'पाक कश्मीर मांगे तो भारत को बलूचिस्तान मांगना चाहिए'
अगर पाकिस्तान कश्मीर की मांग नहीं छोड़ता तो हमें बलूचिस्तान की मांग करनी चाहिए। भारत जैसे शक्तिशाली देश के सामने पाकिस्तान सीधी लड़ाई में सप्ताहभर भी नहीं टिक सकता।
मेरठ । अगर पाकिस्तान कश्मीर की मांग नहीं छोड़ता तो हमें बलूचिस्तान की मांग करनी चाहिए। भारत जैसे शक्तिशाली देश के सामने पाकिस्तान सीधी लड़ाई में सप्ताहभर भी नहीं टिक सकता। यह कहना है कि आइसीडब्लूए के प्रो. पंकज झा का। जो मेरठ कॉलेज में रक्षा अध्ययन विभाग की ओर से आयोजित इंटरनेशनल सेमिनार को संबोधित कर रहे थे।
कश्मीर समस्या और भारत -पाकिस्तान संबंधों पर आयोजित दो दिवसीय सेमिनार के समापन पर उन्होंने कहा कि भारत एक संपन्न राष्ट्र है, पाकिस्तान कंगाल हो चुका है। कश्मीर मामले में हम चीन को भी समझा सकते हैं। इसमें अगर चीन को यह डर हो जाए कि भारत के लोग चीनी उत्पादों का बहिष्कार कर सकते हैं तो उसे अपनी नीति बदलनी पड़ेगी। आज भारत विश्व का नेता है, पाकिस्तान आतंकवाद का नेता बना हुआ है। ब्रिगेडियर इंदीवर शर्मा ने कहा कि शांति तभी मिलती है जब आप युद्ध के लिए तैयार होते हैं। कॉलेज की प्राचार्य डा. आभा चंद्रा ने अध्यक्षीय भाषण दिया। संचालन डा. नीलम कुमारी ने किया। संयोजक डा. संजय कुमार ने धन्यवाद किया। डा. अनुराग जायसवाल ने सेमिनार की रिपोर्ट पढ़ी। डा. एमपी वर्मा, डा. अलका चौधरी, भूपेंद्र सिंह, प्रगति रस्तोगी, अशोक शर्मा, डा. अनुराग आदि का सहयोग रहा। सेमिनार में डा. संजय कुमार, डा. धीरेंद्र द्विवेदी की लिखित दो पुस्तक भारत चीन रणनीतिक संबंध और 21वीं शताब्दी में तटीय सुरक्षा की चुनौतियां का विमोचन हुआ।
खत्म हो 35ए और अनुच्छेद 370
मुख्य अतिथि प्रो. गोपाल जी मालवीय ने कहा कि कश्मीर से धारा 370 हटा देना चाहिए। कश्मीर में तीन फीसद हिदू हैं, फिर भी मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं। अगर शक्ति का परिचय दिया गया तो शांति अपने आप आ जाएगी। एसोसिएट प्रो. राजकुमार उपाध्याय ने कश्मीर के ऐतिहासिकता को बताते हुए अनुच्छेद 35 ए खत्म करने की बात कही। प्रो. हरिशंकर राय ने कहा कि कश्मीर में अनुच्छेद 370 एक अस्थायी और संक्रमणकालीन व्यवस्था है।
श्रीलंका भी रहा है प्रभावित
श्रीलंका से आए रक्षा विशेषज्ञ फर्नाल्डो ने कहा कि सामाजिक और आर्थिक प्रगति कर हम आतंकवाद को तोड़ सकते हैं। आतंकवाद आज वैश्विक समस्या है, श्रीलंका भी चरमपंथियों से कई दशकों तक परेशान रहा। करीब 40 लाख युवा इसके भेंट चढ़ गए। आर्थिक प्रगति से इसे रोका गया।
जल संधि पर हो विचार
जल कानून के विशेषज्ञ डा. अवधेश प्रताप ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच जल बंटवारा है। इसमें भारत चाहे तो अपने पश्चिमी नदियों में शामिल झेलम, चिनाब, सिंधु के पानी को रोक कर अपने प्रोजेक्ट शुरू कर सकता है। मसूद अजहर ने कहा कि सिंधु जल संधि पर पुनर्विचार करना चाहिए। डा. मंजू शर्मा ने मीडिया के रोल को नकारात्मक बताया। शोध छात्रा वंदना शर्मा ने भी अपना शोध पत्र पढ़ा।