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मेरठ : डॉक्‍टरों की सुरक्षा का भरपूर बंदोबस्त करे प्रशासन

बड़ी आबादी मौलिक चिकित्सा से वंचित है। सरकारी चिकित्सा व्यवस्था में बड़ा सुधार हुआ है, निजी क्षेत्रों से जुड़ाव न होने से अभियान प्रभावी साबित नहीं हो पा रहा है।

By Krishan KumarEdited By: Published: Fri, 13 Jul 2018 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 13 Jul 2018 06:00 AM (IST)
मेरठ : डॉक्‍टरों की सुरक्षा का भरपूर बंदोबस्त करे प्रशासन

कहते हैं बच्चे ही देश का भविष्य होते हैं और इसी भविष्य को संवारने में लगे मेरठ के डॉक्टर उमंग अरोड़ा का जीरियाट्रिक क्लीनिक बुजुर्गों के लिए संजीवनी बन गया है। डॉ. अरोड़ा इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की क्लीनिक में बुजुर्ग मरीजों को खुद सहारा देकर पहुंचाते हैं। हर गुरुवार आइएमए हॉल में बुजुर्गों के लिए निशुल्क क्लिनिक लगाई जाती है, जिसके संयोजक डॉ. उमंग हैं। इस क्लिनिक में प्रति सप्ताह कम से कम 50 बुजुर्ग लाभांवित होते हैं। इसके साथ ही डॉ. अरोड़ा बच्चों के लिए मुफ्त टीकाकरण कैंप लगाते हैं।

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बेहतरीन चिकित्सक के साथ ही उनकी छवि भविष्य में वंचित वर्ग की सेहत को सुरक्षा कवच देना है। उन्हें पता है कि इस राह में चुनौतियां भी मुंह बाए खड़ी हैं, ऐसे में तमाम संगठनों से संवाद स्थापित कर गरीब वर्ग के लिए उच्चस्तरीय चिकित्सा उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहे हैं। वह आइएमए, आइएपी और नेशनल मेडिकल ऑर्गनाइजेशन में भी जुड़े हैं।

मेरठ में स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति पर बात करते हुए डॉ. उमंग कहते हैं कि बड़ी आबादी आज भी मौलिक चिकित्सा से वंचित है। सरकारी चिकित्सा व्यवस्था में बड़ा सुधार हुआ है, किंतु निजी क्षेत्रों से जुड़ाव न होने से अभियान पूरी तरह प्रभावी साबित नहीं हो पा रहा है। इसे तत्काल दूर करना पड़ेगा। प्रशासन को निजी अस्पतालों, डॉक्टरों और आम जनता के साथ मिलकर स्वास्थ्य सेवाओं को मुहैया करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि प्रशासन को चिकित्सकों की सुरक्षा का भरपूर बंदोबस्त करना चाहिए। आम व्यक्ति के मन में डॉक्टरों की पुरानी छवि बरकरार रखनी होगी। जीरियाट्रिक क्लीनिक शुरू करने में भी यही दिक्कत सामने आई थी। लोगों के बीच भरोसा जगाना आसान नहीं था, किंतु बाद में सबकुछ सुलझ गया।

डॉ. उमंग के मुताबिक तमाम नियमों में संशोधन होना चाहिए। प्रशासन सिर्फ मॉनिटरिंग तक सीमित न रहकर सुविधा भी उपलब्ध कराए। ग्रामीण क्षेत्रों तक स्तरीय चिकित्सा नहीं पहुंच पाती है। इसके लिए सरकार पीपीपी मॉडल पर काम कर सकती है। यह बदलाव का कारण बन सकता है।

डॉ. उमंग कहते हैं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को स्तरीय शिक्षा देने की जरूरत है। उन्हें सफाई और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति बचपन से जागरूक करना होगा। सामाजिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के लिए नियमित चिकित्सा संस्थान खोलना चाहिए। बच्चों की शिक्षा, सफाई और स्वास्थ्य पर विशेष फोकस करने की जरूरत है। 

सरकार द्वारा जेनरिक कांसेप्ट के तहत सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने की पहल को बेहतर बताते हुए उन्होंने कहा कि इसमें गुणवत्ता में समझौता न किया जाए। इनमें से तमाम दवाएं कसौटी पर खरी नहीं उतरी हैं। इसके लिए सरकार ज्यादा से ज्यादा स्टोर उपलब्ध करा सकती है। चिकित्सा के उपकरणों को ड्रग कंट्रोल में लाना बेहतर है, किंतु कई कंपनियां बोरिया बिस्तर बांध रही हैं, जो अंतत: आम मरीज को ही प्रभावित करेगा। लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज से 1991 बैच के एमबीबीएस डॉ. उमंग ने एमडी, पीडियाट्रिक और बाद में बोस्टन विवि यूएसए से स्पेशलाइजेशन किया है। 


-डॉ. उमंग अरोड़ा 

 (डॉ. उमंग अरोड़ा बच्चों के पोषण और ब्रोंकल अस्थमा मैनेजमेंट के विशेषज्ञ हैं। )


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