गंगाजल पर खड़ा करें अरबों का उद्योग : जोशी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गंगा यात्रा के दौरान नदी किनारे स्थित गांवों में उद्यमशीलता की धारा बहाने की बात कही वहीं पर्यावरणविद् व पद्मभूषण डा. अनिल जोशी ने गंगोत्री से गंगासागर तक भूजल दोहन की जगह गंगाजल को पेयजल बनाने का फार्मूला सुझाया है।
मेरठ, जेएनएन। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गंगा यात्रा के दौरान नदी किनारे स्थित गांवों में उद्यमशीलता की धारा बहाने की बात कही, वहीं पर्यावरणविद् व पद्मभूषण डा. अनिल जोशी ने गंगोत्री से गंगासागर तक भूजल दोहन की जगह गंगाजल को पेयजल बनाने का फार्मूला सुझाया है। दावा किया कि नदी किनारे गांवों में जलशोधक प्लांट लगाने एवं बोतलबंद पानी के कारोबार से बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार मिलेगा। नकदी का भी प्रवाह बढ़ेगा।
एक कार्यक्रम में भाग लेने शुक्रवार को मेरठ पहुंचे पर्यावरणविद डा. अनिल जोशी ने कहा कि नदी किनारे स्थित गांवों से ही आसपास के मंदिरों में प्रसाद, फल, फूलमाला की आपूर्ति हो। गंगा बेसिन में गंगा उत्पाद व गंगा बाजार विकसित किया जा सकता है। डा. जोशी ने कहा कि उत्तराखंड सरकार अगले साल से सकल घरेलू उत्पाद की तर्ज पर सकल पर्यावरण उत्पाद का भी आंकड़ा पेश करेगी।
उन्होंने कहा कि जीडीपी विलासिता है, जबकि जीईपी जीवन है। सरकारों को हर वर्ष बढ़े वन क्षेत्र, प्रदूषण में सुधार, जल की गुणवत्ता व आक्सीजन की उपलब्धता के आंकड़े देने चाहिए।
डा. जोशी ने कहा कि सिर्फ 20 फीसद भूजल बचाकर भी नदियां सेहतमंद रह सकती हैं। बताया कि छह मार्च 2020 को देहरादून में प्रधानमंत्री का कार्यक्रम तय हुआ है, जहां ऐसी तमाम बातों पर अमल होना चाहिए। नमामि गंगे पर कहा कि सफाई के प्रति जनजागरण तो हुआ है, अब परिणाम आना बाकी है। गंगा से इकोनामी और इकोलोजी की दोनों धाराएं बहनी चाहिए। दिल्ली में पराली से प्रदूषण पर कहा कि किसानों की गलती नहीं है। सरकारों को पराली खरीदकर ईट व अन्य उत्पाद बनाने पर विचार करना चाहिए।