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मेरठ राउंडटेबल कांफ्रेंसः खाकी का इकबाल लौटे तभी आएगी सेंस ऑफ सिक्योरिटी

प्रदेश में पुलिस फोर्स की कमी को दूर करने का प्रयास प्रदेश सरकार कर रही है। कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल करके पुलिस भर्ती की जा रही है।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Sun, 12 Aug 2018 06:00 AM (IST)Updated: Thu, 16 Aug 2018 07:13 PM (IST)
मेरठ राउंडटेबल कांफ्रेंसः खाकी का इकबाल लौटे तभी आएगी सेंस ऑफ सिक्योरिटी

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शामिल मेरठ कानून-व्यवस्था की पटरी पर लड़खड़ा रहा है। राह चलते लड़कियों पर टिप्पणी, छेड़खानी जैसी घटनाओं से मां-बेटियां अकेले घर से निकलने में डरती हैं। पुलिस बड़े अपराधों को तो किसी तरह से शिकंजा कसने की कोशिश कर रही है। बावजूद सुरक्षित समाज की कल्पना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। खाकी का इकबाल खो गया है। आज जरूरत है तो कानून को ठीक ढंग से क्रियांवित करने की। महिलाओं के प्रति तो समाज में नकारात्मक भाव है, उसे बदलने की।

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यह निष्कर्ष दैनिक जागरण की ओर से आयोजित माय सिटी माय प्राइड के राउंड टेबल कांफ्रेंस से निकला। शहर की सुरक्षा व्यवस्था विषय पर आयोजित इस कार्यक्रम में शहर के जनप्रतिनिधि, शिक्षक, व्यापारी, प्रोफेशनल्स, स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधि, पुलिस और सेना के रिटायर्ड अफसर और प्रबुद्धजनों ने समस्याओं, चुनौतियों के साथ समाधान पर पर अपने विचार रखे।

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प्रदेश सरकार की ओर से एंटी रोमियो अभियान चलाने के बाद भी शहर में सबसे बड़ी चुनौती के तौर पर मां, बहन, बेटियों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाया गया। कांफ्रेंस में सभी महिला संगठन और स्कूल के प्रिंसिपलों ने माना कि आज भी लड़कियों को स्कूल, कोचिंग आते-जाते मनचलों की टिप्पणी और छेड़खानी का शिकार होना पड़ रहा है। इसके चलते बहुत से अभिभावक पढ़ाई बीच में रोककर अपनी बेटियों की शादी तक कर दे रहे हैं। लड़कियों के प्रति लड़कों के इस सोच को बदलने पर जोर दिया गया।

सभी ने यह माना कि परिवार से ही लड़कों को संस्कारित करने की जरूरत है। बैठक में सभी ने एक स्वर में माना कि आज अभिभावकों को बेटे और बेटियों में कोई फर्क नहीं करना चाहिए। कांफ्रेंस में रोड सेफ्टी को लेकर भी चर्चा हुई। सड़क पर बेतरतीब वाहनों से होने वाले हादसों को रोकने के लिए गंभीरता से पहल करने पर रजामंदी हुई। उद्यमियों ने फिरौती, धमकी भरे कॉल की समस्याओं की ओर ध्यान आकृष्ट कराया। कहा कि यह समस्या समय के साथ खत्म होनी चाहिए थी, लेकिन व्यापारी-उद्यमी आज भी इससे आजिज है। इसकी बड़ी वजह अपराध का राजनीतिक संरक्षण है।

आबादी अधिक, पुलिस कम
कांफ्रेंस में शहर की सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस फोर्स की कमी बताई गई। जानकारों ने माना कि जिस अनुपात में शहरों की जनसंख्या बढ़ रही है, उस अनुपात में पुलिस बल नहीं है। प्रदेश में एक लाख कांस्टेबल के पद रिक्त हैं। डिप्टी एसपी जैसे पद पर 800 से अधिक तैनाती होनी है।

क्राइम रोकने के लिए पर्याप्त पुलिस बल की जरूरत बताई गईं। साथ ही आपराधिक मामलों में न्यायिक देरी को भी क्राइम बढ़ने का एक कारण माना गया। शहर में लॉ एंड आर्डर को सही रखने के लिए केवल पुलिस बल पर निर्भर न रहते हुए खुद भी जागरूक होने और आवाज उठाने की बात कही गई।

श्रेणियों में बांटकर सुरक्षा को करेंगे पुख्ता
शहर में कानून-व्यवस्था को सही रखने के लिए राउंडटेबल कांफ्रेंस में तीन श्रेणियों में बांटकर पहल करने के लिए कहा गया। इसमें ऐसे काम जो आम लोग खुद के प्रयास और भागीदारी से कर सकते हैं, उसे जनसहयोग की श्रेणी में रखा गया। ऐसे काम जो अपने स्तर से किए जा सकते हैं, जिसमें धन की जरूरत के लिए किसी निकाय और सरकार पर निर्भर न रहना पड़े उसे सीएसआर श्रेणी यानी कंपनी सोशल रेस्पांसिबिलिटी में रखा गया। तीसरी श्रेणी में ऐसे काम को रखा गया जो शासन और प्रशासन स्तर में रखा गया।

जन सहभागिता से सुधारेंगे व्यवस्था
- सड़क पर ट्रैफिक नियमों को धता करते हुए बाइकर्स की पहचान की जाएगी। ऐसे लोग फेस्टिवल के मौके पर सड़क पर इस तरह से फर्राटा भरते हैं कि उससे कभी भी हादसा हो सकता है। ऐसे बाइकर्स के नंबर देखकर उनकी पहचान सुनिश्चित कराई जाएगी।
- स्कूल और कॉलेज स्तर पर अपने बच्चों के प्रति जवाबदेह बनने के लिए अभिभावकों की कार्यशाला आयोजित की जाएगी। इसे प्राथमिक तौर पर कुछ कॉलेजों में संचालित किया जाएगा। इसमें सभी अभिभावकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने का प्रयास होगा।
- युवतियों और महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की घटनाओं को रोकने के लिए महिला संगठनों की मदद ली जाएगी। वह पुलिस का सहयोग करेंगी। साथ ही कैंप के माध्यम से लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाएंगी। इसमें महिला खिलाड़ियों की मदद ली जाएगी।

सीएसआर फंड से करेंगे ये काम
- सड़क और चौराहों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए प्रमुख स्थलों को चिन्हित किया जाएगा। इसमें चुनिंदा स्थान पर सीसीटीवी कैमरे लगवाए जाएंगे।
- रोड सेफ्टी क्लब की ओर से सड़क सुरक्षा स्कूलों के अलावा औद्योगिक आस्थानों, कार्यालयों में ट्रेनिंग की व्यवस्था होगी ताकि वे ट्रैफिक के नियम-कानून से भलीभांति अवगत हो सकें।

शासन-प्रशासन से मांग
रात में प्रमुख मोहल्लों, मार्गों, बाजार, मॉल में पुलिस की पेट्रोलिंग बढ़े ताकि रात के समय भी सेंस ऑफ सिक्योरिटी डेवलप हो सके। अन्य शहरों की तर्ज पर यहां भी पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू करने की मांग उठाई जाएगी।

मेरी आवाज सुनो...

पुलिस जनता की सेवक है, उसे कानून के तहत काम करना होता है। कानून के अनुसार जो काम उचित है, वहीं उसे करना चाहिए। कई बार किसी प्रभावशाली व्यक्ति अगर कानून के रास्ते में आता है तो भी कानून के दायरे में रहकर ही काम करना चाहिए। वहीं न्यायिक प्रक्रिया में भी बदलाव की जरूरत है। वहां तारीख पे तारीख न पड़े। 

- आरएस राणा, रिटायर्ड डीआईजी

शहर में ट्रैफिक की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चुनौती है, आए दिन हम जाम से दो चार होते हैं। ट्रैफिक पुलिस कुछ समय तक सक्रिय रहती है फिर निष्क्रिय हो जाती है। चौराहों और सड़कों से अतिक्रमण हटाना होगा। लोगों को भी सड़क पर ट्रैफिक नियमों का सख्ती से पालन करना होगा। अगर वह वाहन चलाते हैं कि तो हेलमेट लगाएं, सीट बेल्ट बांधकर चलें।
- अमित नागर, रोड सेफ्टी क्लब

मैं लड़कियों को निशुल्क जूडो सिखा रही हूं। लड़कियां यह सीखना चाहती हैं, लेकिन बहुत से अभिभावक इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं। वह अपने घर से बाहर लड़कियों को भेजना भी नहीं चाहती हैं। अगर कोई लड़का छेड़ता है तो वह अपनी बेटियों की शादी कर देना चाहते हैं।
- भावना शर्मा, जूडो कोच

हम कहीं न कहीं अपनी बेटियों के प्रति सचेत नहीं हैं। अपने आसपास ऐसी किसी भी घटना देखने पर हम आंख मूंद लेते हैं, जबकि हमें प्रतिकार करने के लिए खड़ा होना चाहिए। ऐसे माहौल को बदलने की जरूरत है। ताकि डरने की जगह हम ऐसे मामलों में डटकर मुकाबले के लिए खड़ा हो सकें।
- नरेंद्र चौधरी, महासचिव, गंगासागर वेलफेयर सोसाइटी

सरकार बदलती है, लेकिन अफसर वहीं रहते हैं। वह कई बार सरकार की विचारधारा से प्रभावित होते हैं। ऐसे अफसरों के विचार को बदलने में थोड़ा वक्त लगता है। सुरक्षा के लिए जितनी पुलिस होनी चाहिए, उतनी नहीं है। फिर भी सरकार इस दिशा में तेजी से सुधार कर रही है।
- दिनेश खटीक, विधायक, हस्तिनापुर

प्रदेश में पुलिस फोर्स की कमी को दूर करने का प्रयास प्रदेश सरकार कर रही है। कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल करके पुलिस भर्ती की जा रही है। एक जनप्रतिनिधि को जनता के प्रति जवाबदेही रहना पड़ता है, लेकिन इसमें भी अधिकारियों के काम में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाता है। केवल सुझाव दिया जाता है। मौजूदा समय में किसी भी अपराधी पर किसी नेता का संरक्षण नहीं दिखाई देगा। एंटी रोमियो स्क्वायड की समीक्षा चल रही है। अच्छी तैयारी के साथ इसे उतारा जाएगा।
- डॉ. सोमेंद्र तोमर, विधायक, मेरठ दक्षिण

प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद कानून व्यवस्था में लगातार सुधार हो रहा है। डेढ़ साल पहले शहर में अकेले लड़कियां नहीं निकल पाती थीं, एंटी रोमियो स्क्वॉयड के गठन के बाद स्थितियां बदली। बड़े अपराधी या तो जेल में हैं या फिर प्रदेश छोड़ चुके हैं। सुरक्षा को लेकर कई नासूर हैं उसे धीरे-धीरे ठीक कर लिया जाएगा।
- सत्यप्रकाश अग्रवाल, विधायक, मेरठ कैंट

स्कूल आने वाली छात्राओं के साथ छेड़खानी होती है। लड़के उनका पीछा करते हैं। बहुत सी छात्राएं उनकी टिप्पणियों से परेशान रहती हैं। इस मामले में पुलिस को और सख्त होने की जरूरत है। लड़कों में नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देने की भी जरूरत है। इसमें अभिभावकों को भी पहल करने की जरूरत है।
- मधु सिरोही, प्रिंसिपल, मेरठ पब्लिक स्कूल फॉर गर्ल्स, वेस्ट एंड रोड

छेड़खानी की जिस तरह घटनाएं हो रही हैं, उसे रोकने के लिए पहल होनी चाहिए। घर में लड़कों को अनुशासित बनाने का प्रयास करना चाहिए। ताकि वह अपनी सोच में सकारात्मक भाव भर सकें। लड़कियों का परवरिश भी ऐसे हो खुद को कमजोर न समझें।
- सपना आहूजा, प्रिंसिपल, एमपीजीएस, शास्त्रीनगर

लड़के और लड़कियों की बराबर शिक्षा होना चाहिए। शिक्षा की शुरुआत घर से होती है। इसलिए केवल लड़कियों पर मोरल वैल्यू को लेकर प्रेशर डालने की जरूरत नहीं है। लड़कों को घर के भीतर मोरल वैल्यू को सिखाने की जरूरत है।
- चंद्रलेखा जैन, प्रिंसिपल, सेंट जोंस सीनियर सेकेंडरी स्कूल

लड़के और लड़कियों दोनों की शिक्षा ऐसी हो कि वह एक दूसरे का सम्मान करें। लड़कियों का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए उन्हें ट्रेनिंग देने की जरूरत है। किसी भी स्तर पर लड़कियां कमतर नहीं हैं। अगर उनके साथ कोई घटना होती है तो लड़कियों को उसके विरोध में खड़ा होना चाहिए।
- डॉ. नीलिमा गुप्ता, प्राचार्य, इस्माइल डिग्री गर्ल्स कॉलेज

- लड़कियों को ही नहीं लड़कों की भी सेफ्टी होनी चाहिए। प्राइमरी एजुकेशन में मोरल वैल्यू बताना होगा। कॉलोनी में चौपाल लगाकर भी मोरल वैल्यू का पाठ पढ़ाया जा सकता है।
- अंजू, बेटियां फाउंडेशन

शहरों में छेड़खानी की घटना बढ़ रही है। शहर के लड़कों को संस्कारों से जोडऩे की जरूरत है। तभी लड़कियों के प्रति उनकी सोच बदलेगी।
- शिव कुमारी गुप्ता

बेटियों को सुरक्षित वातावरण देने के लिए हमें भी आवाज उठाने की जरूरत है। स्थानीय स्तर पर अगर कोई ऐसी घटना होती है तो हमें विरोध करना चाहिए।
- पप्पू गुर्जर, किसान सेवक

मानसिक कुपोषण की वजह से समाज में महिलाओं के साथ अपराध बढ़ रहा है। इसे रोकने के लिए सख्त कानून की जरूरत है। साथ ही ऐसी घटनाओं की भत्र्सना होनी चाहिए।
- अनुभूति चौहान

उत्तर प्रदेश में महिलाओं का उत्पीड़न बढ़ा है। जहां महिलाओं को सुरक्षित माहौल नहीं मिल पाया है, वहां स्मार्ट सिटी की क्या परिकल्पना की जाए।
- ऋचा सिंह

स्कूल- कॉलेज में लड़कियों का पीछा करने के लिए आस- पास के गांवों के लड़के आते हैं। छेड़खानी और कमेंट करने के लिए कई बार वह लड़कियों का पीछा करते हुए उनके घर तक पहुंच जाते हैं।
- सरोज गुप्ता, बेटियां फाउंडेशन

शहर में बाइकर्स की समस्या है, ऐसे वाहन चालक सड़क कब पीटकर भाग जाते हैं। इन पर रोक लगाने की जरूरत है।
- बन्नी सिंह चौहान, राज्य कर्मचारी संघ, आईटीआई

बेटियां किसी स्तर पर कमजोर नहीं हैं। समाज में जरूरत है कि उनका परवरिश बेटों की तरह किया जाए, ताकि वह खुद को कमतर महसूस न करें। किसी भी घटना के लिए खुद तैयार रहें।
- सीपी वर्मा

लड़कियों को कम से कम दो खेल में डालें। खिलाड़ियों में कभी छेड़छाड़ जैसी घटना नहीं होती है। शारीरिक रूप से सक्षम होने पर मानसिकता भी बदलती है।
- भूपेंद्र सिंह यादव

जो जिम्मेदार लोग हैं, उन्हें जवाबदेही होनी चाहिए। युवाओं की एक बड़ी फौज को रोजगार नहीं है, ऐसे में युवा पीढ़ी अपराध की ओर मुड़ रही है। स्थायी रूप से रोजगार के देने के साथ उनके लिए उद्यमशीलता से जोड़ना चाहिए।
- पंकज गुप्ता

लड़कियों को कमजोर न बनाए, जहां मजबूती रहती है। छेड़छाड़ की घटनाएं नहीं होती हैं। उनकी कई लड़कियों ने अपनी ताकत से दिखा दिया है कि वह अकेले भी मनचलों पर भारी हैं।
- डॉ. जबर सिंह सोम, कुश्ती प्रशिक्षक

लड़के और लड़कियों दोनों की सुरक्षा जरूरी है। सिक्ससेंस विकसित करने की जरूरत है। स्कूल स्तर पर बच्चों में संस्कार डालने की जरूरत है। मेरे स्कूल में गीता स्टडीज का पीरियड है। इसका असर दिख रहा है।
- गोपाल दीक्षित

अभिभावकों के पास समय नहीं रह गया है कि वह यह देखें कि उनका बेटा और बेटी कहां जा रहे हैं। अभिभावकों को यह भी देखना चाहिए कि बच्चा क्या कर रहा है।
- रणवीर सिंह, पल्लवपुरम्

सड़क पर छेड़खानी करने वाले तत्वों की पहचान करके उसका तिरस्कार करने की जरूरत है। ताकि समाज में उसका और उसके परिवार की बदनामी हो। इससे माहौल सुरक्षित होगा।
- नवीन चंद्र

कई मामलों में माता-पिता भी खुद संस्कारित नहीं है। स्कूल स्तर पर जरूरत है कि उन्हें भी शिक्षित किया जाए। अभिभावकों को जवाबदेह बनाने की जरूरत है। स्कूल और अभिभावक में संवाद जरूरी है।
- डॉ. रजनी शंखधर, प्रिंसिपल, आरजी इंटर कॉलेज

सड़क की सुरक्षा को लेकर प्रबंध करने की जरूरत है। शहर में अव्यवस्थित तरीके से ऑटो के चलने से ट्रैफिक जाम होता है। ऑटो के लिए रूट एलाट किया जाना चाहिए।
- रिटायर्ड मेजर आरएस तोमर

सड़क सुरक्षा के लिए हमें ट्रैफिक नियमों का सही से पालन करना चाहिए, वाहनों को उचित जगह पार्क करें। शहर में जितने भी रेजीडेंशियल और वेलफेयर सोसाइटी हैं, उन सभी से प्रशासन बैठकर बात करे। उनका सुझाव लेकर सुरक्षा के लिए काम करें। कॉलोनी में जितने भी अनजान फेरी वाले आते हैं, उनका वेरिफिकेशन कराएं।
- राकेश सिंह, अध्यक्ष, पल्लवपुरम् वेलफेयर सोसाइटी

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