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' कश्मीरियों को भरोसे में लेकर ही दे सकेंगे पाक को जवाब'

पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव बढ़ गया है। हमले के बाद भारत ने आर्थिक कूटनीतिक और सामरिक किलेबंदी कर दी है। वैश्विक स्तर पर भी आतंकवाद और उसे पनाह देने वालों की कड़ी निंदा की गई है। 44 जवानों की शहादत के बाद देश में जनज्वार उफान पर है। सरकार पर भी इस हमले का जवाब देने का दबाव है। दैनिक जागरण की साप्ताहिक संगोष्ठी में सोमवार को पुलवामा हमले के राजनीतिक सामरिक व सामाजिक सबक पर विमर्श किया गया। अतिथि वक्ता रिटायर्ड मेजर जनरल जेआर भट्टी ने विचार व्यक्त किए।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Feb 2019 08:00 AM (IST)Updated: Tue, 26 Feb 2019 08:00 AM (IST)
' कश्मीरियों को भरोसे में लेकर ही दे सकेंगे पाक को जवाब'
' कश्मीरियों को भरोसे में लेकर ही दे सकेंगे पाक को जवाब'

मेरठ। पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव बढ़ गया है। हमले के बाद भारत ने आर्थिक, कूटनीतिक और सामरिक किलेबंदी कर दी है। वैश्विक स्तर पर भी आतंकवाद और उसे पनाह देने वालों की कड़ी निंदा की गई है। 44 जवानों की शहादत के बाद देश में जनज्वार उफान पर है। सरकार पर भी इस हमले का जवाब देने का दबाव है। दैनिक जागरण की साप्ताहिक संगोष्ठी में सोमवार को पुलवामा हमले के राजनीतिक, सामरिक व सामाजिक सबक पर विमर्श किया गया। अतिथि वक्ता रिटायर्ड मेजर जनरल जेआर भट्टी ने विचार व्यक्त किए।

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अतिथि के विचार

भारत से चार युद्ध में शिकस्त खा चुका पाकिस्तान हर वक्त बदले की फिराक में रहता है। 1971 में मिली करारी हार तो पाकिस्तान को बेहद सालती है। आज भी वे लोग उस दिन को भूले नहीं हैं जब पाकिस्तानी सैनिकों को भारत के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ा था। इसीलिए पाकिस्तानी सेना घाटी में आतंकवाद को हवा देती है। वह भारत को तोड़ना चाहते हैं। पुलवामा हमले से चंद रोज पहले भी पाकिस्तान की सेना सीमा पर तैनात हो गई थी और आतंकियों को पूरी शह दी हुई थी।

पाकिस्तान की साजिश नहीं होने देंगे कामयाब

पाकिस्तान कश्मीर के लोगों को बरगलाकर विद्रोह कराना चाहता है। उसे कश्मीरियों के साथ कोई हमदर्दी नहीं है। वहीं, भारत कश्मीर के लोगों का भरोसा जीतकर वहां अमन बहाली के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है। पुलवामा हमले के बाद प्रधानमंत्री ने भी इस बात पर जोर दिया। उन्होंने कहा है कि हमारी लड़ाई कश्मीर के लिए है, कश्मीरियों से नहीं। दरअसल, शुरू से हमारी यही नीति रही है। कश्मीर के लोग भी भारत के साथ हैं। वहां के कुछ लोगों को हथियार के बल पर आतंकी डरा लेते हैं, लेकिन हम पाकिस्तान की किसी साजिश को कामयाब नहीं होने देंगे।

दुनिया हमारे साथ है

पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को चौतरफा घेर लिया है। कूटनीतिक और आर्थिक मोर्चे पर घेराबंदी से पाकिस्तान बौखला गया है। प्रधानमंत्री की कोशिशों से दुनिया हमारे साथ खड़ी है। हमें इस वक्त एक रहने की जरूरत है। सेना और सरकार का मनोबल बढ़ाने की जरूरत है। आगे चुनाव भी हैं। ऐसे समय में पाकिस्तान ने यह कायराना हमला कराया है। हमें यह समझ लेना चाहिए कि यह आतंकी हमला नहीं सीधे-सीधे पाकिस्तानी सेना का हमला था।

पाकिस्तान खुद टूट जाएगा

पाकिस्तान इस वक्त बहुत खराब स्थिति में है। वह दूसरों के आगे हाथ फैला रहा है। कह सकते हैं कि बर्बादी की कगार पर है। अगर यही हाल रहा तो आगे चलकर पाकिस्तान अपने आप टूट जाएगा। युद्ध लड़ना आसान नहीं है। पाकिस्तान अपनी फौज को ज्यादा दिन तक मोर्चे पर तैनात नहीं रख पाएगा। जब वहां के लोगों के पास खाने को नहीं होगा तो जनता विद्रोह कर देगी।

कश्मीरी अवाम को भरोसे में लेना बेहद जरूरी

पुलिस और स्थानीय प्रशासन जब स्थिति को संभालने में नाकाम हो जाते हैं तब सेना को बुलाया जाता है। यही स्थिति कश्मीर में है। आतंकियों को बचाने के लिए पत्थरबाज आगे आ जाते हैं। ऐसे हालात में कश्मीर के आम लोगों में सरकार व सेना का भरोसा कायम रखना सबसे जरूरी व चुनौती का काम है।


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