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कहीं बंट रही पूरी-कचौरी, कहीं चाट-चिल्ला

शहर में जहां तक नजर डालो बस एक ही रंग दूर तक नजर आ रहा है, और वह है भगवा रंग। भोले शंकर के जयकारों से शहर की हर मार्ग गूंज रहा है। वहीं भोले के भक्तों की सेवा के लिए जगह-जगह लगे शिविरों में एक से बढ़कर एक पकवान तैयार किए जा रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Aug 2018 11:00 PM (IST)Updated: Sun, 05 Aug 2018 11:00 PM (IST)
कहीं बंट रही पूरी-कचौरी, कहीं चाट-चिल्ला
कहीं बंट रही पूरी-कचौरी, कहीं चाट-चिल्ला

जागरण संवाददाता, मेरठ : शहर में जहां तक नजर डालो बस एक ही रंग दूर तक नजर आ रहा है, और वह है भगवा रंग। भोले शंकर के जयकारों से शहर की हर मार्ग गूंज रहा है। वहीं भोले के भक्तों की सेवा के लिए जगह-जगह लगे शिविरों में एक से बढ़कर एक पकवान तैयार किए जा रहे हैं। जिसमें हलवा पूरी और सब्जी से लेकर छोले-भटूरे और चाइनीज के अलावा पास्ता व कई तरह के फास्टफूड भी शामिल हैं।

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कांवड़ शिविर में मिलने वाले भोजन में पिछले कुछ सालों में बदलाव आया है। वहीं अब भंडारे में शिवभक्तों के लिए सिर्फ पूरी-कचौरी और सब्जी के अलावा खाने में काफी वैरायटी उपलब्ध है। इससे भंडारे का ट्रेंड ही बदल गया है, और लोग गोलगप्पे, छोले-कूलचे, दही टिक्की से लेकर बर्गर तक का स्वाद कांवड़ शिविरों में मिल रहा है। नाश्ते में है दूध-जलेबी और पकौड़ी

रुड़की रोड स्थित शिव भंडारे में पिछले पांच सालों से शिव भक्तों के लिए दूध-जलेबी तैयार की जा रही है। इसलिए इसका नाम ही दूध जलेबी कांवड़ शिविर पड़ गया है। शिविर के आयोजक मुकेश गुप्ता बताते हैं कि सुबह नाश्ते में शिवभक्तों को दूध-जलेबी का नाश्ता करवाया जाता है। इसके बाद डोसा, उत्पम, बेसन और सूजी का चिल्ला और कई तरह की पकौड़ी भी बनाई जाती है। इतना ही नहीं हर दिन नाश्ते में कुछ नया बनाने का प्रयास भी रहता है। जिसे काफी पसंद भी किया जाता है। दोपहर में सादा भोजन

शिवभक्तों को दोपहर का भोजन करने के बाद चलने में परेशानी न हो। इसलिए इस बार कांवड़ शिविरों में दोपहर के भोजन में दाल, सब्जी, रायता, रोटी और तंदूरी रोटी की व्यवस्था है। जिसकी मिक्स दाल का स्वाद लाजबाव है। दिल्ली रोड स्थित विशाल महाशिविर के आयोजक जितेंद्र कुमार बताते हैं कि यह व्यवस्था उन्होंने पिछले साल से शुरू की है, क्योंकि दिन में हैवी खाने ने शिवभक्तों को चलने में काफी परेशानी होती है। इसलिए हलके खाने के साथ इस बार बूंदी का रायता और मसाला छाछ की भी व्यवस्था की गई है। शाम की चाय के साथ फास्ट फूड

थके हारे शिवभक्तों को शाम को इलायची और अदरक वाली कड़क चाय के साथ आलू, बैंगन और मूंग की दाल की पकौड़ी मिल जाए तो सारी थकान जैसे छूमंतर हो जाती है। घंटाघर स्थित कांवड़ शिविर के आयोजक राजकुमार वर्मा का कहना है कि चाय पकौड़ी के साथ ही फास्टफूड में चाउमीन, पास्ता, बर्गर और यहां तक कि पावभाजी तक भी व्यवस्था की गई है, जो कांवड़ में आए बच्चों और युवाओं को काफी पसंद आ रही है। रात के भोजन में खूब भाए पकवान

जहां तक खाने में वैरायटी की बात है तो एक से बढ़कर एक पकवान मौजूद है, लेकिन पूरी-कचौरी संग आलू की सब्जी की बात ही कुछ और है। जिसे खाना सभी को पसंद है। इसलिए चाहे तो भी हो जाए लेकिन कांवड़ शिविरों में दिन में एक बार तो पूरी सब्जी की व्यवस्था की ही गई है। परतापुर दिल्ली रोड स्थित कांवड़ शिविर के आयोजक मनमोहन सिंह ने बताया के यह सर्वप्रिय भोजन है। जिसे सभी खाना पसंद करते हैं। इसलिए खाने में जहां पूरी सब्जी है वहीं मीठे में सूजी का हलवा, खीर भी है।


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