किक बाक्सिंग करने से नहीं होता जोड़ों का दर्द, जानिए मेरठ के कर्मवीर के सेहत का राज
किक बाक्सिंग से केवल शरीर ही मजबूत नहीं रहता है। बल्कि यह मानसिक तौर पर भी मजबूत बनाता है। इससे पूरे शरीर का अभ्यास हो जाता है। शरीर से जो भी अतिरिक्त फैट होती है वह कम हो जाता है। वजन भी इससे नियंत्रित रहता है।
मेरठ, जेएनएन। खुद को फिट रखने के लिए कुछ लोग जिम में जाकर पसीने बहाते हैं। तो कुछ लोग सुबह उठने के बाद खूब दौड़ लगाते हैं। कोविड के समय में जब अचानक लाकडाउन लगा तो बहुत से लोगों ने अपने घर पर ही योग, अभ्यास करना शुरू किया। जो उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया है। मेरठ में पीएल शर्मा रोड पर बायोलाजी के शिक्षक कर्मवीर सिंघल अपने घर पर किक बाक्सिंग कर खुद को फिट रखते हैं। नियमित किक बाक्सिंग से वह कई बीमारियों को मात दे चुके हैं।
सुबह छह बजे छोड़ देते हैं बिस्तर
कर्मवीर सिंघल सुबह छह बजे बिस्तर छोड़ देते हैं। फ्रेश होने के बाद वह आधे घंटे योग का अभ्यास करते हैं। शाम को साढ़े पांच बजे वह तीस मिनट की दौड़ भी लगाते हैं। 20 मिनट स्क्वैश और करीब आधे घंटे वह किक बाक्सिंग करते हैं। अपनी इस दिनचर्या से वह दिन भर ताजगी महसूस करते हैं। ब्लड प्रेशर, शुगर आदि की बीमारियों से भी खुद की बचाव कर पाए हैं। कर्मवीर बताते हैं किक बाक्सिंग करने से पूरी शरीर का एक्साइज हो जाता है। मसल्स ठीक रहते हैं, जोड़ों के दर्द से भी राहत रहती है।
मानसिक तौर पर भी मजबूत बनाता है किक बाक्सिंग
किक बाक्सिंग से केवल शरीर ही मजबूत नहीं रहता है। बल्कि यह मानसिक तौर पर भी मजबूत बनाता है। इससे पूरे शरीर का अभ्यास हो जाता है। शरीर से जो भी अतिरिक्त फैट होती है, वह कम हो जाता है। वजन भी इससे नियंत्रित रहता है। पेट की चर्बी भी इससे खत्म होती है। कैंसर, मधुमेह के खतरे को यह कम करता है। बाडी पोस्चर को भी ठीक रखता है। शरीर को ऊर्जावान बनाता है। दिमाग को भी तेज करता है। कर्मवीर सिंघल बताते हैं कि किक बाक्सिंग करते समय सांस लेते रहे, अपने पैरों को हमेशा मूवमेंट में रखना चाहिए, गलत तरीके से प्रैक्टिस से जोड़ों में दर्द की शिकायत भी आ सकती है।