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मेरठ की गंगाधाम ए, बी और सी को मिला एमडीए का नोटिस, कालोनीवासियों में मचा हड़कंप

गंगाधाम ए बी और सी कालोनी को एमडीए ने नोटिस भेजा है। अधिशासी अभियंता के नाम से तीनों कालोनी के आरडब्ल्यूए को भेजे गए नोटिस में नालियों की जल निकासी का कनेक्शन सीवर लाइन से हटाने के लिए कहा गया है।

By Taruna TayalEdited By: Published: Fri, 08 Oct 2021 05:44 PM (IST)Updated: Fri, 08 Oct 2021 05:44 PM (IST)
मेरठ की गंगाधाम ए, बी और सी को मिला एमडीए का नोटिस, कालोनीवासियों में मचा हड़कंप
गंगाधाम ए, बी और सी को मिला एमडीए का नोटिस।

मेरठ, जेएनएन। गंगाधाम ए, बी और सी कालोनी को एमडीए ने नोटिस भेजा है। अधिशासी अभियंता के नाम से तीनों कालोनी के आरडब्ल्यूए को भेजे गए नोटिस में नालियों की जल निकासी का कनेक्शन सीवर लाइन से हटाने के लिए कहा गया है। नोटिस मिलने के बाद तीनों कालोनियों के आरडब्ल्यूए में हड़कंप मचा हुआ है। रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन का कहना है कि जल निकासी के लिए यदि सीवर लाइन से कनेक्शन हटाया जाएगा तो तीनों कालोनियों की नालियों की जल निकासी कहां जाएगी। इसके लिए एमडीए की स्वयं ही जिम्मेदारी बनती है। कालोनी एमडीए से अधिकृत है, इसके बावजूद यदि नोटिस देकर इस तरह से परेशान किया गया तो कालोनीवासी कहां गुहार लगाएंगे।

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यह है नोटिस

एमडीए के अधिशासी अभियंता ने ए, बी और सी गंगाधाम के रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन अध्यक्ष काे संबोधित करते हुए नोटिस भेजा है। जिसमें कहा गया है कि गंगाधाम पाकेट ए, बी व सी का स्थलीय निरीक्षण कराया गया। जिसमें पाया गया कि उक्त पाकेटों की नालियों का कनेक्शन प्राधिकरण द्वारा गंगानगर योजना के अंतर्गत डाली गई सीवर लाइन में अनाधिकृत रूप से किया गया है। उक्त नालियों के कनेक्शन सीवर लाइन से पत्र प्राप्ति के एक सप्ताह के भीतर स्वयं हटाकर सूचित करें, अन्यथा प्राधिकरण द्वारा उक्त कनेक्शन हटा दिए जाएंगे। जिसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे।

रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन का पक्ष

गंगाधाम ए-पाकेट के आरडब्ल्यूए अध्यक्ष ओमपाल पुंडीर ने बताया कि उनकी कालोनी की जल निकासी सीवर लाइन से नहीं जुड़ी है। अधिकारियों ने निरीक्षण कैसे किया, हमारे यहां पर इसकी काेई जानकारी नहीं है। हमनें किठौर विधायक को नाली के लिए पत्र भी दिया हुआ है।

इन्‍होंने बताया...

गंगाधाम बी-पाकेट के आरडब्ल्यूए अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह का कहना है कि यह कालोनी एमडीए द्वारा स्वीकृत है। बिल्डर की 12 लाख रुपये कीमत की प्रोपर्टी एमडीए में मोर्गेज है। यदि बिल्डर सुविधा नहीं देता है तो स्वीकृत होने के बाद एमडीए को सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए। इसमें कालोनीवासियों की क्या गलती है।


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