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क्रिकेट के फलक पर मेरठ ने बड़ी की अपनी लकीर, वरिष्ठ खिलाडिय़ों ने बढ़ाया आत्मविश्वास

यह मेरठ जनपद के लिए गर्व की बात है। जिले के खिलाड़ी क्रिकेट के मैदान में अपनी लकीर बड़ी करते जा रहे हैं। गेंदबाजी हो या बल्लेबाजी। टेस्ट हो वनडे हो या फिर टी-20। हर फार्मेट में क्रांतिधरा के होनहारों ने डंका बजाया है।

By Prem BhattEdited By: Published: Mon, 30 Nov 2020 11:00 AM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2020 03:27 PM (IST)
क्रिकेट के फलक पर मेरठ ने बड़ी की अपनी लकीर, वरिष्ठ खिलाडिय़ों ने बढ़ाया आत्मविश्वास
खिलाडिय़ों में व्याप्त अनुशासन और प्रदर्शन की ललक ही इन्हें ऊंचाई तक ले जा रही है।

मेरठ, [अमित तिवारी]। जनपद के खिलाड़ी क्रिकेट के मैदान में अपनी लकीर बड़ी करते जा रहे हैं। गेंदबाजी हो या बल्लेबाजी। टेस्ट हो, वनडे हो या फिर टी-20। हर फार्मेट में क्रांतिधरा के होनहारों ने डंका बजाया है। उत्तर प्रदेश की अंडर-16 से रणजी ट्राफी तक और बीसीसीआइ की अंडर-19 इंडिया टीम से सीनियर, इंडिया-ए और टीम इंडिया में भागीदारी बढ़ रही है। कड़ी प्रतिस्पर्धा, स्तरीय प्रशिक्षण और वरिष्ठ खिलाडिय़ों के पदचिह्नों पर चलने का जज्बा युवाओं को ऊंचे मुकाम तक पहुंचा रहा है।

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कड़ी प्रतिस्पर्धा ने निखारा हुनर

मेरठ कालेज क्रिकेट एकेडमी के कोच संजय रस्तोगी के अनुसार अंडर-14 में बालकों को चुनकर अनुशासित माहौल में प्रशिक्षण दिया जाता है। इस आयु वर्ग में 12 साल के बच्चे भी होते हैं जिन्हें सिखाने का अधिक समय मिलता है। एकेडमी स्तर पर ही खिलाडिय़ों को अधिक मैच खेलने का मौका देते हैं। कड़ी प्रतिस्पर्धा में जो बच्चे निकलते हैं उन्हें आगे बढऩे में कोई दिक्कत नहीं होती। प्रियम गर्ग, उमंग शर्मा, शिवम चौधरी, शिवम बंसल, प्रशांत चौधरी, समीर चौधरी, समीर रिजवी, संदीप तोमर, कार्तिक त्यागी, पूर्णांक त्यागी सहित दर्जनों बोर्ड खिलाड़ी इसी प्रक्रिया से निकले हैं।

प्रतिभा को मिलता है मौका

मेरठ डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव सुरेंद्र चौहान के अनुसार पारदर्शी चयन प्रक्रिया में हुनरमंद को ही मौका मिलता है। ज्यादातर उभरते खिलाड़ी आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के हैं। उन्हें आर्थिक मदद भी मुहैया कराई जाती है। इसके नतीजे भी अच्छे मिले हैं। यहां बच्चों में खेल के प्रति जज्बा है।

सीनियर के साथ बढ़ता है आत्मविश्वास

अंतरराष्ट्रीय व आइपीएल खिलाड़ी कर्ण शर्मा के अनुसार जिस तरह वह प्रवीण कुमार को देख प्रेरित हुए उसी तरह जब वह, भुवनेश्वर, प्रियम नए क्रिकेटर्स के साथ खेलते हैं, अपने अनुभव साझा करते हैं तो उनको इसका लाभ मिलता है। वह हमारे जैसा बनना चाहते हैं। इससे आत्मविश्वास बढ़ता है और वह जैसा बनना चाहते हैं वैसा ही खेलने की कोशिश भी करते हैं।

बाहरी खिलाड़ी यहां आते हैं खेलने

फनगेज के स्पोट्र्स हेड शुभम सिंह के अनुसार मेरठ सर्किट का क्रिकेट देश के कई राज्यों के बराबर है। प्रवीण कुमार के समय जहां क्लबों में 15-20 बच्चे होते थे, वहां अब डेढ़ सौ से दो सौ बच्चे हैं। यहां बाहर के खिलाड़ी भी आते हैं। सचिन तेंदुलकर की तरह काफी कम उम्र में रणजी खेलने वाले जम्मू के बल्लेबाज शुभम बजूरिया ने मेरठ में छह महीने रहकर प्रैक्टिस की। यहां से लौटकर गए तो मुंबई में दमदार प्रदर्शन किया।

इनका कहना है...

मेरठ के खिलाडिय़ों में व्याप्त अनुशासन और प्रदर्शन की ललक ही इन्हें ऊंचाई तक ले जा रही है। बिना किसी सिफारिश के खिलाड़ी विभिन्न स्तर पर चयनित होकर अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। उसी प्रदर्शन के आधार पर उनका चयन आगे की प्रतियोगिताओं में भी हो रहा है।

- डा. युद्धवीर सिंह, सचिव, उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन


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