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Meerut Fire News: जगाने के लिए काफी है मवाना का हादसा, आग के मुहाने पर बैठा है मेरठ शहर, पढ़िए खास रिपोर्ट

Meerut Fire News मेरठ के मवाना में दुकान में लगी भीषण आग के पीछे दमकल विभाग की लापरवाही भी सामने आई है। मेरठ के 375 अस्पतालों में सिर्फ 50 पर अग्निशमन की एनओसी। कोचिंग सेंटरों की हालत उससे भी बदतर सिर्फ पांच पर एनओसी।

By Prem Dutt BhattEdited By: Published: Thu, 25 Nov 2021 10:50 AM (IST)Updated: Thu, 25 Nov 2021 10:50 AM (IST)
मवाना की आग के बाद दमकल विभाग को मेरठ की सुध लेनी चाहिए।

मेरठ, जागरण संवाददाता। Meerut Fire News मेरठ के मवाना में मोबिल आयल की दुकान में हादसा सिर्फ एक बानगी है। आधा से अधिक शहर आग के मुहाने पर बैठा है। दकमल विभाग के रिकार्ड में 375 अस्पताल हैं, जिनमें से सिर्फ 50 के पास ही एनओसी यानी अनापत्ति प्रमाण पत्र है। इससे भी बदतर हालत कोचिंग सेंटरों की है, जहां हजारों छात्र मौजूद रहते हैं। गली-गली में कोचिंग सेंटरों के बावजूद सिर्फ पांच पर ही एनओसी है। बाकी सभी रामभरोसे चल रहे हैं।

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दमकल विभाग की लापरवाही

मवाना में मोबिल आयल की दुकान में आग लगने से तीन लोगों की मौत हुई थी। हादसे में सबसे बड़ी लापरवाही दमकल विभाग की सामने आई। सूचना देने के बाद भी दमकल विभाग की कोई गाड़ी समय पर नहीं पहुंची, जबकि मवाना में फायर स्टेशन है। तर्क दिया जा रहा है कि किसानों की गन्ने की ट्राली रास्ते में आने की वजह से जाम लग गया था, जिस कारण दमकल की गाडिय़ां देरी से पहुंचीं। सवाल है कि देहात क्षेत्र में आग की घटना पर दमकल विभाग का प्रतिक्रिया का समय यह था, तो शहर की तंग गलियों में आग लगी तब क्या होगा। बिना एनओसी के सालों से कोचिंग सेंटर और अस्पतालों के पंजीकरण में खेल हो रहा है।

हर माह होती है अग्निशमन विभाग की वसूली

सूत्र बताते हैं कि कोचिंग सेंटरों और अस्पतालों को छापामारी का डर दिखाकर हर माह वसूली भी की जाती है। यही कारण है कि बिना एनओसी के कोचिंग सेंटर और अस्पताल बेखौफ चल रहे हैं। कोचिंग सेंटरों में प्रवेश और निकासी भी इतनी संकरी है कि वहां हादसा हो जाए तो राहत-बचाव भी आसान नहीं होगा।

शहर के कई इलाकों में नहीं पहुंच सकती दमकल

शहर के कई इलाके ऐसे हैं, जहां दमकल की गाड़ी नहीं पहुंच सकती। घंटाघर के आसपास का बाजार भी ऐसा ही है। उधर, लिसाड़ीगेट, नई बस्ती, मलियाना और शहर के प्रमुख बाजार भी बेहद संकरे हैं। ऐसे में वहां हादसा होने पर बड़ी जनहानि हो सकती है।

दिया हुआ है नोटिस: सीएफओ

सीएफओ संतोष राय का कहना है कि अस्पताल और कोचिंग सेंटरों को नोटिस दिया हुआ है। शहर के ऐसे हिस्सों को भी चिह्नित किया जा रहा है, जहां पर दमकल की गाड़ी नहीं जा सकती है। वहां के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी।

ये हैं नियम

- बेसमेंट में कोचिंग सेंटर, नर्सिंग होम या अस्पताल कतई नहीं होने चाहिए।

- फायर फाइटिंग सिस्टम दुरुस्त होना चाहिए। कर्मचारियों को इसके संचालन की जानकारी होनी चाहिए।

- इमारत में इमरजेंसी निकास अवश्य होना चाहिए।

- समय-समय पर इलेक्ट्रिकल फायर सेफ्टी आडिट होना चाहिए।

- जगह-जगह अग्निशमन यंत्र और बालू से भरी बाल्टियां भी रखी हों और पानी की पर्याप्त व्यवस्था हो।

- भवन में हौज रील पाइप होना चाहिए।

- 15 मीटर से ऊंची बिल्डिंग में लैंडिंग वाल्व लगे हों।

- समय-समय पर फायर उपकरणों का परीक्षण होते रहना चाहिए।

- अस्पताल या नर्सिंग होम ऐसी जगह होना चाहिए जहां दमकल की गाडिय़ां आसानी से पहुंच सकें। 


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