International Museum Day: मेरठ के राजकीय संग्रहालय में महसूस करें शूरवीरों का शौर्य, ये हैं इसकी विशेषताएं
International Museum Day 2022 उत्तर प्रदेश में 12 म्यूजियम में मथुरा संग्रहालय सबसे पुराना है। मेरठ के राजकीय संग्रहालय का निर्माण संस्कृति विभाग ने 1995 में किया था। इसमें स्वतंत्रता संग्राम की कहानी के तस्वीरों के माध्यम से प्रदर्शन के लिए पांच गैलरी हैं।
मेरठ, प्रदीप द्विवेदी। यह तो सभी जानते हैं कि मेरठ 1857 की क्रांति का उद्गम स्थल है, लेकिन यह बात कम ही लोगों को पता होगी कि मेरठ का संग्रहालय पूरे उत्तर प्रदेश का एकमात्र म्यूजियम है, जो 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम को समर्पित है। ये है भैंसाली मैदान के निकट शहीद स्मारक पार्क परिसर में स्थापित राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय। अब इसे पेंटिंग, पुतले, थ्रीडी तस्वीरें, डायोरमा और डिजिटल दस्तावेजों से संवारा गया है।
संग्रहालय में एक तरफ एलईडी के जरिए क्रांति की पूरी गाथा दस्तावेजों के जरिए देखी-सुनी जा सकती है जबकि दूसरी ओर 35 मिनट के लाइट एंड साउंड शो में मेरठ समेत पूरे देश में उठी क्रांति की चिंगारी को ज्वाला बनाने वाले शूरवीरों का शौर्य देख आप जोश से भर जाएंगे।
1995 में हुआ था निर्माण
प्रदेश में 12 म्यूजियम में मथुरा संग्रहालय सबसे पुराना है। मेरठ के संग्रहालय का निर्माण संस्कृति विभाग द्वारा 1995 में किया गया था। इसमें मेरठ से लेकर पूरे देश की स्वतंत्रता संग्राम संघर्ष की कहानी, तस्वीरों के प्रदर्शन के लिए पांच गैलरी बनी हैं। पुस्तकालय में स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी पुस्तकों का संग्रह है। इस संग्रहालय का औपचारिक लोकार्पण प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की 150वीं वर्षगांठ पर 10 मई-2007 को किया गया था। इस साल 10 मई को संग्रहालय का नवीनीकरण और लाइट एंड साउंड शो का लोकार्पण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया। शहीद स्तंभ, अमर जवान ज्योति और मंगल पांडेय की प्रतिमा भी यहां स्थापित हैं।
संग्रहालय में हैं दुर्लभ कृतियां
संग्रहालय में साप्ताहिक पत्र द लाइट हाउस की दुर्लभ प्रतियां मौजूद हैं। मेरठ से 1949, 1950, 1952, 1953 में प्रकाशित अंग्रेजी के इस पत्र में मेरठ समेत पूरे देश की तत्कालीन तस्वीरें हैं। इंडियन नेशनल आर्मी के सिपाहियों की वर्दी, नेताजी सुभाषचंद्र बोस के दुर्लभ चित्र, उनकी वर्दी महापुरुषों पर जारी डाक टिकट, पुराने सिक्के, महाभारतकालीन पाटरी, 15 अगस्त 1947 और 26 जनवरी 1950 को जारी डाक टिकट यहां के संग्रह में हैं। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम भी 2014 में यहां आए थे। शहीद स्तंभ पर 1857 के बलिदानियों के नाम अंकित हैं।
किस गैलरी में क्या
- पहली गैलरी : मेरठ की क्रांति को समर्पित है।
- दूसरी गैलरी : पश्चिम उप्र. में हुई क्रांति को दस्तावेज और उस समय के अखबारों के जरिये समझाया गया है।
- तीसरी गैलरी : दिल्ली, कानपुर और लखनऊ में हुई घटनाओं को दर्शाती है।
- चौथी गैलरी : बुंदेलखंड, रुहेलखंड और पूर्वांचल में हुई क्रांति का प्रदर्शन।
-पांचवीं गैलरी : महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश आदि में हुई क्रांति को दिखाया गया है।
इन्होंने कहा
प्रदेश के संग्रहालय अलग-अलग थीम पर स्थापित किए गए थे। मेरठ क्रांति का उद्गम स्थल है, इसलिए इसे 1857 की क्रांति को समर्पित किया गया है।
-पतरू, संग्रहालय अध्यक्ष