एमडीए में बदलाव का ऑनलाइन बिगुल, अब फुस्स नहीं होगी कार्रवाई Meerut News
अब सभी नोटिस ऑनलाइन दिए जाएंगे और उनका ब्योरा भी उपलब्ध रहेगा। संबंधित वाद की जानकारी भी ऑनलाइन होगी। किसी भी मामले की सुनवाई की जानकारी एमडीए की वेबसाइट पर मिलेगी।
By Taruna TayalEdited By: Published: Tue, 23 Jul 2019 12:17 PM (IST)Updated: Tue, 23 Jul 2019 12:17 PM (IST)
मेरठ, [प्रदीप द्विवेदी]। एमडीए में भ्रष्टाचार की दलदल कम करने की कवायद शुरू की गई है। जल्द ही अवैध निर्माण संबंधी चालान ऑनलाइन काटे जाएंगे। यही नहीं इन वादों का रिकार्ड भी ऑनलाइन होगा। 24 जुलाई को इस अभियान की शुरूआत होगी।
दस्तावेजों की छानबीन होती है पर कार्रवाई फुस्स
शहर अवैध निर्माण से अटा पड़ा है। एमडीए इन पर कार्रवाई करता है, लेकिन कोई रिकार्ड नहीं है। प्रवर्तन विभाग के कर्मचारी-अधिकारी चालान तो करते हैं, लेकिन इससे आगे की कार्रवाई गुम हो जाती है। चालान जो भी करता है, उसी तक सीमित रहता है। यही नहीं कुछ दिनों बाद इसका कोई लेखा-जोखा ही नहीं मिलता। शिकायतें आती रहती हैं और पुलिंदा बनता रहता है। उच्च अधिकारी इस खेल की गहराई जान ही नहीं पाते। कोई मामला हाईप्रोफाइल होता है तो दस्तावेजों की छानबीन होती है और इसके बाद कार्रवाई फुस्स। अवैध निर्माण और नोटिस एक साथ शुरू होते हैं। नोटिस गुम हो जाता है और निर्माण कुछ ही दिनों में छत तक और उसके बाद दो व तीन मंजिला तक पहुंच जाता है। यही नहीं अवैध निर्माण से संबंधित वादों की प्रगति के हालात बद से बदतर हैं। अब एमडीए ने इस व्यवस्था में बदलाव का बिगुल फूंका है। अब सभी नोटिस ऑनलाइन दिए जाएंगे और उनका ब्योरा भी उपलब्ध रहेगा। संबंधित वाद की जानकारी भी ऑनलाइन होगी। किसी भी मामले की सुनवाई की जानकारी एमडीए की वेबसाइट पर मिलेगी। इसका शुभारंभ 23 जुलाई को कमिश्नर अनीता सी मेश्रम करेंगी। गौरतलब है कि एमडीए में मानचित्र व नामांतरण की फाइलों में भी भ्रष्टाचार चरम पर है। इसे ऑनलाइन करने पर भ्रष्टाचार पर काफी हद तक अंकुश लगा है। फाइलों को आगे बढ़ाने की गति में तेजी आई है। जवाबदेही व समय सीमा तय हो जाने के बाद आवेदकों को कुछ राहत मिली है।
इन्होंने कहा
चालान व नोटिस कंप्यूटराइज्ड होने से रिकॉर्ड को कभी भी जांचा जा सकेगा। इससे जवाबदेही तय होगी और कार्रवाई सुनिश्चित होगी। राजस्व विभाग की तरह एमडीए के प्रवर्तन वादों के ऑनलाइन होने से लोगों को सहूलियत मिलेगी।
- राजेश पांडेय, वीसी, एमडीए
1100 पुरानी फाइलें कराई जा रही हैं स्कैन
वित्तीय वर्ष 2018-19 की निर्माण संबंधी 1100 मैनुअल फाइलों को स्कैन कराया जा रहा है। इसके बाद पूरा रिकार्ड कंप्यूटर में दर्ज होगा। इसके बाद उससे भी पहले की फाइलें स्कैन होंगी।
दस्तावेजों की छानबीन होती है पर कार्रवाई फुस्स
शहर अवैध निर्माण से अटा पड़ा है। एमडीए इन पर कार्रवाई करता है, लेकिन कोई रिकार्ड नहीं है। प्रवर्तन विभाग के कर्मचारी-अधिकारी चालान तो करते हैं, लेकिन इससे आगे की कार्रवाई गुम हो जाती है। चालान जो भी करता है, उसी तक सीमित रहता है। यही नहीं कुछ दिनों बाद इसका कोई लेखा-जोखा ही नहीं मिलता। शिकायतें आती रहती हैं और पुलिंदा बनता रहता है। उच्च अधिकारी इस खेल की गहराई जान ही नहीं पाते। कोई मामला हाईप्रोफाइल होता है तो दस्तावेजों की छानबीन होती है और इसके बाद कार्रवाई फुस्स। अवैध निर्माण और नोटिस एक साथ शुरू होते हैं। नोटिस गुम हो जाता है और निर्माण कुछ ही दिनों में छत तक और उसके बाद दो व तीन मंजिला तक पहुंच जाता है। यही नहीं अवैध निर्माण से संबंधित वादों की प्रगति के हालात बद से बदतर हैं। अब एमडीए ने इस व्यवस्था में बदलाव का बिगुल फूंका है। अब सभी नोटिस ऑनलाइन दिए जाएंगे और उनका ब्योरा भी उपलब्ध रहेगा। संबंधित वाद की जानकारी भी ऑनलाइन होगी। किसी भी मामले की सुनवाई की जानकारी एमडीए की वेबसाइट पर मिलेगी। इसका शुभारंभ 23 जुलाई को कमिश्नर अनीता सी मेश्रम करेंगी। गौरतलब है कि एमडीए में मानचित्र व नामांतरण की फाइलों में भी भ्रष्टाचार चरम पर है। इसे ऑनलाइन करने पर भ्रष्टाचार पर काफी हद तक अंकुश लगा है। फाइलों को आगे बढ़ाने की गति में तेजी आई है। जवाबदेही व समय सीमा तय हो जाने के बाद आवेदकों को कुछ राहत मिली है।
इन्होंने कहा
चालान व नोटिस कंप्यूटराइज्ड होने से रिकॉर्ड को कभी भी जांचा जा सकेगा। इससे जवाबदेही तय होगी और कार्रवाई सुनिश्चित होगी। राजस्व विभाग की तरह एमडीए के प्रवर्तन वादों के ऑनलाइन होने से लोगों को सहूलियत मिलेगी।
- राजेश पांडेय, वीसी, एमडीए
1100 पुरानी फाइलें कराई जा रही हैं स्कैन
वित्तीय वर्ष 2018-19 की निर्माण संबंधी 1100 मैनुअल फाइलों को स्कैन कराया जा रहा है। इसके बाद पूरा रिकार्ड कंप्यूटर में दर्ज होगा। इसके बाद उससे भी पहले की फाइलें स्कैन होंगी।
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