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कारोबार की पिच पर नाबाद खेल रहे जतिन

पांच दशक में सरीन स्पोर्ट्स यानी एसएस कंपनी एक विश्वसनीय ब्रांड बनते हुए एक हजार से ज्यादा लोगों को प्रशिक्षित कर चुकी है।

By Krishan KumarEdited By: Published: Sat, 11 Aug 2018 06:00 AM (IST)Updated: Sat, 11 Aug 2018 06:00 AM (IST)
कारोबार की पिच पर नाबाद खेल रहे जतिन

जतिन सरीन बेशक युवा उद्यमी हैं, लेकिन कारोबार की पाठशाला में कईयों के मास्टर हैं। वह ऐसी कंपनी की कमान संभाल रहे हैं, जिसका ग्राफ क्रिकेट खेलने वाले देशों में काफी ऊपर है। जतिन ने पिता की विरासत को न सिर्फ संभाला, बल्कि कारोबार को नए आयाम दिए।

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पांच दशक में सरीन स्पोर्ट्स यानी एसएस कंपनी एक विश्वसनीय ब्रांड बनते हुए एक हजार से ज्यादा लोगों को प्रशिक्षित कर चुकी है। आज मेरठ के आर्थिक विकास में कंपनी अहम किरदार निभाती है। आने वाले दिनों में कंपनी के उत्पादों की रेंज बढ़ाकर वह बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा करने की दिशा में बढ़ रहे हैं।

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दिग्गजों के हाथ में बल्ला तो युवकों के हाथ में जॉब
विभाजन के बाद पाकिस्तान से भारत पहुंचकर तमाम कारोबारियों ने खेल उत्पादों की नींव रखी। जनित के पिता एनके सरीन ने खेलकूद के कारोबार की संभावनाओं को भांपते हुए कंपनी की नींव 1969 में रखी। 43 वर्षीय जतिन सरीन ने नब्बे के दशक में क्रिकेट कंपनी का कारोबार संभाला। व्यक्तिगत रूप से पांच सौ से ज्यादा युवकों को स्किल्ड किया।

क्रिकेट का एसएस ब्रांड दुनियाभर में मशहूर था, किंतु युवा सोच ने विदेशों में कारोबार के नए आयाम तलाशे। जतिन की कंपनी ने करीब छह सौ लोगों को रोजगार दिया है। बल्ले की तराश, गेंद की सिलाई, पैड एवं हेलमेट बनाने का हुनर सीखकर दर्जनों लोगों ने अपना कारोबार शुरू किया।

जतिन इसे स्वाभाविक मानते हैं। उनका कहना है कि मेरठ बेहतर खेल उत्पादों के हब के रूप में जाना जाता है, ऐसे में हर कर्मचारी के हाथ में हुनर रोपने की जरूरत है। यहां से ट्रेंड कईयों ने निजी कंपनी खोली, और बेहतर काम किया। प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार गांवों तक पहुंचा। आने वाले दिनों में एसएस कंपनी जूते समेत कई अन्य आयटम बनाएगी।

विश्लेषक भी मानते हैं कि मेरठ की औद्योगिक सेहत में खेल कंपनियों की अहम भूमिका है। इसमें एसएस कंपनी का योगदान लगातार बढ़ रहा है। सौरव गांगुली, महेंद्र सिंह धोनी, रोहित शर्मा, पोलार्ड से लेकर कुमार संगकारा और क्रिस गेल जैसे धाकड़ बल्लेबाजों की पसंद बने एसएस के बल्लों की चमक ऑस्ट्रेलिया, वेस्टइंडीज, इंग्लैंड के साथ ही श्रीलंका, बांग्लादेश व अफगानिस्तान जैसे देशों में भी खूब बढ़ी है।

काउंटी क्रिकेट से टी-20 एवं फटाफट क्रिकेट के बढ़ते खुमार के बीच खेलकूद कंपनियों का कारोबार बढ़ा। उन्होंने प्रभावी तरीके से क्रिकेटरों एवं विदेशी कंपनियों तक से संपर्क साधा। नतीजा ये रहा कि दुनिया के तमाम नामी गिरामी बल्लेबाज उनकी कंपनी से बल्ले ले गए। जतिन अपने कर्मचारियों के हुनर को भी बखूबी तराशते हैं। उन्हें अपग्रेड करने के लिए कई बार कौशल विकास प्रशिक्षण शिविर भी लगा चुके हैं।

क्या कहते हैं जतिन
जतिन सरीन का कहना है कि मेरठ का उद्यमी अपनी ताकत, साहस एवं गुणवत्ता से बढ़ा है। उद्यमियों की तमाम अपीलों के बावजूद इंफ्रास्ट्रक्चर में कोई सुधार नहीं किया गया। किंतु मेरठ की कंपनियां अपने दम पर आगे बढ़ती गईं। यहां पर खेल उत्पादों की डुप्लीकेसी का संकट गहराता जा रहा है। अगर इस पर तत्काल अंकुश लगाकर महज बुनियादी सुविधा बहाल कर दी जाए तो मेरठ दुनिया का सबसे हुनरमंद शहर है। कंपनी हर वर्ष दर्जनों लड़कों को ट्रेंड कर देती है।

कुछ ऐसे बदल सकती है स्पोर्ट्स इंडस्ट्री की साख
मेरठ की खेल इकाइयों में से दर्जनभर निर्यातक हैं। दुनिया के 150 से ज्यादा देशों तक कारोबार फैला है, किंतु कंटेनर डिपो न होने से दिल्ली तक भटकना उद्योगों पर भारी पड़ गया। वह इसे तत्काल बहाल करने की पैरवी करते हैं।

  • कानून व्यवस्था एवं इंस्पेक्टर राज को लेकर मेरठ अब भी दशकभर पीछे खड़ा है। विभाग अगर तेजी से उद्योगों की समस्याओं को निस्तारित करें तो बेहतर परिणाम मिलेंगे। कानून व्यवस्था दुरुस्त होगा तो उत्पादकों एवं ग्राहकों का भरोसा बढ़ेगा।
  • गुणवत्तापूर्ण उत्पादों के बनाने के बावजूद ऑनलाइन ट्रेडिंग से मेरठ की खेल इकाइयां बदनाम हो रही हैं। तमाम ऑनलाइन कंपनियों ने डुप्लीकेट माल बेचना शुरू कर दिया, जिसका भंडाफोड़ होने के बावजूद न सरकार ने शिकंजा कसा और न ही स्थानीय प्रशासन ने सख्ती दिखाई।
  • मेरठ में हवाई अड्डा बनाएं। उड़ान शुरू करने, रैपिड रेल दौड़ाने और एक्सप्रेस-वे के बनने से विदेशी खिलाड़ी एवं ग्राहक सीधा मेरठ पहुंचेंगे। आयात-निर्यात सुलभ होगा तो अर्थतंत्र का पहिया तेजी से घूमने लगेगा। कच्चे माल की उपलब्धता आसानी से होने लगेगी। औद्योगिक गति बढ़ाने के लिए उत्तराखंड जैसी विशेष छूट का प्रबंध करना चाहिए।

जतिन सरीन, निदेशक-एसएस 

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