किसानों के शरीर में कीटनाशकों का पता लगाएगा केजीएमयू
फसल में कीटनाशकों का बेतहाशा प्रयोग इंसान के शरीर को नुकसान पहुंचा रहा है। ये कीटनाशक किसानों के शरीर में भी पहुंच रहे हैं। सरकार इस पर गंभीर हो गई है।
By Ashu SinghEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 04:34 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 04:34 PM (IST)
मेरठ, [संतोष शुक्ल]। कैंसर, किडनी एवं बोनमैरो के मरीजों की बढ़ती तादाद को देखते हुए सरकार हाई अलर्ट मोड में आ गई है। शक की सुई कीटनाशकों की तरफ घूमी तो एम्स, केजीएमयू और पीजीआइ चंडीगढ़ की टीमों ने मेरठ में डेरा डाल दिया। यह टीम खरखौदा ब्लाक में 15 हजार से ज्यादा लोगों के रक्त एवं यूरिन सैंपल की जांच करेगी। टीम यह भी देखेगी कि लोगों के शरीर में कीटनाशकों की कितनी मात्रा घुली और सेहत पर क्या असर पड़ा? इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च-आइसीएमआर का यह प्रोजेक्ट केंद्र एवं राज्य सरकार को भी भेजा जाएगा।
रक्त एवं यूरिन में मिल सकते हैं अंश
केजीएमयू की प्रोजेक्ट कोआर्डिनेटर डा. मोनिका अग्रवाल ने बताया कि यह शोध उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, पंजाब समेत कई राज्यों में चल रहा है, जहां कीटनाशकों की भारी खपत है। यूपी में सबसे ज्यादा कीटनाशक प्रयोग करने वाले मेरठ एवं सबसे कम प्रयोग करने वाले झांसी में रिसर्च होगा। खरखौदा ब्लाक को चयनित किया गया है, जहां 20 गांवों में टीम पहुंचेगी। रक्त एवं यूरिन सैंपल की जांच होगी। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचने वाले मरीजों की भी रिपोर्ट परखेगी। बाद में यह रिपोर्ट आईसीएमआर के जरिए केंद्र सरकार तक पहुंचेगी।
इनका कहना है
केजीएमसी की कम्युनिटी मेडिसिन विभाग की टीम खरखौदा में आइसीएमआर प्रोजेक्ट के तहत शोध कर रही है। कीटनाशकों की वजह से नालपुर, खासपुर, खरजाल एवं बिजौली समेत तमाम गांवों में असाध्य रोगी मिले हैं। टीम के साथ स्वास्थ्य विभाग आंकड़े साझा करेगी।
-डा. राजकुमार, सीएमओ
कीटनाशकों से ब्लड कैंसर का सीधा संबंध है। एप्लास्टिक एनीमिया व बोनमैरो की बीमारी का खतरा बनता है। अन्य अंगों में भी यह कैंसर बना सकता है। रसायनों के संपर्क में रहने वाले किसानों के रक्त एवं यूरिन सैंपल में कीटनाशकों के अंश मिलते हैं।
-डा. राहुल भार्गव, रक्त कैंसर एवं रक्त रोग विशेषज्ञ, वेलेंटिस
कीटनाशकों से शरीर का मेटाबोलिज्म बिगड़ता है। गांवों में भी किडनी फेल्योर के मरीज बढ़ रहे हैं। कीटनाशकों के साथ मरकरी, बेंजीन, लेड रक्त में पहुंचने से किडनी पूरी तरह खतरा हो सकती है।
-डा. संदीप गर्ग, गुर्दा रोग विशेषज्ञ
रक्त एवं यूरिन में मिल सकते हैं अंश
केजीएमयू की प्रोजेक्ट कोआर्डिनेटर डा. मोनिका अग्रवाल ने बताया कि यह शोध उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, पंजाब समेत कई राज्यों में चल रहा है, जहां कीटनाशकों की भारी खपत है। यूपी में सबसे ज्यादा कीटनाशक प्रयोग करने वाले मेरठ एवं सबसे कम प्रयोग करने वाले झांसी में रिसर्च होगा। खरखौदा ब्लाक को चयनित किया गया है, जहां 20 गांवों में टीम पहुंचेगी। रक्त एवं यूरिन सैंपल की जांच होगी। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचने वाले मरीजों की भी रिपोर्ट परखेगी। बाद में यह रिपोर्ट आईसीएमआर के जरिए केंद्र सरकार तक पहुंचेगी।
इनका कहना है
केजीएमसी की कम्युनिटी मेडिसिन विभाग की टीम खरखौदा में आइसीएमआर प्रोजेक्ट के तहत शोध कर रही है। कीटनाशकों की वजह से नालपुर, खासपुर, खरजाल एवं बिजौली समेत तमाम गांवों में असाध्य रोगी मिले हैं। टीम के साथ स्वास्थ्य विभाग आंकड़े साझा करेगी।
-डा. राजकुमार, सीएमओ
कीटनाशकों से ब्लड कैंसर का सीधा संबंध है। एप्लास्टिक एनीमिया व बोनमैरो की बीमारी का खतरा बनता है। अन्य अंगों में भी यह कैंसर बना सकता है। रसायनों के संपर्क में रहने वाले किसानों के रक्त एवं यूरिन सैंपल में कीटनाशकों के अंश मिलते हैं।
-डा. राहुल भार्गव, रक्त कैंसर एवं रक्त रोग विशेषज्ञ, वेलेंटिस
कीटनाशकों से शरीर का मेटाबोलिज्म बिगड़ता है। गांवों में भी किडनी फेल्योर के मरीज बढ़ रहे हैं। कीटनाशकों के साथ मरकरी, बेंजीन, लेड रक्त में पहुंचने से किडनी पूरी तरह खतरा हो सकती है।
-डा. संदीप गर्ग, गुर्दा रोग विशेषज्ञ
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