स्मृति शेष: मेरठ के इस कालेज में दो बार छात्रसंघ चुनाव लड़ाने आए थे जेटली Meerut News
2009 में अरुण जेटली राजेंद्र अग्रवाल को पहला चुनाव लड़ाने हापुड़ गए थे। गुजरात में चुनाव के दौरान सुनील भराला भी जेटली के साथ रहे थे।
By Taruna TayalEdited By: Published: Sun, 25 Aug 2019 03:56 PM (IST)Updated: Sun, 25 Aug 2019 03:56 PM (IST)
मेरठ, जेएनएन। अरुण जेटली कैंपस की राजनीति से संसद की सीढ़ियां नापने वाले राजनीतिज्ञ थे। उन्होंने 1974 में मेरठ कालेज में महामंत्री पद के लिए चुनाव लड़ रहे अरुण वशिष्ठ के चुनाव का प्रचार किया था। दूसरी बार अरुण जेटली उनके प्रचार के लिए 1977 में मेरठ कालेज आए। वह बेहतरीन वक्ता के साथ ही परिस्थितियों को तत्काल समझकर निर्णय लेते थे। जेटली ने 2009 में हापुड़ से राजेंद्र अग्रवाल के चुनाव का आगाज किया था और 2010 उनके घर भी गए। इसी बीच जेटली साकेत में डा. एसके त्यागी के भी निवास पर गए थे। उनके पार्थिव शरीर का दर्शन करने शनिवार रात मेरठ के सांसद समेत कई भाजपाई पहुंच गए।
मेरठ कालेज की राजनीति में सक्रिय
भाजपा नेता अरुण वशिष्ठ उन दिनों मेरठ कालेज की राजनीति में सक्रिय थे। वह याद करते हैं कि जेटली दिल्ली विवि छात्रसंघ के अध्यक्ष बनकर 1974 में मेरठ कालेज में प्रचार के लिए आए थे। जहां उन्हें सुनने बड़ी संख्या में छात्र जुटे। यहां से निकलकर अरुण ने 1975 में आपातकाल के दौरान युवाओं के आक्रोश का नेतृत्व किया और 19 माह तक जेल में साथ रहे। वशिष्ठ कहते हें कि उनका जेटली से 45 साल का रिश्ता रहा। वह मेधावी के साथ ही काफी सरल स्वभाव के थे। सांसद राजेंद्र अग्रवाल कहते हैं कि जेटली 2009 में उनके प्रथम संसदीय चुनाव के प्रचार में आए। जेटली और अजित सिंह ने साथ भाषण दिया। सांसद राजेंद्र अग्रवाल कहते हैं कि जेटली कुशाग्र बुद्धि के व्यक्ति, विद्वान किंतु शालीन और बहुत योग्य वक्ता थे। उनकी हिन्दी और अंग्रेजी भाषा समान रूप से प्रभावी थी। 2010 में वो एक बार फिर मेरठ पहुंचे। शुभकामना वेंकट हाल में एक कार्यक्रम में शिरकत करने के बाद वह सांसद के शास्त्रीनगर स्थित निवास पर गए।
इन्होंने बताया
अरुण जेटली अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से आए, और उनका अनुशासन, तर्कशक्ति और ज्ञान नई पीढ़ी के लिए नजीर बना। मेरा उनके साथ लंबा संसदीय अनुभव रहा। हर कदम पर सीखने को मिला। 2009 में मेरे संसदीय चुनाव में हापुड़ आए तो उन्होंने मेरा मनोबल बढ़ाया।
- राजेंद्र अग्रवाल, सांसद, मेरठ-हापुड़
संसदीय प्रक्रिया की गहरी समझ, कानून का अद्भुत ज्ञान, राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों के बीच बेहतर सामंजस्य के साथ निर्णय लेना उनकी गजब की काबिलियत थी। देश हित में लिए गए कई निर्णयों में जेटली की भूमिका हमेशा याद की जाएगी।
- डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष
अरुण जेटली स्वभाव से बेहद सरल थे। हमेशा मुङो छोटी बहन की तरह स्नेह देते थे। उनसे वार्तालाप करके समझा जा सकता है कि अभिभावक किसे कहते हैं। संसद में हमेशा अचूक तर्को के साथ प्रकट हुए। पार्टी के लिए संकटमोचक बनकर खड़े हुए। लोकतंत्र के असली सपूत रहे।
- कांता कर्दम, राज्यसभा सदस्य
मेरठ कालेज की राजनीति में सक्रिय
भाजपा नेता अरुण वशिष्ठ उन दिनों मेरठ कालेज की राजनीति में सक्रिय थे। वह याद करते हैं कि जेटली दिल्ली विवि छात्रसंघ के अध्यक्ष बनकर 1974 में मेरठ कालेज में प्रचार के लिए आए थे। जहां उन्हें सुनने बड़ी संख्या में छात्र जुटे। यहां से निकलकर अरुण ने 1975 में आपातकाल के दौरान युवाओं के आक्रोश का नेतृत्व किया और 19 माह तक जेल में साथ रहे। वशिष्ठ कहते हें कि उनका जेटली से 45 साल का रिश्ता रहा। वह मेधावी के साथ ही काफी सरल स्वभाव के थे। सांसद राजेंद्र अग्रवाल कहते हैं कि जेटली 2009 में उनके प्रथम संसदीय चुनाव के प्रचार में आए। जेटली और अजित सिंह ने साथ भाषण दिया। सांसद राजेंद्र अग्रवाल कहते हैं कि जेटली कुशाग्र बुद्धि के व्यक्ति, विद्वान किंतु शालीन और बहुत योग्य वक्ता थे। उनकी हिन्दी और अंग्रेजी भाषा समान रूप से प्रभावी थी। 2010 में वो एक बार फिर मेरठ पहुंचे। शुभकामना वेंकट हाल में एक कार्यक्रम में शिरकत करने के बाद वह सांसद के शास्त्रीनगर स्थित निवास पर गए।
इन्होंने बताया
अरुण जेटली अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से आए, और उनका अनुशासन, तर्कशक्ति और ज्ञान नई पीढ़ी के लिए नजीर बना। मेरा उनके साथ लंबा संसदीय अनुभव रहा। हर कदम पर सीखने को मिला। 2009 में मेरे संसदीय चुनाव में हापुड़ आए तो उन्होंने मेरा मनोबल बढ़ाया।
- राजेंद्र अग्रवाल, सांसद, मेरठ-हापुड़
संसदीय प्रक्रिया की गहरी समझ, कानून का अद्भुत ज्ञान, राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों के बीच बेहतर सामंजस्य के साथ निर्णय लेना उनकी गजब की काबिलियत थी। देश हित में लिए गए कई निर्णयों में जेटली की भूमिका हमेशा याद की जाएगी।
- डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष
अरुण जेटली स्वभाव से बेहद सरल थे। हमेशा मुङो छोटी बहन की तरह स्नेह देते थे। उनसे वार्तालाप करके समझा जा सकता है कि अभिभावक किसे कहते हैं। संसद में हमेशा अचूक तर्को के साथ प्रकट हुए। पार्टी के लिए संकटमोचक बनकर खड़े हुए। लोकतंत्र के असली सपूत रहे।
- कांता कर्दम, राज्यसभा सदस्य
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