवश्यक भूमि अधिग्रहण पर खर्च करने होंगे। अब देखना यह भी होगा कि चुनावी माहौल निपटने के बाद प्रदेश सरकार इस राशि की मंजूरी देगी या फिर इस पर पानी पड़ेगा। इसके बाद एएआइ को भी निर्माण कार्य में कम से कम 100 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे।
जमीन मिल गई तो सालभर लगेगा
भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद निर्माण कार्य पूरा करने में कम से कम सालभर लग सकता है। इसके बाद लाइसेंसिंग के लिए आवेदन किया जाएगा। इंस्पेक्शन टीम आएगी। उसने अगर कोई कमी निकाली तो वह भी पूरी करनी होगी। तब जाकर उड़ान की अनुमति मिलेगी। मतलब, डेढ़ साल से पहले 50 सीटर विमान उड़ाना मुमकिन नहीं है।
होली के बाद आएगी संयुक्त टीम
बिड की औपचारिकताएं पूरी होने के बाद जूम एयर को लेटर ऑफ इंडेंट मिल चुका है और उसने अपनी सहमति भी दे दी है। अब एएआइ, डीजीएमए और जूम एयर के प्रतिनिधि मेरठ की हवाई पट्टी का दौरा करेंगे। तय करेंगे कि मेरठ में कितना काम है, खर्च कितना होगा और उड़ान कब तक शुरू हो सकेगी।
19 सीटर उड़ाना भी इतना आसान नहीं
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण अधिकारियों के अनुसार, अगर 19 सीटर विमान के उड़ान की योजना बनाई जाए तो मौजूदा रनवे तो पर्याप्त है, लेकिन एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर और टर्मिनल बिल्डिंग का निर्माण आवश्यक है। इसके बिना डीजीसीए उड़ान को मंजूरी नहीं दे सकता। एक और बड़ा सवाल है कि 19 सीटर की उड़ान सेवा रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम के तहत 2500 रुपये में कैसे उपलब्ध होगी। 19 सीटर विमान के उड़ान की लागत ज्यादा बैठेगी, ऐसे में बाकी की राशि का भुगतान कैसे होगा। इन सबके बीच मेरठ से लखनऊ-प्रयागराज के बीच उड़ान की बिड जिस कंपनी ने लगाई है, उसके पास 19 सीटर विमान नहीं है।
इन्‍होंने कहा
केंद्र एवं राज्य में भाजपा सरकार आने के बाद उड़ान योजना के मामले में प्रगति हुई। प्रयास का नतीजा ये रहा कि प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से एनओसी हासिल कर ली। केंद्र सरकार ने रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम के तहत मेरठ को जोड़ा। अब जूम एविएशन छह माह में उड़ान का सपना पूरा कर देगी। टेक्निकल टीम जल्द ही निरीक्षण को पहुंचेगी।
- राजेंद्र अग्रवाल, सांसद, मेरठ-हापुड़
नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु से कई दौर की वार्ता में मेरठ के उड़ान के अधिकार को तथ्यों के साथ रखा। प्रभु ने इसकी संभावनाओं पर काम करने के निर्देश दिए। मैं रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम के जीएम और नार्दन रीजन के अधिकारियों के संपर्क में हूं। जूम, डीजीसीए और एएआइ की संयुक्त टीम जल्द ही निरीक्षण करेगी।
- डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा
फिलहाल तो हवाई यात्र हवा में है। पांच साल तक कुछ हुआ नहीं, जब चुनाव आया तो टेंडर की बात होने लगी। एयरपोर्ट के लिए 47 एकड़ जमीन तो अखिलेश सरकार ने दे दी थी। बाकी जमीन वन विभाग की थी, जिसके ट्रांसफर के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेज दिया गया था। ये चाहते तो उस कार्य को आगे बढ़ाते।
- शाहिद मंजूर, पूर्व कैबिनेट मंत्री व वरिष्ठ सपा नेता 

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