मेरठः ब्लड बैंक और दवा बैंक बचाएगी जिंदगी की पूंजी
माय सिटी माय प्राइड के अंतर्गत दैनिक जागरण की राउंड टेबल कांफ्रेंस में हर दौर में सार्थक चर्चा हुई, जिसका परिणाम गरीबों के लिए वरदान बनने की ओर है।
जागरण संवाददाता, मेरठ। सेहत सबसे बड़ा धन है, जिसकी सुरक्षा के लिए शहर बड़ी संजीदगी से तैयार हो रहा है। चिकित्सकों ने सेवा भाव की मिसाल कायम करते हुए जहां ब्लडबैंक तकरीबन तैयार कर लिया है, वहीं लघु उद्योग भारती ने गरीबों के लिए मुफ्त दवाएं उपलब्ध कराने की शपथ ली। माय सिटी-माय प्राइड के मंथन में उभरे विचार जल्द ही साकार होकर लोगों की सेवा में तत्पर हो जाएंगे।
माय सिटी माय प्राइड के अंतर्गत दैनिक जागरण की राउंड टेबल कांफ्रेंस में हर दौर में सार्थक चर्चा हुई, जिसका परिणाम गरीबों के लिए वरदान बनने की ओर है। चिकित्सकों के साथ मंथन के दौरान शहर की सेहत सुधारने के तमाम उपायों पर बड़ी संजीदगी से चर्चा हुई थी। चिकित्सकों ने बताया कि बड़ी संख्या में मरीज रक्त के अभाव में जिंदगी छोड़ देते हैं। ऐसे में उनके लिए एक नया ब्लड बैंक बनाने की योजना पर काम करने की जरूरत है। इस पर तेजी से अमल किया गया। नॉको-नेशनल एड्स कंट्रोल सोसायटी एवं ड्रग विभाग ने चिकित्सकों की इस योजना पर मुहर लगा दी।
आइएमए हाल में चार सौ यूनिट रक्त संग्रह को लेकर प्रयास तेज कर दिए गए हैं। यह मेरठ का 14 वां ब्लड बैंक बनने की तरह बढ़ रहा है। इससे पहले 13 ब्लड बैंक शहर में सैकड़ों मरीजों की जिंदगी बचाते हैं, किंतु कई बार स्टाक पूरा नहीं रहता। दैनिक जागरण के मंथन सत्र में पहुंचे चिकित्सकों की मानें तो वर्तमान में ट्रामा केयर को लेकर सरकार बेहद अलर्ट है। हाइवे के किनारे हर 50 किमी पर ट्रामा सेंटर बनाने के साथ ही ब्लड बैंकों को भी विस्तार देना है, जिससे ज्यादा से ज्यादा मरीजों की जिंदगी बचाई जा सके।
मेडिकल कालेज एवं पीएल शर्मा जिला अस्पताल के ब्लड बैंकों में 50 फीसद तक स्टॉक रहता है, जबकि निजी अस्पतालों के ब्लड बैंकों में बड़ा सूखा देखा जा चुका है। खासकर, ब्लड के फैक्टर नहीं मिलने से कई मरीज इलाज के बीच में दम तोड़ देते हैं। आइएमए के पूर्व अध्यक्ष डा. वीरोत्तम तोमर बताते हैं कि ब्लड बैंक का कांसेप्ट बेहद उपयोगी है। चिकित्सकों की देखरेख में ऐसा ब्लड बैंक बनकर तैयार हो, जहां कोई भी व्यक्ति पहुंचकर अपने मरीज के लिए जरूरी फैक्टर प्राप्त कर सके। इसकी तमाम औपचारिकताएं तेजी से पूरी की जा रही हैं। शासन की टीम ने निरीक्षण कर हरी झंडी दे दी है। यहां पर नियमित रक्तदान कैंप लगाया जाएगा, जिससे गरीबों से ब्लड के बदले ब्लड न लेना पड़े। वरिष्ठ कार्डियोलोजिस्ट डा. राजीव अग्रवाल आपसी सहभागिता से बनाए जा रहे ब्लड बैंक को शहर के लिए वरदान मानते हैं।
एक्सपायर होने से पहले मरीजों तक पहुंचेंगी दवाएं
ब्लड बैंक से प्रेरित होकर औद्योगिक संगठनों ने अपने यहां नियमित स्वास्थ्य कैंप लगाने की शपथ ली है। लद्यु उद्योग भारती सेवा भारती के साथ मिलकर दवाओं का कलेक्शन कर रहा है, जिसकी मियाद खत्म होने से मरीज तक पहुंचाया जा रहा। सेवा भारती ऐसे कई अस्पतालों एवं संगठनों से संपर्क में है, जहां बची हुई दवाओं को उनसे ले लिया जाता है। ये दवाएं, इंजेक्शन, मल्टीविटामिन व अन्य साल्ट उन मरीजों के लिए जीवनरक्षक साबित होती हैं, जिन्होंने महंगी दवाओं की वजह से इलाज छोड़ दिया। औद्योगिक संगठन ऐसे गरीब मरीजों को चिन्हित कर रहे हैं, जहां दवाओं का संकट है। लघु उद्योग भारती के राजकुमार शर्मा कहते हैं कि अब तक सैकड़ों मरीजों को लाभान्वित किया गया है। असाध्य बीमारियों की भी दवाएं एकत्रित करने की योजना है। वरिष्ठ डाक्टरों के साथ हर माह आइआइए हाल ने कैंप शुरू कर दिया है। वह मानते हें कि इस दवा बैंक के जरिए जिंदगी की पूंजी बचाई जा सकती है।