Move to Jagran APP

इंसान बनने की राह पर चले गुनहगार, जेल में पढ़ रहे मानवाधिकार का पाठ Meerut News

जुर्म की दुनिया से अब नेक इंसान बनने की दिशा में यह कदम सकारात्‍मक ही माना जाएगा। मेरठ की जेल मेंं बंद कैदी और बंदियों ने विभिन्‍न कोर्सों में पढ़ाई शुरू कर दी है।

By Ashu SinghEdited By: Published: Thu, 08 Aug 2019 11:08 AM (IST)Updated: Thu, 08 Aug 2019 11:08 AM (IST)
इंसान बनने की राह पर चले गुनहगार, जेल में पढ़ रहे मानवाधिकार का पाठ Meerut News
इंसान बनने की राह पर चले गुनहगार, जेल में पढ़ रहे मानवाधिकार का पाठ Meerut News
मेरठ, [अभिषेक कौशिक]। अमानवीयता की सभी हदें पार करने वाले और हत्या जैसे जघन्य अपराध में उम्र कैद काट रहे अपराधी इंसान बनने की राह पर हैं। चौधरी चरण सिंह जेल में बंद 29 बंदियों और सात कैदियों ने इस सत्र में मानवाधिकार के कोर्स में दाखिला लिया है। इनके अलावा 414 कैदी अलग-अलग विषयों की पढ़ाई कर रहे हैं। पढ़ाई-लिखाई का खर्च जेल प्रशासन वहन कर रहा है, वहीं कॉपी-किताब इग्नू की ओर से निश्शुल्क मिलेंगी।
अफसर करते हैं प्रेरित
चौधरी चरण सिंह जिला कारागार में बंद 450 कैदियों ने अलग-अलग कोर्स में दाखिला लिया है। वे मानवाधिकार से लेकर पर्यावरण संरक्षण और न्‍यूट्रिशियन एंड हेल्थ की पढ़ाई करेंगे। जेल प्रशासन के प्रयास से यह संभव हुआ है। जेल में उनके लिए लाइब्रेरी की व्यवस्था है। अधिकारी उनको पढ़ाते हैं। उनको प्रेरित करते हैं।
अब पढ़ाई को बना रहे हथियार
मानवाधिकार का पाठ पढ़ने वाले 36 बंदी-कैदियों में छह को उम्र कैद की सजा मिल चुकी है, तो एक को सात वर्ष (महिला) की। जेल अधिकारियों का कहना है कि हत्या जैसे जघन्य मामले में उम्र कैद काट रहे कैदी इसे जीवन की नई शुरुआत के रूप में देख रहे हैं। उनका कहना है कि जो हो गया उसे बदला नहीं जा सकता, लेकिन बाकी जीवन तो बेहतर बनाया जा सकता है। जब जेल की दीवारों से बाहर निकलेंगे तो मानवाधिकार का पाठ काम आएगा। खुद के साथ समाज को भी जागरूक करेंगे, ताकि किसी और को यहां न आना पड़े।
कोर्स कैदी-बंदियों की संख्या
सर्टिफिकेट इन ह्यूमन राइट 36।
बेचलर प्रीपरेटरी प्रोग्राम (बीपीपी) 145
सर्टिफिकेट फूड एंड न्यूटिशियन (सीएफएम) 140
सर्टिफिकेट इन न्यूट्रिशियन एंड चाइल्ड केयर (सीएनसीसी) 34
पर्यावरण अध्ययन 30
श्रम विकास में प्रमाण पत्र (सीआरडी) 06
डिप्लोमा इन न्यूटिशन एंड हेल्थ एजुकेशन 29
पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन रूरल डेवलपमेंट (पीजीडीआरडी) 03
बीकॉम प्रथम वर्ष 03
बीए प्रथम वर्ष 20
एमए पब्लिक एडमिनिस्टिेशन 04
इनका कहना है
हमारा उद्देश्य यही है कि बंदी-कैदी जब जेल की दीवारों से बाहर निकलें तो समाज की मुख्य धारा से जुड़ सकें। इसके लिए उनका शिक्षित होना जरूरी है। 450 बंदी-कैदी शिक्षा की राह पर चल रहे हैं। इनके अलावा भी जेल में बंद अन्य लोगों को हाथ का काम भी सिखाया जाता है।
- बीडी पांडेय, जेल अधीक्षक 

अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप

loksabha election banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.