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साझी विरासत का प्रतीक है मेरठ: यहां के क्रिकेट के बैट और वाद्ययंत्र दुनियां भर में .....

मेरठ एनसीआर का हिस्‍सा है। मेरठ एक्‍सप्रेसवे पूरी तरह बन जाने के बाद एनसीआर के इस हिस्‍से की दिल्‍ली 70 किलोमीटर दूरी 45 मिनट की हो जाएगी।

By Krishan KumarEdited By: Published: Sun, 01 Jul 2018 11:17 PM (IST)Updated: Sun, 01 Jul 2018 11:43 PM (IST)
साझी विरासत का प्रतीक है मेरठ: यहां के क्रिकेट के बैट और वाद्ययंत्र दुनियां भर में .....

मेरठ पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश का मुख्य शहर है। जब आप चाय की चुस्की ले रहे होते हैं तो ऐसा संभव है कि उसकी मिठास मेरठ की चीनी ने ही घोली हो। मेरठ हिन्दू-मुस्लिम की साझी विरासत और सांप्रदायिक सद्भाव का भी प्रतीक है। इसकी बानगी है यहां का नौचंदी मेला। यह मेला देशवासियों के लिए हिन्दू–मुस्लिम एकता की झलक दिखाता है।

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हजरत बाले मियां की दरगाह और नवचण्डी देवी (नौचन्दी देवी) का मंदिर एक दूसरे के निकट पास ही हैं। चैत्र मास में यहां नवरात्रि का मेला लगता है। तब यहां, मंदिर के घंटों के साथ अजान की आवाज एक साथ गूंजती है। तब ऐसा लगता है ईश्वर और खुदा दोनों एक हो गए हो।

ऐसा माना जाता है कि मेरठ के नाम की उत्‍पत्ति माया राष्‍ट्र से हुई है। यानि माया का देश, माया ने ही असुरों की उत्‍पत्ति की थी। माया की बेटी मंदोदरी थीं, जो रावण की पत्‍नी थीं। पांडवों की राजधानी हस्तिनापुर यहीं स्थित है। इस शहर के अंदाज में बगावती तेवर हैं। अंगरेजों के खिलाफ 1957 की क्रांति के बीज यही फूटे थे।

मेरठ की एक खास बात और है यहां पर पहली बार जो आता है। वह कैंची जरूर खरीदता है। वहीं यहां की गजक का स्‍वाद आपकी रूह में समा जाता है। स्पोर्ट्स के कई समाना यहां बनते हैं इसलिए इसको भारत की स्‍पोर्ट्स कैपिटल भी कहा जाता है। देश में धर्म की तरह माने जाने वाले क्रिकेट के खेल में छक्के-चौके कहीं पर भी पड़े लेकिन ये कमाल होता है मेरठ के बेहतरीन बल्लों से। यहां पर देश-विदेश के मशहूर क्रिकेटर बैट लेने के लिए आते हैं। मेरठ का सूरजकुंड इलाका अपने बल्‍लों के लिए प्रसिद्ध है।

सुरीले सुरों के संजाने में भी इस शहर को महारत हासिल है। यहां पर कई वाद्ययंत्रों का निर्माण भी किया जाता है। यहां की सर्राफ बाजार एशिया में सबसे बड़ा है। इसलिए मेरठ सोने-चांदी की तरह चमकता रहता है। यहां के हैंडलूम के काम की भी अलग पहचान है। शिक्षा के क्षेम में मेरठ में चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी है जहां से उच्च शिक्षा हासिल की जाती है। आसपास के इलाके से आने वाले लोगों के लिए यह शिक्षा का अहम केंद्र हैं।

तो दिल्‍ली मेरठ की दूरी हो जाएगी कम

मेरठ एनसीआर का हिस्‍सा भी है। अनुमान है कि आने वाले दिनों में मेरठ एक्‍सप्रेसवे पूरी तरह बन जाने के बाद एनसीआर के इस हिस्‍से की दिल्‍ली 70 किलोमीटर दूरी 45 मिनट की हो जाएगी। ऐसे में यहां के लोगों को तो आसानी होगी। वहीं रैपिड ट्रेन के प्रभावी होने के बाद मेरठ से दिल्‍ली की कनेक्टिविटी और भी बेहतर हो जाएगी। 

क्रिकेटरों की नर्सरी विक्‍टोरिया पार्क

मेरठ में नए क्रिकेटरों के लिए यहां का ऐतिहासिक विक्‍टोरिया पार्क नर्सरी की तरह है। भारतीय स्विंग गेंदबाज भुवनेश्‍वर कुमार ने भी यहीं क्रिकेट की शुरुआती बारीकी सीखी, वहीं प्रवीण कुमार भी इसी मैदान की उपज हैं। माना जाता है कि 1857 के स्‍वतंत्रता संग्राम की शुरुआत विक्‍टोरिया पार्क से हुई थी। अंग्रेजों से बगावत करने वाले सैनिकों को इसी पार्क के अंदर बनी जेल में बंद कर दिया गया था।

यह है मेरठ में खास

पांडव किला-  मान्‍यता है कि मेरठ के बरनावा में यह किला पांडवों ने बनवाया था। इस किले में कई प्राचीन मूर्तियां हैं। इसी किले के बारे में बताया जाता है कि यहां दुर्योधन ने पांडवों को उनकी मां सहित जलाने की साजिश रची थी।  

शहीद स्मारक - शहीद स्मारक संगमरमर का बना हुआ है। यह करीब 30 मीटर ऊंचा है। यह उन वीर लोगों के लिए है। जिन्‍होंने स्‍वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की कुर्बानी दी थी ।

शाहपीर मकबरा - मुगलकालीन यह मकबरा मेरठ के ओल्ड शाहपीर गेट के निकट स्थित है। शाहपीर मकबरे के पास ही सूरज कुंड स्थित है।

हस्तिनापुर तीर्थ - यह जैन लोगों के लिए पवित्र स्‍थान है। यह जैन तीर्थंकर शांतिनाथ को समर्पित है। माना जाता है तीसरे तीर्थंकर आदिनाथ ने यहां 400 दिन का उपवास रखा था। वहीं द्रोपदी की रसोई हस्तिनापुर में बरगंगा नदी के तट पर स्थित है।

सेन्ट जॉन चर्च- सरधना में मौजूद देश के पुराने चर्चों में से एक है। इसका वास्‍तु देखने योग्‍य है। मदर मैरी को समर्पित इस चर्च की डिजायन इटालिक आर्किटेक्‍ट एंथनी रघेलिनी ने बनाई थी।

 

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