मुलायम में आस्था थी तो उनके नाम पर बनवाया था मेडिकल कालेज
मुलायम सिंह यादव मेडिकल कालेज का नाम बदलने को लेकर सपाइयों में आक्रोश है। दूसरी ओर इसके पीछे सियासी समीकरण भी देखे जा रहे हैं।
मेरठ, जेएनएन। मुलायम सिंह यादव मेडिकल कालेज का नाम बदलने को लेकर सपाइयों में आक्रोश है। दूसरी ओर इसके पीछे सियासी समीकरण भी देखे जा रहे हैं। डा. सरोजिनी अग्रवाल कहती हैं कि उनकी मुलायम सिंह यादव में आस्था थी। उनके नाम पर मेडिकल कालेज खोला गया। सपा की कमान जब अखिलेश के हाथ आई तो मुलायम सिंह नेपथ्य में रह गए। डा. सरोजिनी के मुताबिक सपा में मुलायम सिंह का पहले जैसा सम्मान नहीं रह गया था। इसीलिए वह भी सपा से अलग हो गईं।
भाजपा का दामन थामने के साथ ही डा. सरोजिनी अग्रवाल ने मेडिकल कालेज का नाम बदलने के लिए आवेदन कर दिया था। उन्हें पता था कि राजनीतिक रूप से सपा और भाजपा दो किनारे हैं। ऐसे में भगवा खेमे को साधने के लिए सपा प्रमुख के नाम से मुक्ति पानी होगी। इसलिए मेडिकल कालेज का नाम बदलना जरूरी था। उनके सियासी पाला बदलने के बीच मेडिकल कालेज पुराने खेमे में फंस गया था।
डा. सरोजिनी अग्रवाल ने चार अप्रैल 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हाथों मुलायम सिंह यादव मेडिकल कालेज का शुभारंभ कराया था। उन दिनों डा. अग्रवाल सपा की ओर से दूसरी बार विधान परिषद सदस्य बन चुकी थीं। कद्दावर सपा नेता आजम खान से भी उनके पारिवारिक रिश्ते थे। उन्होंने अतुल प्रधान की पत्नी सीमा प्रधान को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने में प्रभावी भूमिका निभाई। सपा की कमान मुलायम के हाथ से छूटकर धीरे-धीरे अखिलेश के हाथ में आ गई। इसके बाद डा. सरोजिनी के लिए ज्यादा राजनीतिक अवसर नहीं बचे थे। उन्हें अखिलेश की तरफ से मुलायम जैसा सम्मान नहीं मिला। ऐसे में उन्होंने सपा से 22 साल पुराना रिश्ता तोड़कर चार अगस्त 2017 को भाजपा ज्वाइन कर लिया। इसी के बाद से मुलायम सिंह यादव मेडिकल कालेज का नाम बदलकर पं. श्यामा प्रसाद मुखर्जी या पं. दीन दयाल उपाध्याय मेडिकल कालेज करने के कयास लगाए जा रहे थे। डा. सरोजिनी ने एनसीआर इंस्टीट्यूट कर भविष्य में आने वाले किसी भी सियासी चक्रव्यूह से खुद को बचा लिया। डा. सरोजिनी अग्रवाल पहली बार सपा से 21 मई 1995 को जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं। 31 जनवरी 2009 को मुलायम सिंह ने उन्हें पहली बार विधान परिषद भेजा था। इनका कहना-
मैंने कोई राजनीतिक लक्ष्य साधने के लिए मेडिकल कालेज का नाम नहीं बदला। ऐसा होता तो मेडिकल कालेज का नाम पं. श्यामा प्रसाद मुखर्जी या पं. दीन दयाल उपाध्याय के नाम पर रखा जाता। भाजपा ने मुझ पर कभी किसी प्रकार का दबाव नहीं बनाया। यह प्रबंधन की स्वाभाविक पहल थी।
डा. सरोजिनी अग्रवाल, एमएलसी, भाजपा