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10 करोड़ के कर्ज में फंसा मेडिकल कॉलेज और दवा का भी संकट,जानिए क्या है मामला

मेरठ में मेडिकल कालेज के मरीज एक-एक टेबलेट के मोहताज हो जाएं तो हैरान मत होना। क्योंकि मेडिकल कॉलजे खुद दस करोड़ रुपये के कर्ज के जाल में फंस गया है।

By Ashu SinghEdited By: Published: Thu, 09 May 2019 09:52 AM (IST)Updated: Thu, 09 May 2019 09:52 AM (IST)
10 करोड़ के कर्ज में फंसा मेडिकल कॉलेज और दवा का भी संकट,जानिए क्या है मामला
10 करोड़ के कर्ज में फंसा मेडिकल कॉलेज और दवा का भी संकट,जानिए क्या है मामला
मेरठ, [जागरण स्पेशल]। मेडिकल कालेज के मरीज एक-एक टेबलेट के मोहताज हो जाएं तो चौंकिएगा मत। मेडिकल बजट की कंगाली में फंस गया है। फार्मास्यूटिकल कंपनियां पांच करोड़ का बकाया देखते हुए दवा आपूर्ति बंद करने जा रही हैं। करीब चार करोड़ रुपये की दवाओं के आर्डर जहां के तहां फंस गए हैं। आउटसोर्सिग स्टाफ के वेतन का पांच करोड़ रुपए मेडिकल प्रशासन पर बकाया है, ऐसे में मेडिकल करीब दस करोड़ के घाटे में पहुंच गया है। 
9.69 करोड़ का बजट खर्च
वित्तीय वर्ष के लिए तय दस करोड़ में जनवरी-2019 तक 9.69 करोड़ का बजट खर्च कर दिया गया था। उधर, लू, हीट स्ट्रोक, डायरिया, मलेरिया, फाइलेरिया, पीलिया एवं अन्य बीमारियों को देखते हुए चिकित्सकों का ब्लडप्रेशर बढ़ गया है।
खरीदी जा चुकी पांच करोड़ की दवाएं
लाला लाजपत राय मेडिकल कालेज ने गत वर्ष शासन से दवा के लिए 12 करोड़ रुपये का बजट मांगा था। किस्तों में छह करोड़ का बजट मिला,किंतु इससे ज्यादा बजट की दवा खरीद ली गई। 2019-20 सत्र से पहले पांच करोड़ रुपए की दवाएं खरीदी जा चुकी थीं। इसमें आपरेशन के मरीजों के लिए एंटीबायोटिक, दर्द निवारक, हार्ट, शुगर, हार्मोन्स, ग्लूकोज, डिस्इन्फेक्टेंट, इम्प्लांट समेत 300 प्रकार की दवाएं खरीदी गईं। कई दवाएं जेम पोर्टल से भी खरीदी गईं।
मरीजों की बढ़ती तदाद से स्थिति बिगड़ी
आयुष्मान भारत एवं एनएचएम की योजनाओं की वजह से लिस्ट में नई दवाओं को भी शामिल करना पड़ा है। इधर, रोजाना ओपीडी में तीन हजार से ज्यादा मरीजों के पहुंचने,50 से ज्यादा आपरेशन एवं इमरजेंसी में ताबड़तोड़ दवाओं की खपत से इलाज की स्थिति चरमरा गई।
क्या कहते हैं प्राचार्य
प्राचार्य डा.आरसी गुप्ता बताते हैं कि दर्जनों कंपनियों के पास करीब चार करोड़ रुपए की दवाओं के आर्डर भेजे गए हैं। दो साल पहले भी मेडिकल में दवा आपूर्ति करने वाली तमाम कंपनियां कोर्ट पहुंच गई थीं, जिसे वक्त रहते प्रशासन ने संभाल लिया। मेडिकल कालेज में पांच साल पहले भी दवा की तंगी हुई, जब अतिरिक्त खुराक के लिए जालौन मेडिकल कालेज की दवाएं मेरठ भेज दी गई थीं, लेकिन इस बार हालात जुदा हैं। उधर, आउटसोर्सिग स्टाफ के वेतन का पांच करोड़ रुपए मेडिकल प्रशासन पर बकाया है, ऐसे में मेडिकल करीब दस करोड़ के घाटे में पहुंच गया है। 

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