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बवाल में न फंसता बदर अली तो अस्पताल पर मेहरबान रहता एमडीए Meerut News

मेरठ में हुए बवाल के आरोपित बदल अली का अस्पताल पूरी तैयारी के साथ बनाया गया। हालात साफ इशारा करते हैं कि क्षेत्रीय मेट और जेई ने इसे बनवाने में सहयोग किया था।

By Ashu SinghEdited By: Published: Wed, 10 Jul 2019 11:54 AM (IST)Updated: Wed, 10 Jul 2019 11:54 AM (IST)
बवाल में न फंसता बदर अली तो अस्पताल पर मेहरबान रहता एमडीए Meerut News
मेरठ, जेएनएन। शांति मार्च के दौरान बवाल का मुख्य आरोपित होने के कारण बदर अली के अवैध अस्पताल पर बुलडोजर चल गया। अगर इस बवाल में बदर का नाम न होता तो यह चैरिटेबल अस्पताल यूं ही खड़ा रहता। यानी, उदघाटन होता और इसके संचालन की शुरुआत भी। आनन-फानन में हुई कार्रवाई से साफ है कि एमडीए की ओर से इसे सील करने या ढहाने की कोई योजना नहीं थी।
मिलीभगत का परिणाम है अवैध निर्माण
यह अस्पताल पूरी तैयारी के साथ बनाया गया। हालात साफ इशारा करते हैं कि क्षेत्रीय मेट और जेई ने इसे बनवाने में पूरा सहयोग किया। ऐसा भी नहीं हो सकता कि किसी विवादित व्यक्ति के अवैध निर्माण की शिकायत वरिष्ठ अधिकारियों तक न पहुंचे। शिकायत भी पहुंची होगी लेकिन नोडल व जोनल अधिकारी से लेकर ऊपर के अफसरों ने भी सिर्फ नोटिस देकर फर्ज पूरा कर लिया होगा। जैसा कि एमडीए के अधिकारी ही बता रहे हैं कि कई बार इस अवैध निर्माण पर नोटिस भेजा गया था। बदर अली ने मानचित्र स्वीकृति के लिए आवेदन भी किया था।
शिकायत होने पर मानचित्र का किया था आवेदन
मतलब ये कि पहले अस्पताल बनने दिया गया और बाद में जब शिकायतें बढ़ीं तो बदर से कहकर मानचित्र का आवेदन लिया गया। चूंकि, इसका मानचित्र स्वीकृत नहीं हो सकता था, इसलिए एमडीए खामोश बना रहा। अब बदर बवाल का मुख्य आरोपित था। हर तरफ से उसे घेरा जा रहा था, लिहाजा एमडीए उसका कारनामा नहीं छिपा सका।
एक साल पहले ढही थी कॉलोनी अब फिर बन गई
फतेहउल्लापुर में एक साल पहले एक कॉलोनी पर जेसीबी चलाई गई थी। कई निर्माण तोड़कर सड़कें खोद दी गई थीं। अब उस स्थान पर फिर से कई भवन बन गए हैं। अवैध निर्माण फल-फूल रहा है। एमडीए अधिकारियों ने वहां जाने के बाद भी इन अवैध निर्माणों को नजरंदाज कर दिया।
इधर जमानत, उधर रासुका
बदर अली पर रासुका लगेगी। प्रशासनिक एवं विधिक पहलुओं पर राय के बाद साक्ष्य एकत्र कर लिए गए हैं। बदर अली की जमानत याचिका डलते ही पुलिस रासुका की कार्रवाई करेगी। इस मामले में पुलिस 64 बवालियों को गिरफ्तार कर चुकी है। बता दें कि उन्मादी भीड़ द्वारा हिंसा के विरोध में युवा सेवा समिति ने 30 जून को फैज-ए-आम कालेज से हापुड़ अड्डे तक बिना अनुमति जुलूस निकाला।
नाटकीय ढंग से भेजा था जेल
भीड़ का खैरनगर, इंदिरा चौक और हापुड़ अड्डे पर पुलिस से टकराव हुआ। पुलिस ने 70 नामजद और एक हजार अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। पुलिस ने मुख्य आरोपित बदर अली को नाटकीय ढंग से जेल भेज दिया था। इसके बाद बदर अली के खिलाफ दर्ज पूराने मुकदमों की फाइलें खोल दी गईं। सभी में बदर अली के खिलाफ रिमांड मांगा गया। बदर अली नौ मुकदमों में आरोपित बनाया गया है।

निकाला जा रहा है आपराधिक इतिहास
मंगलवार को पुलिस की एक टीम ने अभियोजन अधिकारी से विधिक राय ली। पुलिस ने बदर के खिलाफ रासुका की तैयारी पूरी कर ली है। पुलिस ने इसके लिए सभी साक्ष्य भी जुटा लिए हैं। पुलिस कोर्ट में बदर अली को शिकस्त देने के लिए साक्ष्यों से लैस हो रही है। सभी थानों से दर्ज मुकदमों का रिकार्ड और बदर का आपराधिक इतिहास निकाल लिया गया है। पुलिस बदर की जमानत अर्जी डालने का इंतजार कर रही है। सीओ दिनेश शुक्ला ने बताया कि जमानत अर्जी पड़ने के बाद पुलिस रासुका के लिए आवेदन करेगी, ताकि बदर अली जेल से नहीं छूट जाए।
चिह्नित कर बवालियों को छोड़ा जा रहा
बवालियों के चिह्नित करने में भी खेल किया जा रहा है। वीडियो दिखाकर पुलिसकर्मी वसूली भी कर रहे हैं। चर्चा है कि कई पुलिसकर्मी अपने मोबाइल में वीडियो लिए घूम रहे हैं। कप्तान के सामने इस प्रकार की शिकायत आने के बाद एसआइटी का गठन किया गया था। अभी तक एसआइटी ने विवेचनाओं का जिम्मा नहीं संभाला है। यही कारण है कि विवेचक लगातार चिह्न्ति करने में खेल कर रहे हैं। 

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