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मेरठ से उड़ान का सपना पूरा होने में अभी लगेगा इतना वक्त

मेरठ से हवाई यात्रा का सपना अभी पूरा होता नजर नहीं आ रहा है। हालांकि जूम एयरलाइन कंपनी ने मेरठ से उड़ान में दिलचस्पी दिखाई है। लेकिन उड़ान भरने में काफी वक्त लग सकता है।

By Ashu SinghEdited By: Published: Sat, 02 Mar 2019 11:48 AM (IST)Updated: Sat, 02 Mar 2019 11:48 AM (IST)
मेरठ से उड़ान का सपना पूरा होने में अभी लगेगा इतना वक्त
मेरठ से उड़ान का सपना पूरा होने में अभी लगेगा इतना वक्त
मेरठ, [रवि प्रकाश तिवारी]। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआइ) और उप्र सरकार के बीच एमओयू के साढ़े चार वर्ष बाद पहली बार मेरठ से हवाई उड़ान में दिलचस्पी किसी विमानन कंपनी ने दिखाई तो है,लेकिन मौजूदा हालात में 19 सीटर विमान उड़ाने में भी कम से कम छह माह का समय लग जाएगा। अगर सभी कार्य तेजी से भी शुरू हो जाएं तो 50 सीटों की क्षमता वाले विमान सेवा को शुरू करने में तो कम से कम 15 से 18 महीने का समय चाहिए।
जूम विमान कंपनी ने लगाई बिड
जूम एयर नामक निजी विमान कंपनी ने मेरठ से लखनऊ और मेरठ से प्रयागराज आने-जाने के रूट पर बिड लगाई है। अभी तक इस कंपनी के पास 50 और 80 सीटर ही विमान है। अब देखना है कि बिड में जूम एयर ने 50 सीटर जेट विमान उड़ाने की इच्छा जाहिर की है या फिर शुरुआत 19 सीटर से करना चाहता है। एएआइ सूत्रों के अनुसार जल्द ही बिड के अध्ययन के बाद इससे भी पर्दा उठ जाएगा।
50 सीटर के लिए 227 एकड़ चाहिए
किसी भी व्यावसायिक विमान के उड़ान भरने के लिए जो मानक पूरे करने होते हैं,उसके कुछ न्यूनतम मानक हैं। बगैर उसको पूरा किए उड़ान का लाइसेंस नहीं मिल सकता। 50 सीटर विमान की खातिर रनवे की लंबाई कम से कम 1800 मीटर और 30 मीटर चौड़ी होनी चाहिए। वर्तमान में मेरठ की हवाई पट्टी की चौड़ाई 23 मीटर और लंबाई 1500 मीटर है। ऐसे में 50 सीटर विमान उड़ाने से पहले रनवे को लंबा और चौड़ा करना जरूरी होगा। इसके अलावा एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर, टर्मिनल बिल्डिंग, फायर सर्विस का स्थान औ एंबुलेंस आदि की भी व्यवस्था करनी होगी। इसकी खातिर एएआइ ने और 227 एकड़ भूमि की जरूरत बताई हुई है। वन विभाग की 86 एकड़ भूमि एएआइ को ट्रांसफर होनी है। प्रक्रिया लगभग पूरी होने को है।
पहले चरण में 520 करोड़ होंगे खर्च
ऐसे में और 141 एकड़ भूमि की जरूरत होगी,जिसे अधिग्रहण करना होगा। वर्ष 2015 में जिला प्रशासन ने अधिग्रहण की जो दर तय की थी,उसके अनुसार प्रति एकड़ लगभग तीन करोड़ रुपये खर्च बैठेगा यानि एयरपोर्ट चलाने के लिए प्रदेश सरकार को 520 करोड़ रुपये प्रथम चरण में अधिग्रहण पर खर्च करने होंगे। देखना होगा कि प्रदेश सरकार क्या इसे मंजूरी देगी या फिर यह ठंडे बस्ते में चला जाएगा। इतना ही नहीं,इसके बाद एएआइ को भी निर्माण कार्य में कम से कम 100 करोड़ रुपये खर्च करना होगा। ऐसे में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद तमाम निर्माण कार्य पूरा करने में कम से कम सालभर का समय लग सकता है। इसके बाद लाइसेंसिंग के लिए आवेदन किया जाएगा। इंस्पेक्शन की टीम आएगी। उसने अगर कोई कमी चिह्न्ति की तो उसे भी पूरा करना होगा तब जाकर उड़ान भरने की अनुमति मिलेगी।
19 सीटर के लिए भी एटीसी और टर्मिनल बिल्डिंग जरूरी
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के सूत्रों के अनुसार 19 सीटर विमान उड़ान की खातिर मौजूदा रनवे तो पर्याप्त है, लेकिन एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर और टर्मिनल बिल्डिंग का निर्माण आवश्यक है। उसके बिना उड़ान को डीजीसीए मंजूरी नहीं दे सकता। सवाल एक और बड़ा है कि 19 सीटर की उड़ान सेवा रीजनल कनेक्टि स्कीम के तहत यानि 2500 रुपये में कैसे उपलब्ध होगी। 19 सीटर विमान के उड़ान की लागत ज्यादा बैठेगी, ऐसे में बाकी की राशि का भुगतान कैसे होगा। यह सब सवाल हैं,जिनका उत्तर सप्ताह-10 दिन में मिल सकता है। 

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