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India-china Tension: 1962 के समय में भी ऐसी ही थी स्थिति, लेकिन अभी हमारी सेना पूरी तरह से तैयार

भारत चीन की सेना वर्ष 1962 के युद्ध के पहले भी तीन-चार महीने आमने-सामने थी। यह कहना है रि. मेजर जनरल जेआर भट्टी का जिन्‍होने भारतीय सेना में तीन दशक तक सेवाएं दी हैं।

By Prem BhattEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 02:18 PM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 02:18 PM (IST)
India-china Tension: 1962 के समय में भी ऐसी ही थी स्थिति, लेकिन अभी हमारी सेना पूरी तरह से तैयार
India-china Tension: 1962 के समय में भी ऐसी ही थी स्थिति, लेकिन अभी हमारी सेना पूरी तरह से तैयार

मेरठ, जेएनएन। डोकलाम के बाद लद्दाख में एक बार फिर भारतीय सेना और चीनी सेना आमने-सामने खड़ी हो चुकी है। ऐसे में मंगलवार को हुई सैन्य अधिकारियों की वार्ता विफल होने के बाद बनी स्थिति चीन की तरफ से युद्ध की ओर जाती दिख रही है। चीन को ऐसा लग सकता है कि भारतीय सेना वर्ष 1962 की तरह ही मात खा जाएगी, जबकि उन्हें 1967 और डोकलाम की ताजा स्थितियों से सबक लेना चाहिए। भारतीय सेना में तीन दशक से अधिक सेवाएं दे चुके रि. मेजर जनरल जेआर भट्टी का कहना है कि भारत अब बेहद मजबूत स्थिति में है। वर्ष 1962 के बाद भारतीय सेना की तैयारियां काफी बढ़ चुकी हैं।

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सेना पूरी तरह तैयार

दुनिया भर में कोरोना वायरस के कारण गिर रही चीन की साख और अपने देश के नागरिकों के बीच सरकार की तस्वीर साफ करने के लिए चीन ऐसा कर सकता है। चीन भले ही हुंकार भर रहा हो पर भारतीय सेना भी इस बार पूरी तरह तैयार बैठी है। सरहद पर पहले की तुलना में आधारभूत संरचनाएं काफी अच्छी हैं। हमारी सेना बिना समय गवाएं सरहद तक पहुंच सकती हैं। वर्तमान में भारत से झगड़ा लेने का कोई कारण चीन के पास नहीं है। इसलिए ऐसा लगता है कि यह स्थिति भी बनाई हुई है। अगर चीन को हमला ही करना होता तो वह अपनी तैयारी या टेंट लगाकर नहीं दिखाता।

ऐसा ही रहा है चीन की लड़ाई का तरीका

अगस्त महीने में लेह लद्दाख पर चीन से सटी सीमाओं का दौरा कर लौटे आरवीसी सेंटर एंड कॉलेज के पूर्व कमांडेंट मेजर जनरल पी एस नरवाल के अनुसार चीन की लड़ाई का तौर तरीका ऐसा ही रहा है। वर्ष 1962 की लड़ाई में भी चीनी सेना ने तीन चार महीने सरहद पर डेरा डाला था और गलवान स्थित भारतीय चौकी को घेर कर रखा था। वहां जवानों के लिए मदद व राशन हेलीकॉप्टर से पहुंचाए जाते थे। उस युद्ध के बाद से चीन ने विकास किया है, लेकिन दूसरी ओर भारतीय सेना ने भी कहीं ज्यादा विकास की सीढ़ियां चढ़ी हैं। उस जमाने में सरहद के आसपास ना रास्ते थे, न आधारभूत संरचनाएं ही थी। लेकिन अब वहां की स्थिति पूरी तरह से बदल चुकी है। अब सरहद तक बेहतरीन सड़कें और सैन्य संसाधन मौजूद हैं और मजबूत स्थिति में भी हैं।

वर्तमान समय में युद्ध की स्थिति नहीं

मेजर जनरल नरवाल का कहना है कि वर्तमान स्थिति युद्ध की स्थिति नहीं लगती है। कोरोना वायरस पर दुनियाभर से लग रहे चौतरफा आरोपों के बीच चीन बौखला गया है। आरोप सही भी हैं। हर पांच से 10 साल में कुछ वायरस चीन से ही निकलते हैं जिनका खामियाजा दुनिया को भुगतना पड़ता है। कोरोना वायरस के बाद की स्थिति से चीन की भी आर्थिक स्थिति खराब हो रही है। ऐसे में अपनी साख अपनी जनता के सामने बचाने के लिए चीनी सरकार व सेना ऐसे हथकंडे अपना रही है। अगस्त में लद्दाख की सीमा देखने का मौका मिला। वहां वर्तमान सैन्य तैयारियां देख हम आश्वस्त रह सकते हैं कि भारतीय सेना चीन की सेना से किसी भी स्तर पर कम नहीं है। न ही युद्ध की स्थिति में पीछे रहेगी। भारतीय सेना जिस तरह डोकलाम में डटी रही उसी तरह पेंगोंग लेक के पास भी डटी रहेगी। भारत के रिश्ते दुनिया के तमाम देशों के साथ इस वक्त सबसे बेहतरीन स्थिति में है। ऐसे में भारत को और मजबूती मिलेगी।  


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