वर्दी वाला : दिखावा छोड़िए, खुद को झकझोरिये, चाइनीज बहिष्कार और टिकटॉक से प्यार
कोरोना योद्धा बनकर फ्रंट पर लड़ रहे पुलिसकर्मियों को पूरा देश सलाम कर रहा हैं वो इसके हकदार भी हैं मंगलवार को जो हमने देखा वह कुछ अलग ही नहीं था।
मेरठ, [सुशील कुमार]। कोरोना योद्धा बनकर फ्रंट पर लड़ रहे पुलिसकर्मियों को पूरा देश सलाम कर रहा हैं, वो इसके हकदार भी हैं, मंगलवार को जो हमने देखा, वह कुछ अलग ही नहीं था। बल्कि उनकी कार्यशैली के विपरीत भी था। एडीजी कानून व्यवस्था ने प्रत्येक थाने से लेकर कार्यालय में कोविड केयर हेल्थ डेस्क बनाने के आदेश किए। मजाल है कि कोई एडीजी के आदेश का पालन न करें। सभी थानों में एक-एक बैनर लगाकर डेस्क बनाई और दो पुलिसकर्मी बैठाए, उसके बाद थाने पर काम करने वालों के हाथ सेनिटाइजर करते फोटो खिंचाई और वाट्सएप पर अफसरों को भेज दी गई। यह महज एक खानापूर्ति थी, जो प्रत्येक थाने पर की गई। वास्तविकता उससे कुछ अलग थी। किसी पीड़ित या स्टाफ की जांच या सुनवाई तक नहीं हुई। अंतरात्मा को जगाइए, झकझोरिये और वास्तव में मदद कीजिए।
चाइनीज बहिष्कार, टिकटॉक से प्यार
भारत चीन सीमा पर तनाव बढ़ते ही लोगों में चीन के प्रति आकोश है और सभी चाइनीज उत्पादों का बहिष्कार भी कर रहे है। यूपी एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) ने भी मोबाइल से सभी चीनी एप्स हटा दिए है। साथ ही दावा भी किया है कि चीन उनके जरिए हमारी निजी जानकारी हासिल कर सकता है। एसटीएफ ने चाइनीज एप्स हटाए तो पुलिसकर्मियों से लेकर आमजन में भी इसको लेकर संशय बन गया है। एसटीएफ के सीओ बृजेश सिंह का कहना है कि सभी चाइनीज एप्स का डेटा चीन चोरी कर सकता है। आपकी प्राइवेसी जानकारी भी उनके सर्वर पर मौजूद रहेगी। अपनी प्राइवेसी सुरक्षित रखने के लिए चाइनीज एप्स को मोबाइल से हटाना ही पड़ेगा। काफी हद तक पुलिसकर्मियों और अन्य लोगों ने भी चाइनीज एप्स हटा दिए है। पर चीनी एप टिकटॉक अभी भी ज्यादतर मोबाइल स्वामी अब भी प्रयोग कर रहे हैं।
दागदार अफसरों को मत बचाइये
गरीबों के राशन पर अमीरों का डाका, अब तक यह फिल्मों में लगातार देखने को मिलता रहा। जी हां आप समझ गए होंगे हम 350 करोड़ के राशन घोटले की बात कर रहे हैं। पुलिस की कार्रवाई को देखिए। पूर्ति विभाग कार्यालय में तैनात तीन ठेके पर काम कर रहे युवकों को ही जेल भेजा दिया, जो अफसरों की आइडी और पासवर्ड पर काम कर रहे थे। सवाल है कि इन युवकों को विभाग के अफसरों ने ही ऑफिस में तैनाती दी होगी। उससे भी अहम बात है कि अफसरों की आइडी और पासवर्ड से ही काम हो रहा था। तब भी पुलिस की जांच अफसरों के गिरेबान तक नहीं पहुंची। जांच कर रहे एसपी क्राइम रामअर्ज भी मान रहे है कि तत्कालीन डीएसओ और अन्य की भूमिका सामने आ रही है, डीएम से अनुमति नहीं मिलने से कार्रवाई लटकी हुई है, हम तो यही कहेंगे दागदार को मत बचाईये।
हाफिज के रंग रंगी खाकी
देश के कई बड़े और छोटे शहरों के अपराध रजिस्टर में सोतीगंज नाम जरूर अंकित होगा। शायद अपराध जगत में सोतीगंज से ही मेरठ की पहचान हो। वाहन देश के किसी भी कोने से चोरी या लूटा जाता हैं, उसका कनेक्शन सोतीगंज से जरूर निकलता हैं। बात नवाबों के शहर लखनऊ की है । यहां 50 लग्जरी गाड़ियां पुलिस ने बरामद की। उनका सरगना भी मेरठ के सोतीगंज का ही निकला। सवाल है आखिर ऐसा क्यों? सोतीगंज में कटान को पुलिस रोक नहीं पाती या रोकना नहीं चाहती। इसके पीछे भी एक कहानी हैं, जो जली कोठी के हाफिज को मुख्य किरादार में ले आती है। हाफिज अपराधियों को चुटकी बजाकर बचा लेता है। दूसरे राज्यों और जिले की पुलिस में हाफिज की पकड़ है, एक सप्ताह पहले हाफिज ने सेटिंग से काले को छुड़ाया, जांच बैठी तो उसे क्लीनचिट भी मिली। फिर कटान तो होगा।