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डेयरी संचालकों को एमडीए की दो टूक...जमीन नहीं है

एमडीए डेयरी संचालकों के लिए कोई योजना लागू करेगा तो उससे संबंधित विज्ञापन भी निकालेगा। हालांकि उन्होंने बताया कि 20 हेक्टेयर जमीन प्रशासन से मांगी गई है।

By Taruna TayalEdited By: Published: Wed, 08 May 2019 12:07 PM (IST)Updated: Wed, 08 May 2019 12:07 PM (IST)
डेयरी संचालकों को एमडीए की दो टूक...जमीन नहीं है
डेयरी संचालकों को एमडीए की दो टूक...जमीन नहीं है

मेरठ, जेएनएन। एमडीए ने डेयरी संचालकों से स्पष्ट कहा है कि अभी उसके पास जमीन नहीं है। डेयरी के लिए 20 हेक्टेयर जमीन की मांग प्रशासन से की गई है। यदि प्रशासन या निगम के स्तर से जमीन उपलब्ध कराकर विकास कराने के लिए कहा जाएगा तो एमडीए विकास करा देगा। दरअसल, मंगलवार को सैकड़ों डेयरी संचालक एमडीए वीसी से मिले और कैटल कालोनी में डेयरी के लिए प्लॉट की मांग की। संचालकों ने कहा कि वे पहले नगर निगम गए थे, लेकिन वहां से नगर आयुक्त के आवास भेज दिया गया। वहां से उन्हें एमडीए भेज दिया गया।

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एमडीए प्रस्ताव मांगेगा तो विज्ञापन भी कराएगा

वीसी राजेश पांडेय ने डेयरी संचालकों को बताया कि एमडीए ने किसी से प्रस्ताव नहीं मांगा है। एमडीए के पास जमीन नहीं है। एमडीए डेयरी संचालकों के लिए कोई योजना लागू करेगा तो उससे संबंधित विज्ञापन भी निकालेगा। हालांकि उन्होंने बताया कि 20 हेक्टेयर जमीन प्रशासन से मांगी गई है। जैसे ही जमीन मिल जाएगी उससे संबंधित जो भी निर्देश होगा उसका पालन किया जाएगा।

चारागाह और सीलिंग की जमीन का फंसा पेच

काशी में 7.5 हेक्टेयर में कालोनी विकसित होगी। इसमें तीन हजार पशुओं के बांधने की व्यवस्था हो सकेगी। वहीं अल्लीपुर जिजमाना में 27 हजार वर्ग मीटर में कालोनी विकसित होगी। यहां पर 1500 पशुओं के बांधने का इंतजाम हो सकेगा। इस तरह से 4500 पशुओं के लिए इंतजाम हो जाएगा। मानक के हिसाब से एक पशु के लिए 10 वर्ग मीटर की जगह चाहिए होती है। इन दोनों स्थानों पर कैटल कालोनी विकसित करने के लिए शासन को डीएम की तरफ से प्रस्ताव भेजा गया है। दरअसल, काशी गांव की जमीन चरागाह की है और निगम क्षेत्र में है।

क्‍या हैं नियम

नियमानुसार निगम क्षेत्र में कैटल कालोनी विकसित नहीं की जा सकती। वहीं अल्लीपुर जिजमाना गांव की जमीन अर्बन सीलिंग की है। चरागाह की जमीन कालोनी के लिए देने में कई कानून आड़े आएंगे, वहीं अल्लीपुर जिजमाना वाली जमीन को राज्य सरकार में निहित करनी पड़ेगी। बहरहाल, मामला जब हाई कोर्ट में जवाब देने का है तो शासन स्तर से भी इन दोनों के लिए कोई न कोई रास्ता निकलेगा।

यहां पांच कालोनियां बनाने की चल रही कवायद

स्थान    कालोनियों की संख्या

गगोल      एक

रेसना       दो

दायमपुर   एक

मलियाना  एक 

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