खाकी के 'गुरुकुल' में मिलेगा मानसिक अवसाद से छुटकारा
मेरठ अव्यवस्थित जीवनशैली के कारण पुलिसकर्मी अवसाद का शिकार हो रहे हैं। तमाम शोध और
मेरठ
अव्यवस्थित जीवनशैली के कारण पुलिसकर्मी अवसाद का शिकार हो रहे हैं। तमाम शोध और मनोवैज्ञानिकों साफ कर चुके हैं कि पुलिस समेत समस्त सुरक्षा बल सबसे अधिक तनाव से गुजर रहे हैं, लेकिन अब पुलिस अपनी नई 'पौध' को अवसाद से पूरी तरह छुटकारा दिलाने में जुट गई है। इसके लिए खाकी के 'गुरुकुल' में विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है।
मेरठ समेत प्रदेश के तमाम पुलिस ट्रेनिंग विद्यालयों (पीटीएस) और पुलिस ट्रेनिंग कालेज (पीटीसी) में ट्रेनिंग के साथ फिलहाल सभी जगहों पर योगा क्लास चलाई जाती हैं, परंतु अवसाद को नेस्तनाबूद करने के लिए ट्रेनिंग दौरान ही विशेषज्ञों द्वारा प्रतिदिन सुबह-शाम एक-एक घंटे की कक्षा में मनोविज्ञान पर चर्चा होगी। व्यक्तित्व विकास के लिए सप्ताह में अध्यात्म का भी एक घंटा दिया जाएगा। एडीजी ट्रेनिंग ने मेरठ समेत लखनऊ, मुरादाबाद, सीतापुर, उन्नाव, गोरखपुर, मिर्जापुर के प्रधानाचार्यो व प्राचार्यो को ई-मेल भेजकर दिशा-निर्देश दिए हैं। तनाव की यह है वजह
ज्यादा नशा और दिन-रात ड्यूटी के कारण पुलिसकर्मी चिड़चिड़ा रहने लगता है। बात-बात पर गुस्सा आता है। काम के बोझ के कारण ही उनके शरीर में मेलाटोनिन हार्मोस असंतुलित हो जाता है। शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक (जैविक घड़ी) की क्रिया गड़बड़ा जाती है। नशा करने वाले पुलिसकर्मी कई बार अपने अफसर या किसी अन्य पर हमला कर देते हैं। वह इंपलशिव डिसऑर्डर के शिकार होते हैं। रिटायर्ड होने के बाद वह मूड डिसऑर्डर की चपेट में आ जाते हैं। अत्याधिक तनाव, नींद का पूरा न होना।
-डा. सत्यप्रकाश, न्यूरो साइकेट्रिस्ट-मेडिकल पुलिसकर्मियों को तनाव से दूर रखना बेहद जरूरी है। फिलहाल भी योगा कराया जा रहा है। अवसाद को खत्म करने के लिए उच्चाधिकारियों का हमेशा अच्छा प्रयास रहता है।
-सुनील कुमार, एसपी-पीटीएस