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स्वावलंबन को प्रेरित करती हैं कमला देवी की रचनाएं

कमला देवी चौधरी की रचनाएं महिलाओं को स्वतंत्रता और निर्भीकता से समाज में अपना स्थान बनाने और स्वावलंबी होने के लिए प्रेरित करती हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Feb 2021 05:20 AM (IST)Updated: Tue, 23 Feb 2021 05:20 AM (IST)
स्वावलंबन को प्रेरित करती हैं कमला देवी की रचनाएं
स्वावलंबन को प्रेरित करती हैं कमला देवी की रचनाएं

मेरठ, जेएनएन। कमला देवी चौधरी की रचनाएं महिलाओं को स्वतंत्रता और निर्भीकता से समाज में अपना स्थान बनाने और स्वावलंबी होने के लिए प्रेरित करती हैं। सोमवार को मेरठ की साहित्यकार और स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में बढ़-चढ़ कर भाग लेने वाली कमला देवी चौधरी की जयंती पर यह बात वक्ताओं ने कही।

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भारतीय भाषा संस्कृति और कला प्रकोष्ठ द्वारा एनएएस कालेज के हिदी विभाग में परिचर्चा का आयोजन किया गया। शोध छात्र विक्रांत कुमार ने कहा कि हिदी साहित्य में विस्मृत कमला चौधरी ने कहानी, उपन्यास, कविता, अनुवाद जैसी विधाओं में रचनाएं लिखीं। संगीता सोलंकी ने उनकी कविता मां खादी की चादर दे दे मैं गांधी बन जाऊं, निकर नहीं धोती पहनूंगा खादी की चादर ओढ़ूंगा, घड़ी कमर में लटकाऊंगा, सैर सवेरे कर आऊंगा, मैं बकरी का दूध पीऊंगा, आज्ञा तेरी मैं मानूंगा, सेवा का प्रण ठानूंगा का पाठ किया। डा. प्रज्ञा पाठक ने 26 जनवरी कहानी की विषय वस्तु रेखांकित करते हुए बताया कि यह ऐसी छात्रा की कहानी है जो माता-पिता के आजादी की लड़ाई में जेल चले जाने के बाद संगठन का जिम्मा खुद संभालती है। संचालन करते हुए डा. ललिता यादव ने बताया कि कमला चौधरी का साहित्य हमें स्वप्न की जगह तात्कालिक यथार्थ का चुनाव करने की सीख देता है। अध्यक्षता डा. साधना चतुर्वेदी ने की। डा. अनुराधा सिंह, डा. मालती, डा. चिन्मयी चतुर्वेदी, डा. पंकज आदि ने भाग लिया।

व्यापार बंधु की बैठक में खुद उपस्थित हों अफसर

व्यापारियों की समस्याओं पर चर्चा तथा उनके समाधान के लिए जिला प्रशासन हर महीने व्यापार बंधु के तहत व्यापारी संगठनों के पदाधिकारियों के साथ बैठक करता है। इस माह यह बैठक 24 फरवरी को शाम तीन बजे विकास भवन सभागार में होगी। इसमें जिलाधिकारी ने सभी संबंधित विभागों के अफसरों को बुलाया है। जिलाधिकारी का स्पष्ट आदेश है कि बैठक में खुद विभागाध्यक्ष उपस्थित हों ताकि व्यापारियों की समस्याओं के समाधान के संबंध में मौके पर ही ठोस निर्णय किया जा सके। दरअसल, विभागाध्यक्ष अपने प्रतिनिधि के रूप में कनिष्ठ अधिकारी अथवा कर्मचारी को भेज देते हैं जो कि बैठक के दौरान सही जानकारी नहीं दे पाते हैं। व्यापारी नेता भी इस रवैये से नाराज रहते हैं।


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