हाईकोर्ट बेंच के लिए वकीलों ने निकाली बाइक रैली, प्रधानमंत्री को भेजा ज्ञापन
मेरठ में हाईकोर्ट बेंच की मांग लंबे समय से चली आ रही है। आज वकीलों ने बेंच की मांग को लेकर बाइक रैली निकाली और प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा।
मेरठ। हाई कोर्ट बेंच स्थापना केंद्रीय संघर्ष समिति पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बैनर तले शनिवार को अधिवक्ताओं ने बेंच की स्थापना को लेकर फिर हुंकार भरी। उन्होंने समिति के बैनर तले शहर में बाइक रैली निकाली। साथ ही प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट शैलेंद्र सिंह को दिया।
कचहरी से शुरू हुई रैली
रैली कचहरी से शुरू हुई। साथ ही शहर के विभिन्न मार्गो से होती हुई वापस कलक्ट्रेट जाकर समाप्त हुई। इसके बाद समिति अध्यक्ष राजेंद्र सिंह जानी के नेतृत्व में अधिवक्ताओं ने प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट को दिया। ज्ञापन में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश 22 करोड़ से अधिक जनसंख्या का देश का सबसे बड़ा राज्य है, जिसका उच्च न्यायालय प्रदेश के पूर्वी सिरे इलाहाबाद में स्थित है। इसके साथ ही लखनऊ के अंतर्गत 13 जिलों का क्षेत्र अधिकार प्राप्त केवल एक बेंच है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अभी तक कोई बेंच नहीं है। साथ ही करीब 22 जिलों का क्षेत्राधिकार इलाहाबाद उच्च न्यायालय में है। जिसमें पहुंचने के लिए वादकारियों को 500 किलोमीटर से लेकर साढ़े सौ किलोमीटर तक की दूरी तय करनी पड़ती है। इतना ही नहीं कुछ जिलों के वादकारियों को लखनऊ होकर इलाहाबाद जाना पड़ता है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में लंबित वादों का 52 प्रतिशत भाग केवल उत्तर प्रदेश के पश्चिमी जिलों से है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जनता को सस्ता एवं सुलभ न्याय प्राप्त नहीं हो रहा है। इन परिस्थितियों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अंतर्गत इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ की स्थापना होना नितांत आवश्यक है।
35 सालों से आंदोलन
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जनता लगभग 35 सालों से बेंच की मांग को लेकर आंदोलन कर रही है। मांग की थी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जनता की करीब 50 साल पुरानी मांग को पूरा कराने के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसी भी उचित वह सर्वमान्य स्थान पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ की स्थापना की जाए जिससे पश्चिम उत्तर प्रदेश की जनता को सस्ता, सरल एवं त्वरित न्याय मिल सके साथ ही हमारी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उच्च न्यायालय की खंडपीठ की मांग को उत्तर प्रदेश विधानसभा के पटल पर रख कर उक्त प्रस्ताव को पास कराते हुए केंद्र सरकार को भेजें। ज्ञापन देने वालों में विनोद कुमार नीरज सोम समेत अन्य अधिवक्ता शामिल रहे।