माय सिटी माय प्राइडः तकनीक में बदलाव कर मजबूत हो रहे किसानों के हाथ
दैनिक जागरण के 'माय सिटी माइ प्राइड' में तय हुए लक्ष्य अब आकार लेने लगे हैं।
किसानों पर सबसे अधिक बोझ महंगी कृषि तकनीक और उपकरण का है। ऐसे में परंपरागत तकनीक में बदलाव कर किसानों की सोच के साथ दिशा भी बदलने का प्रयास शुरू हो चुका है। दैनिक जागरण के महाभियान 'माय सिटी माइ प्राइड' में महा मंथन के बाद कृषि तकनीक में बदलाव के साथ अर्थ व्यवस्था में योगदान को लेकर भी चर्चा की गई। अब उसी प्रयास का फल है कि रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होना शुरू हो गए हैं।
दैनिक जागरण के 'माय सिटी माइ प्राइड' में तय हुए लक्ष्य अब आकार लेने लगे हैं। किसानों की अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने और आसान तकनीक उपलब्ध कराने को लेकर जो वायदे किए गए, उसका नतीजा भी अब सामने आने लगा है। सरधना निवासी किसान इंजीनियर रोबिन त्यागी के प्रयासों का ही परिणाम है कि हजारों रुपये के कृषि उपकरण मामूली कीमत पर किसानों को उपलब्ध हो रहे हैं।
बात खेत की जुताई की हो या गेहूं-धान की कटाई की, मात्र 200 से 500 रुपये में उपकरण किसानों के हाथ में पहुंच रहे हैं। पश्चिम उत्तर प्रदेश में अधिक गन्ना, गेंहू और आलू की खेती होने के कारण अधिक उलझन है। ऐसे में सस्ते उपकरण और आसान तकनीक काफी हद तक कृषकों की उलझन को सुलझा कर आसान बना रही है।
15 हजार का उपकरण 250 में मिलेगा
किसानों के सामने सबसे अधिक दिक्कत महंगे कृषि उपकरण की खरीद को लेकर हैं। ऐसे में रोबिन ने अपनी प्रयोगशाला में कई नए उपकरण तैयार किए हैं। इसमें धान-गेहूं की कटाई का उपकरण मात्र 250 रुपये खर्च कर बनाया है, जबकि बाजार में इंजन चालित उपकरण की कीमत 15 हजार से अधिक है। ऐसे ही पशुओं को परेशान करने वाली मक्खी को भगाने के लिए बाजार में उपकरण दो से पांच हजार में मिलता है, जबकि यहां मात्र दस रुपये में उपकरण तैयार किया गया है।
ऐसे ही जुताई के लिए 450 रुपये, फल तोड़ने के लिए 30 रुपये, पशुओं का पानी पिलाने के लिए 300 रुपये, नील गाय को खेतों से भगाने के लिए 250 रुपये कीमत के उपकरण तैयार किए हैं। जबकि बाजार में इन सभी उपकरणों की कीमत 10 से 25 हजार के बीच है।